खतरे में झारखंड के CM हेमंत सोरेन की कुर्सी, चुनाव आयोग ने ‘ऑफिस ऑफ प्रॉफिट’ पर माँगा जवाब: खुद को ही खदान आवंटित करने का आरोप

हेमंत सोरेन (फाइल फोटो)

खनन पट्टा मामले में झारखंड (Jharkhand) के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren) की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। राँची हाईकोर्ट के बाद अब भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने इस मामले में नाराजगी दिखाई है। इस मामले में चुनाव आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह को पत्र लिखा है। आयोग ने अपने पत्र में कहा है कि दस्तावेजों के ‘प्रमाणीकरण’ कर मुख्य सचिव बताएँ कि सोरेन ने राँची के अंगारा ब्लॉक में खनन पट्टा लेने के लिए अपने पद का दुरुपयोग किया।

आयोग से पत्र मिलने के बाद राज्य के अधिकारी इन आरोपों के प्रमाणीकरण की प्रक्रिया पूरी कर रहे हैं। इसके बाद वे आयोग को पत्र का सौंपे देंगे। बता दें कि सोरेन के पास खनन विभाग भी है और उन पर आरोप है कि उन्होंने पत्थर खनन का का खुद को अलॉट किया है। इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता रघुवर दास (Raghuvar Das) के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने फरवरी में राज्यपाल से मुलाकात कर सीएम को हटाने की माँग करते हुए इससे संबंधित दस्तावेज सौंपे थे।

राज्यपाल ने इन दस्तावेजों को चुनाव आयोग को भेजकर उसकी राय माँगी थी। इस आयोग ने इन दस्तावेजों को मुख्य सचिव को भेज दिया और कहा कि वे बताएँ सीएम पर आरोप से संबंधित ये दस्तावेज सही हैं या नहीं। अधिकारियों से जवाब मिलने के बाद चुनाव आयोग द्वारा यह फैसला करेगा कि मुख्यमंत्री द्वारा लिया गया लीज ‘ऑफिस ऑफ प्रॉफिट’ के दायरे में आता है या नहीं। इसी आधार पर वह राज्यपाल को अपनी राय देगा। जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 9A में ‘ऑफिस ऑफ प्रॉफिट’ के दायरे में आने वाले सदन के सदस्यों की सदस्यता समाप्त करने का प्रावधान है।

रघुवर दास ने सौंपे गए दस्तावेजों के आधार पर अपनी शिकायत में कहा था कि हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री बनने के बाद अपने नाम पर पत्थर खदान लीज पर ले लिया। राँची जिले के अनगड़ा प्रखंड में 0.88 एकड़ क्षेत्रफल पर यह खनन पट्टा पाँच वर्षों के लिए ले लिया है।

हाईकोर्ट ने की थी टिप्पणी

शिवशंकर शर्मा नाम के एक व्यक्ति ने खनन पट्टा अपने नाम करने को लेकर सोरेन के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। उस याचिका पर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ. रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए कहा था कि संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को अपनी शक्तियों का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए।

याचिका में कहा गया था कि सोरेन राज्य के मुख्यमंत्री और वन एवं पर्यावरण विभाग के विभागीय मंत्री हैं। उनके पास खनन विभाग भी है। ऐसे में उन्होंने खुद ही पर्यावरण क्लीयरेंस के आवेदन दिया और क्लीयरेंस लेकर खुद ही खनन पट्टा हासिल कर लिया। ऐसा करना पद का दुरुपयोग और जनप्रतिनिधि कानून का उल्लंघन है

क्या है मामला?

मुख्यमंत्री सोरेन पर आरोप है कि उन्होंने पद का दुरुपयोग करते हुए अपने नाम पर पत्थर खदान का पट्टा लिया। यह खदान राँची जिले के अनगड़ा मौजा, थाना नं-26, खाता नं- 187, प्लॉट नं- 482 में स्थित है। भाजपा ने आरोप लगाया था कि इस पट्टे की स्वीकृति के लिए सोरेन 2008 से ही प्रयास कर रहे थे।

मुख्यमंत्री बनने के बाद पत्रांक संख्या 615/M, दिनांक 16-06-2021 के जरिए पट्टा की स्वीकृति का आशय का पत्र (LOI) विभाग द्वारा जारी कर दिया है। यह विभाग मुख्यमंत्री के पास ही है। स्टेट लेबल इंवायरमेंट इंपेक्ट असेसमेंट अथॉरिटी (SEIAA) ने 14-18 सितम्बर 2021 को अपनी 90वीं बैठक में पर्यावरण स्वीकृति की अनुशंसा भी कर दी।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया