2019 लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में भाजपा को छोड़कर सभी पार्टियों ने सबसे कम सवर्णों को टिकट दिए हैं। सवर्णों के सबसे अधिक टिकट समाजवादी पार्टी ने काटे हैं। कॉन्ग्रेस ने भी पिछले चुनावों के मुकाबले अपने उम्मीदवारों में सवर्णों की संख्या घटा दी है।
https://twitter.com/pagalbabadwa/status/1124162087091986432?ref_src=twsrc%5Etfwनवभारत टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक भाजपा ने उत्तर प्रदेश में पिछले चुनावों में 36 सवर्णों को टिकट देकर अपना उम्मीदवार बनाया था और इस बार भी भाजपा ने इतने ही सवर्णों को टिकट दिया है। जबकि 2014 में सपा ने अपने 20 सवर्ण उम्मीदवार मैदान में उतारे थे लेकिन इस बार यह संख्या 6 रह गई है। इसका एक कारण बसपा के साथ हुए गठबंधन को भी बताया जा रहा है क्योंकि सपा को गठबंधन में 37 सीटें मिली हैं।
दूसरी ओर दलितों की पार्टी कही जाने वाली बसपा ने जातिगत समीकरणों को देखते हुए एक चौथाई सीट पर सवर्णों को टिकट देकर बड़ा दाव खेलने का प्रयास किया है। हालाँकि 2014 में 26 सवर्णों को टिकट देने वाली मायावती ने गठबंधन में 38 सीटों पर 10 सवर्णों को टिकट दिया है।
कॉन्ग्रेस की बात करें तो 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने 34 टिकट सवर्ण कैंडिडेट को दिए थे लेकिन नतीजे उनके पक्ष में नहीं थे। साल 2019 के लोकसभा चुनावों में पार्टी ने पुराने नतीजों को ध्यान में रखा और केवल 26 सवर्णों को ही टिकट देकर अपना उम्मीदवार बनाया।