महापंचायत में पहुँचे ‘किसानों’ ने CAA-NRC-NPR को बताया ‘काला कृषि कानून’, लोगों को समझ आया अल्लाह-हू-अकबर’ कनेक्शन: वीडियो

किसानों ने सीएए, एनआरसी और एनपीआर को बताया 'किसान विरोधी तीन काले कानून' (screenshot from viral video)

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में किसान यूनियन ने रविवार (5 सितंबर) को एक ‘महापंचायत’ आयोजित की, जिसमें कथित तौर पर लाखों किसान प्रदर्शनकारियों ने अल्लाह-हु-अकबर के नारे लगाए और केंद्र सरकार का विरोध किया। वहीं, महापंचायत में मोदी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने आए किसानों में से कुछ ऐसे भी थे, जिन्हें कृषि कानूनों के बारे में कुछ भी जानकारी नहीं थी। वे नहीं जानते थे कि तीन नए कृषि कानून कौन से हैं और उन्हें क्यों लागू किया गया है।

एक ऑनलाइन समाचार चैनल हिन्दुस्तान 9 ने महापंचायत की एक ग्राउंड रिपोर्ट अपने यूट्यूब चैनल पर शेयर की है। हिन्दुस्तान 9 के पत्रकार रोहित शर्मा ने महापंचायत में शामिल किसान प्रदर्शनकारियों से कुछ सवाल पूछे। मोहम्मद दानिश नाम के एक शख्स ने बताया कि वह पास के एक गाँव के किसानों के समूह के साथ प्रदर्शन स्थल पर आया है।

दानिश ने कहा, “हम भारत सरकार द्वारा लाए गए तीन काले कानूनों का विरोध करने के उद्देश्य से यहाँ आए हैं। राकेश और नरेश टिकैत के नेतृत्व में गाजीपुर बॉर्डर पर हम पिछले नौ महीने से विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। सरकार को इन काले कानूनों को निरस्त करना होगा, जो किसानों के हित में नहीं हैं।”

‘तीन काले कानून हैं सीएए, एनआरसी और एनपीए’ किसान प्रदर्शनकारी का दावा

रोहित ने सवाल किया कि क्या उन्हें काले कानूनों के बारे में पता है। इस पर दानिश ने कहा, “हाँ, मुझे पता है। एक है एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर), एनपीआर (राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर) और एक और है, जिसे मैं भूल गया हूँ।” रोहित ने पूछा कि क्या आप सीएए (नागरिकता संशोधन अधिनियम) के बारे में बात कर रहे हैं, जिस पर दानिश ने कहा, “हाँ, हाँ! वही वाला।” रोहित ने पूछा, “तो आप इन तीन कानूनों के खिलाफ महापंचायत में भाग ले रहे हैं?” इस पर दानिश ने हाँ में जवाब दिया।

‘देश को बेचने वाले इन गुजराती बनियों को हम बाहर निकालेंगे’

बातचीत में शामिल हुए एक अन्य प्रदर्शनकारी कथित किसान ने कहा कि भाजपा को देश के विकास के लिए सत्ता में लाया गया था, लेकिन उसने कुछ नहीं किया। उसने आरोप लगाया, “वे सिर्फ हिंदू और मुस्लिम करते हैं।” उसने आगे कहा, ”मैं आपको बता रहा हूँ कि ये विदेशी आक्रमणकारी हैं। हम उन्हें वैसे ही बाहर निकालेंगे जैसे हमने अंग्रेजों को बाहर निकाला था। ये गुजराती बनिया हैं, जो देश को बेच रहे हैं।”

खुद को शान मोहम्मद बताने वाले एक अन्य प्रदर्शनकारी ने कहा कि सरकार की वजह से उनके पास खाने को कुछ नहीं है। वहाँ, एक और प्रदर्शनकारी था जो हाथ में गन्ना पकड़े हुए था उसने कहा, “हमारा खाना तिजोरियों में बंद कर दिया गया है। हम अपने भोजन को फिर से पाने के लिए विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। अगर हम सरकार बनाना जानते हैं तो उन्हें सत्ता से बाहर भी कर सकते हैं। दीपक नाम के एक प्रदर्शनकारी ने कहा, “हम मोदी को जड़ से खत्म कर देंगे।”

हाल ही में एबीपी न्यूज की पत्रकार रुबिका लियाकत ने एक इंटरव्यू के दौरान राकेश टिकैत से सवाल किया था कि उनके हिसाब से कृषि कानून को लेकर कौन सी समस्या आड़े आ रही है। टिकैत, जो कुछ मिनट पहले इसे लेकर आत्मविश्वास से लबरेज थे, वह इस पर जबाव नहीं दे पाए। तीन कृषि कानूनों को ‘काले कानून’ कहने वाले टिकैत ने रुबिका के सवाल को नजरअंदाज कर दिया। इसके बाद उन्हें अपनी बातों को घुमाते रहे और एंकर पर निजी हमले करते रहे।

मुज़फ्फरनगर किसान महापंचायत में शामिल ‘भाड़े के किसान’ जब “CAA-NRC-NPR” को तीन काले कानून बता रहे हैं, तब अब आप समझ ही गए होंगे कि किसान आंदोलन में “अल्लाह-हू-अकबर” के नारे क्यों लग रहे थे। अफसोस की बात है कि दोनों विरोध प्रदर्शनों के कारण दिल्ली में दंगे और हिंसा हुई। सीएए के विरोध के कारण फरवरी 2020 में हिंदू विरोधी दंगे हुए। किसान विरोध प्रदर्शनों के कारण 2021 में गणतंत्र दिवस पर दंगे हुए।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया