नेशनल कॉन्फ्रेंस (National Conference) के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) ने भाजपा (BJP) विरोधी दलों के सूत्रधार बनने की पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) की इच्छा पर पानी फेर दिया है। ममता द्वारा प्रस्तावित अब्दुल्ला ने राष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष के उम्मीदवार के रूप में प्रस्ताव को ‘विनम्रता के साथ ठुकरा’ दिया।
शनिवार (18 जून 2022) को फारूक अब्दुल्ला ने इस संबंध में एक बयान जारी किया। अपने बयान में उन्होंने कहा, मैं भारत के राष्ट्रपति पद के लिए संभावित संयुक्त विपक्षी उम्मीदवार के रूप में प्रस्तावित अपने नाम को वापस लेता हूँ। जम्मू-कश्मीर इस समय संक्रमण काल से गुजर रहा है और इस समय में मेरे प्रयासों की यहाँ जरूरत है।”
राष्ट्रपति पद के लिए उनका नाम प्रस्तावित करने के लिए उन्होंने ममता बनर्जी और अन्य विपक्षी दल के नेेताओं को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी द्वारा उनका नाम प्रस्तावित करने के बाद उनके पास कई विपक्षी दलों के फोन आए और अपना समर्थन व्यक्त किया।
अपने बयान में उन्होंने कहा कि सक्रिय राजनीति में अभी उनकी जरूरत है और जम्मू-कश्मीर एवं देश के लिए उन्हें बहुत कुछ करना है। इसलिए वे अपना नाम इस पद के उम्मीदवार से वापस ले रहे हैं।
बता दें कि 15 जून को विपक्षी दलों ने घंटों मंथन करने के बाद विपक्ष के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में फारूक अब्दुल्ला और महात्मा गाँधी के पोते गोपाल गाँधी का नाम आगे बढ़ाया था। इसमें फारूक अब्दुल्ला का नाम ममता बनर्जी ने खुद आगे किया था। इस बैठक में कॉन्ग्रेस, शिवसेना सहित कुल 16 पार्टियाँ शामिल हुई थीं। वहीं, AAP, अकाली दल, TRS, BJD और AIMIM ने हिस्सा नहीं लिया था।
उम्मीदवार के रूप में संयुक्त उम्मीदवार के रूप में शरद पवार के नाम की चर्चा आगे बढ़ाने की बात सामने आई थी, लेकिन कहा जाता है कि जीत की संभावना को कम देखते हुए पवार ने मना कर दिया था। उसके बाद इन दो नामों को आगे बढ़ाया गया था। हालाँकि, शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में दबे शब्दों में इन नामों की आलोचना की थी।
बता दें कि राष्ट्रपति पद के लिए होने वाले चुनाव का नामांकन 29 जून 2022 तक होना है, जबकि 18 जुलाई को मतदान होना है। 21 जुलाई को परिणाम की घोषणा की जाएगी। वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई 2022 तक है।