Friday, April 26, 2024
Homeराजनीतिखतरे में झारखंड के CM हेमंत सोरेन की कुर्सी, चुनाव आयोग ने 'ऑफिस ऑफ...

खतरे में झारखंड के CM हेमंत सोरेन की कुर्सी, चुनाव आयोग ने ‘ऑफिस ऑफ प्रॉफिट’ पर माँगा जवाब: खुद को ही खदान आवंटित करने का आरोप

मुख्यमंत्री सोरेन पर आरोप है कि उन्होंने पद का दुरुपयोग करते हुए अपने नाम पर पत्थर खदान का पट्टा लिया। यह खदान राँची जिले के अनगड़ा मौजा में 0.88 एकड़ वर्ग क्षेत्र में फैला है। भाजपा ने आरोप लगाया था कि इस पट्टे की स्वीकृति के लिए सोरेन 2008 से ही प्रयास कर रहे थे।

खनन पट्टा मामले में झारखंड (Jharkhand) के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren) की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। राँची हाईकोर्ट के बाद अब भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने इस मामले में नाराजगी दिखाई है। इस मामले में चुनाव आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह को पत्र लिखा है। आयोग ने अपने पत्र में कहा है कि दस्तावेजों के ‘प्रमाणीकरण’ कर मुख्य सचिव बताएँ कि सोरेन ने राँची के अंगारा ब्लॉक में खनन पट्टा लेने के लिए अपने पद का दुरुपयोग किया।

आयोग से पत्र मिलने के बाद राज्य के अधिकारी इन आरोपों के प्रमाणीकरण की प्रक्रिया पूरी कर रहे हैं। इसके बाद वे आयोग को पत्र का सौंपे देंगे। बता दें कि सोरेन के पास खनन विभाग भी है और उन पर आरोप है कि उन्होंने पत्थर खनन का का खुद को अलॉट किया है। इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता रघुवर दास (Raghuvar Das) के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने फरवरी में राज्यपाल से मुलाकात कर सीएम को हटाने की माँग करते हुए इससे संबंधित दस्तावेज सौंपे थे।

राज्यपाल ने इन दस्तावेजों को चुनाव आयोग को भेजकर उसकी राय माँगी थी। इस आयोग ने इन दस्तावेजों को मुख्य सचिव को भेज दिया और कहा कि वे बताएँ सीएम पर आरोप से संबंधित ये दस्तावेज सही हैं या नहीं। अधिकारियों से जवाब मिलने के बाद चुनाव आयोग द्वारा यह फैसला करेगा कि मुख्यमंत्री द्वारा लिया गया लीज ‘ऑफिस ऑफ प्रॉफिट’ के दायरे में आता है या नहीं। इसी आधार पर वह राज्यपाल को अपनी राय देगा। जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 9A में ‘ऑफिस ऑफ प्रॉफिट’ के दायरे में आने वाले सदन के सदस्यों की सदस्यता समाप्त करने का प्रावधान है।

रघुवर दास ने सौंपे गए दस्तावेजों के आधार पर अपनी शिकायत में कहा था कि हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री बनने के बाद अपने नाम पर पत्थर खदान लीज पर ले लिया। राँची जिले के अनगड़ा प्रखंड में 0.88 एकड़ क्षेत्रफल पर यह खनन पट्टा पाँच वर्षों के लिए ले लिया है।

हाईकोर्ट ने की थी टिप्पणी

शिवशंकर शर्मा नाम के एक व्यक्ति ने खनन पट्टा अपने नाम करने को लेकर सोरेन के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। उस याचिका पर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ. रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए कहा था कि संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को अपनी शक्तियों का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए।

याचिका में कहा गया था कि सोरेन राज्य के मुख्यमंत्री और वन एवं पर्यावरण विभाग के विभागीय मंत्री हैं। उनके पास खनन विभाग भी है। ऐसे में उन्होंने खुद ही पर्यावरण क्लीयरेंस के आवेदन दिया और क्लीयरेंस लेकर खुद ही खनन पट्टा हासिल कर लिया। ऐसा करना पद का दुरुपयोग और जनप्रतिनिधि कानून का उल्लंघन है

क्या है मामला?

मुख्यमंत्री सोरेन पर आरोप है कि उन्होंने पद का दुरुपयोग करते हुए अपने नाम पर पत्थर खदान का पट्टा लिया। यह खदान राँची जिले के अनगड़ा मौजा, थाना नं-26, खाता नं- 187, प्लॉट नं- 482 में स्थित है। भाजपा ने आरोप लगाया था कि इस पट्टे की स्वीकृति के लिए सोरेन 2008 से ही प्रयास कर रहे थे।

मुख्यमंत्री बनने के बाद पत्रांक संख्या 615/M, दिनांक 16-06-2021 के जरिए पट्टा की स्वीकृति का आशय का पत्र (LOI) विभाग द्वारा जारी कर दिया है। यह विभाग मुख्यमंत्री के पास ही है। स्टेट लेबल इंवायरमेंट इंपेक्ट असेसमेंट अथॉरिटी (SEIAA) ने 14-18 सितम्बर 2021 को अपनी 90वीं बैठक में पर्यावरण स्वीकृति की अनुशंसा भी कर दी।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

लोकसभा चुनाव 2024: दूसरे चरण की 89 सीटों पर मतदान, 1198 उम्मीदवारों का फैसला करेंगे मतदाता, मैदान में 5 केंद्रीय मंत्री और 3 राजघरानों...

दूसरे चरण में 5 केंद्रीय मंत्री चुनाव मैदान में हैं, जिसमें वी. मुरलीधरन, राजीव चंद्रशेखर, गजेंद्र सिंह शेखावत, कैलाश चौधरी और शोभा करंदलाजे चुनाव मैदान में हैं।

कॉन्ग्रेस ही लेकर आई थी कर्नाटक में मुस्लिम आरक्षण, BJP ने खत्म किया तो दोबारा ले आए: जानिए वो इतिहास, जिसे देवगौड़ा सरकार की...

कॉन्ग्रेस का प्रचार तंत्र फैला रहा है कि मुस्लिम आरक्षण देवगौड़ा सरकार लाई थी लेकिन सच यह है कि कॉन्ग्रेस ही इसे 30 साल पहले लेकर आई थी।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
417,000SubscribersSubscribe