एक तरफ जहां कुछ लोग राम मंदिर बनने पर विवाद खड़ा कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस पार्टी के नेता फ़ारूख़ अब्दुल्ला ने एक ऐसा बयान दिया है, जो भड़कते हुए रामभक्तों को सुकून देने वाला है।
जी हाँ, फारूक अब्दुल्लाह का कहना है कि राम मंदिर एक ऐसा मसला है, जिसे बातचीत करके सुलझाया जा सकता है। उनकी मानें तो राम मंदिर मसले को कोर्ट तक कभी जाना ही नहीं चाहिए था। फ़ारुख़ अब्दुल्ला के कथानुसार प्रभु राम सिर्फ हिंदुओं के नहीं हैं, बल्कि भगवान राम सभी के हैं।
अब्दुल्ला ने ये भी कहा कि भगवान राम से किसी को बैर नहीं है और न ही होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें इस मामले को सुलझाने की और मंदिर को बनाने की कोशिश करनी चाहिए। साथ ही फ़ारुख़ अब्दुल्ला ने इस बात को भी कहा कि जिस दिन भी राम मंदिर बनने के लिए तैयार होगा, उस दिन राम मंदिर की ईंट वो स्वयं रखेंगे।
फ़ारूख़ अब्दुल्ला ने बीते साल नवंबर में एएनआई को दिए इंटरव्यू में राम मंदिर पर एक और बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि वो मंदिर के खिलाफ नहीं है, लेकिन राम मंदिर सिर्फ अयोध्या में ही क्यों बनाया जाए? भगवान राम पूरे विश्व के हैं, ऐसे में अयोध्या में ही मंदिर क्यों बनें?
फ़ारूख़ अब्दुल्ला का ये बयान उस समय आया है, जब सुप्रीम कोर्ट द्वारा अयोध्या मामले पर सुनाई की जाने वाली थी, लेकिन आज उसे 10 जनवरी 2019 तक के लिए टाल दिया गया। 10 जनवरी को इस मामले पर नई पीठ द्वारा सुनवाई की जाएगी। दरअसल, इस मामले पर पहले पूर्व चीफ़ जस्टिस दीपक मिश्रा की तीन अध्यक्षता वाली पीठ सुनवाई कर रही थी। जिसकी वजह से इस मसले पर दो सदस्यों की बेंच विस्तार से सुनवाई नहीं कर सकती है, इसलिए इस मुद्दे पर तीन या फिर उससे अधिक जजों की बेंच ही सुनवाई करेगी।
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट 30 सिंतबर 2010 को इलाहाबाद हाइकोर्ट में सुनाए गए फैसले के खिलाफ दायर की गई 14 अपीलों पर सुनवाई करेगा। इस मामले में राम मंदिर मामले पर वकील हरिनाथ राम और केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावेड़कर ने रोज़ाना के आधार पर सुनवाई करने की भी मांग की है।