राष्ट्रपति चुनाव से पहले विपक्ष को झटकों की हैट्रिक, पवार-अब्दुल्ला के बाद महात्मा गाँधी के पोते ने भी ठुकराया प्रस्ताव: कहा- दूसरा नाम खोजिए

गोपाल कृष्ण गाँधी (फोटो साभार: दैनिक जागरण)

केंद्र की भाजपा सरकार (BJP Government) के खिलाफ एकजुटता का दिखावा करने वाले विपक्षी दलों को राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार नहीं मिल रहे हैं। शरद पवार और फारूक अब्दुल्ला के बाद अब महात्मा गाँधी के पोते गोपाल कृष्ण गाँधी ने राष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष का उम्मीदवार बनने से इनकार कर दिया है। इसके बाद ममता बनर्जी की आस टूट गई है।

गोपाल कृष्ण गाँधी ने बयान जारी कर कहा कि संयुक्त विपक्ष की ओर से नाम प्रस्तावित किए जाने के लिए वे आभारी हैं। इसके साथ ही उन्होंने से इनकार करते हुए कहा, “मैं विपक्ष से आग्रह करूँगा कि वह किसी और नाम पर विचार करे, जो मुझसे कहीं बेहतर राष्ट्रपति साबित हो सकता हो।”

इससे पहले 2017 में वेंकैया नायडू के मुकाबले में विपक्ष ने उन्हें उप-राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया था। हालाँकि, वे हार गए थे। गोपाल कृष्ण गाँधी पूर्व राजनयिक हैं और वे दक्षिण अफ्रीका तथा में भारतीय उच्चायुक्त रह चुके हैं। इसके अलावा, वह 2004 से 2009 तक पश्चिम बंगाल के गवर्नर रह चुके हैं।

77 वर्षीय गोपाल कृष्ण गाँधी के मना करने के बाद विपक्षी दल मंगलवार (21 जून 2022) को नए नाम पर विचार करने लिए बैठक करेंगे। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, विपक्ष सपा के मुलायम सिंह यादव, राजद के प्रमुख लालू यादव, केरल से सांसद एनके प्रेमचंद्रन, यशवंत सिन्हा के नाम पर विचार कर रहा है। इसके अलावा, बड़े अर्थशास्त्रियों, शिक्षाविदों, वैज्ञानिकों, पूर्व राजनयिकों के नाम पर भी चर्चा हो सकती है। यह बैठक शरद पवार बुला रहे हैं।

हालाँकि, इस बार बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी शामिल नहीं होंगी और अपनी जगह वह अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी को भेजेंगी। कहा जा रहा है कि कई विपक्षी दल उनका नेतृत्व स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं। इसलिए अब वह बैठक से दूर ही रहना चाहती हैं। 

बता दें कि दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में 15 जून को विपक्षी दलों ने घंटों मंथन करने के बाद विपक्ष के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में फारूक अब्दुल्ला और महात्मा गाँधी के पोते गोपाल गाँधी का नाम आगे बढ़ाया था। इसमें फारूक अब्दुल्ला का नाम ममता बनर्जी ने खुद आगे किया था। इस बैठक में कॉन्ग्रेस, शिवसेना सहित कुल 16 पार्टियाँ शामिल हुई थीं। वहीं, AAP, अकाली दल, TRS, BJD और AIMIM ने हिस्सा नहीं लिया था।

हालाँकि, 18 जून को एक बयान जारी कर फारूक अब्दुल्ला ने अपना नाम वापस लेते हुए कहा था, “मैं भारत के राष्ट्रपति पद के लिए संभावित संयुक्त विपक्षी उम्मीदवार के रूप में प्रस्तावित अपने नाम को वापस लेता हूँ। जम्मू-कश्मीर इस समय संक्रमण काल से गुजर रहा है और इस समय में मेरे प्रयासों की यहाँ जरूरत है।”

राष्ट्रपति पद के लिए उनका नाम प्रस्तावित करने के लिए उन्होंने ममता बनर्जी और अन्य विपक्षी दल के नेेताओं को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी द्वारा उनका नाम प्रस्तावित करने के बाद उनके पास कई विपक्षी दलों के फोन आए और अपना समर्थन व्यक्त किया।

अपने बयान में उन्होंने कहा कि सक्रिय राजनीति में अभी उनकी जरूरत है और जम्मू-कश्मीर एवं देश के लिए उन्हें बहुत कुछ करना है। इसलिए वे अपना नाम इस पद के उम्मीदवार से वापस ले रहे हैं।

उम्मीदवार के रूप में संयुक्त उम्मीदवार के रूप में शरद पवार के नाम की चर्चा आगे बढ़ाने की बात सामने आई थी, लेकिन कहा जाता है कि जीत की संभावना को कम देखते हुए पवार ने मना कर दिया था। उसके बाद इन दो नामों को आगे बढ़ाया गया था। हालाँकि, शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में दबे शब्दों में इन नामों की आलोचना की थी। वहीं, JDS के एचडी देवगौड़ा ने भी राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने से मना कर दिया था।

गौरतलब है कि राष्ट्रपति पद के लिए होने वाले चुनाव का नामांकन 29 जून 2022 तक होना है, जबकि 18 जुलाई को मतदान होना है। 21 जुलाई को परिणाम की घोषणा की जाएगी। वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई 2022 तक है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया