सरकारी खजाने को वामपंथी चपत: CPI (M) के पूर्व राज्यसभा सांसद 7 बार ट्रेन में चढ़े, 63 टिकट का पैसा माँगा

पूर्व सांसद के टिकट कैंसिल नहीं कराने से सरकारी खजाने पर अतिरिक्त बोझ (प्रतीकात्मक तस्वीर)

मुफ़्त रेल टिकटों की सुविधा की आड़ में कुछ सांसद एवं पूर्व सांसद किस तरह सरकारी पैसों की बर्बादी करते हैं, इसका उदाहरण CPI (M) के एक पूर्व राज्यसभा सांसद की करतूत से सामने आया है।

इस पूर्व राज्यसभा सदस्य ने जनवरी 2019 में 63 ट्रेन टिकट बुक की। लेकिन इनमें से केवल 7 ट्रेन टिकट का ही उन्होंने लाभ लिया। बावजूद इसके बाकी टिकट कैंसिल नहीं कारवाई। बाद में सभी 63 टिकट के रिम्बरस्मेंट यानी, बिल भुगतान की माँग की। इसके कारण रेल मंत्रालय को संसद सचिवालय द्वारा ₹1,46,920 का अतिरिक्त भुगतान करना पड़ेगा।

इस पूर्व वामपंथी सांसद का नाम सार्वजानिक नहीं किया गया है। मीडिया रिपोर्टों में बताया गया है कि वे पश्चिम बंगाल से सीपीआई (एम) के पूर्व राज्यसभा सदस्य थे।

दरअसल राज्यसभा सांसदों को और पूर्व राज्यसभा सांसदों को रेलवे में नि:शुल्क असीमित यात्रा की सुविधा मिलती है। इसके पूरा भार राज्यसभा सचिवालय को उठाना होता है।

संसद के प्रत्येक सदस्य को नियमानुसार पत्नी सहित AC-1 में मुफ़्त यात्रा की सुविधा उपलब्ध होती है। इसके अलावा, इनके साथ यात्रा करने वाले एक अटेंडेंट को भी सेकेंड क्लास AC कोच या एग्जीक्यूटिव क्लास में किसी भी समय पूरे भारत में मुफ्त टिकट अथवा पास प्राप्त है।

सीपीआई (एम) के इस पूर्व राज्यसभा सांसद ने जिन सात टिकटों का इस्तेमाल किया उसकी लागत केवल ₹22,085 है। लेकिन उन्होंने उन्होंने अन्य टिकट कैंसिल नहीं कराया जिसकी वजह से सरकारी खजाने पर ₹1,46,920 का अतिरिक्त भर पड़ा। साल 2019-20 में ऐसे टिकटों जिन पर यात्रा नहीं हुई, लेकिन वो कैंसिल भी नहीं कराए गए, रेलवे ने राज्यसभा सचिवालय को ₹7.8 करोड़ रुपए का बिल भेजा है। ये सभी टिकट माननीय राज्यसभा सांसदों के हैं।

इसी तरह एक वर्तमान राज्यसभा सांसद ने जितने टिकट बुक कराए, उनमें से सिर्फ़ 15% टिकटों पर ही यात्रा की। इस तरह उनके द्वारा बर्बाद किए गए 85% टिकटों का भुगतान अब राज्यसभा सचिवालय को करना है।

ab टिकट कैंसिल नहीं कराया तो खुद करना होगा भुगतान

राज्यसभा सचिवालय को कई सांसदों और पूर्व सांसदों को कई टिकट बुक करने और अभी तक भुगतान की माँग नहीं करने के कई उदाहरण मिले हैं। लेकिन अब यदि राज्यसभा का कोई सदस्य ट्रेन का टिकट बुक करने के बाद यात्रा नहीं करता है, तो उसे खुद किराए का भुगतान करना होगा।

राज्यसभा के महासचिव दीपक वर्मा की ओर से सदस्यों को जारी परामर्श में दी गई जानकारी में यह स्पष्ट किया गया है कि वे यात्रा नहीं करने की स्थिति में ट्रेन बुकिंग को कैंसल करें और अगर ऐसा नहीं करते हैं तो किराया उनसे वसूला जाएगा।

परामर्श में कहा गया है कि रेल मंत्रालय ने भुगतान के दावे का जो ब्यौरा दिया है उसके मुताबिक कुछ सदस्यों ने एक ही दिन एक ही अथवा दूसरे स्टेशनों से जाने वाली कई ट्रेनों में टिकट बुक कराए। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने राज्यसभा सचिवालय को निर्देश दिया था कि इस मुद्दे को उनके संज्ञान में लाया जाए।

तकनीकी कारणों से हैं बाध्य

फ़िलहाल राज्यसभा सचिवालय ने सांसदों के ये बिल भुगतान अदा करने से मना कर दिया है। राज्यसभा सचिवालय ने रेलवे से आग्रह किया है कि वो सिर्फ उन्हीं टिकटों का किराया वसूल करे, जिन पर सांसदों ने वास्तव में यात्रा भी की हो, लेकिन रेलवे नियमों का हवाला देते हुए इस बात पर क़ायम है कि जो टिकट कैंसिल नहीं कराए गए, उनका पैसा राज्यसभा सचिवालय को देना ही होगा।

इसके पीछे बड़ी वजह यह है कि वर्तमान में रेलवे के पास अपनी ओर से आम नागरिक और सांसदों में भेद करने का कोई नियम नहीं है। सम्भव है कि रेलवे जल्द ही लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों द्वारा ट्रेन बुकिंग के बीच अंतर करने के लिए अपने सॉफ्टवेयर में बदलाव करे।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया