CM योगी का UP: 2000 Cr का अवैध साम्राज्य ध्वस्त, ढेर हुए 140 अपराधी, धर्मांतरण और गोकशी पर शिकंजा, महिलाएँ सुरक्षित हुईं

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शासनकाल में सुधरी है उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था (फाइल फोटो साभार: DNA)

उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव और मायावती का लगातार 15 वर्षों के शासनकाल के बारे में पूछते ही लोग कानून व्यवस्था के उन दुर्दिनों को याद करने लगते हैं। मई 2002 से लेकर मार्च 2017 तक मायावती, मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव ने राज किया। इनमें मायावती दो बार मुख्यमंत्री बनीं – एक बार 1 साल 4 महीने के लिए और एक बार पूरे 5 साल के लिए। मुलायम सिंह यादव 4 साल के लिए सीएम बने। उनके बेटे अखिलेश यादव ने भी कार्यकाल पूरा किया। लेकिन, सपा-बसपा के बाद आई भाजपा के राज में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कानून व्यवस्था को बहाल करने में सफलता पाई।

किसे याद नहीं है कि सपा-बसपा के शासनकाल में मुख़्तार अंसारी, अतीक अहमद, हरिशंकर तिवारी, राजा भैया और विकास दुबे जैसे गुंडे जनता में अपना खौफ चलाया करते थे। आज योगी आदित्यनाथ के शासनकाल ये तथाकथित ‘बाहुबली’ या तो जेल में हैं या फिर दुबके बैठे हुए हैं। डर का माहौल ख़त्म हुआ है। आखिर उत्तर प्रदेश के कानून व्यवस्था को सुधारने में कैसे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सफलता हासिल की, इसका राज़ सरकार के एक से बढ़ कर एक लिए गए कड़े फैसलों से जुड़ा है।

योगी सरकार में एनकाउंटर्स: अब अपराधियों की गोली के सामने बेबस नहीं रहती यूपी पुलिस

सबसे पहले बात करते हैं अपराधियों के साथ पुलिस के एनकाउंटर्स की। योगी आदित्यनाथ ने बतौर मुख्यमंत्री पुलिस को इतनी छूट दे रखी है कि जब सामने से अपराधी गोली चलाएँ तब वो हाथ पर हाथ धरे बैठे न रहें। इसी का नतीजा है कि अकेले 2021 में विभिन्न मुठभेड़ों में 26 कुख्यात ढेर कर दिए गए। 2020 की तुलना में पंजीकृत मुकदमों में 4.4% की कमी आई। डकैती की घटनाओं में 40%, लूट की घटनाओं में 23%, बलात्कार के मामलों में 17% और हत्या की घटनाओं में 11% की कमी आई।

अकेले 2021 में विभिन्न मुठभेड़ों में 3910 पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार किया गया। इतना ही नहीं, गैंगस्टर एक्ट के तहत भी 9933 अपराधियों को सलाखों के पीछे भेजा गया। 1012 करोड़ रुपए की संपत्ति को कबत किया गया। पूरे साढ़े 4 वर्षों की बात करें तो भाजपा सरकार में अब तक अपराधियों के 1900 करोड़ रुपए के साम्राज्य को ध्वस्त किया गया है। आलम ये है कि उत्तर प्रदेश में बदमाश खुद तख्ती लटका कर थाने में पहुँचते हैं और कहते हैं कि जेल में ले चलो।

कुछ महत्वपूर्ण एनकाउंटर्स को यहाँ हम आपके समक्ष रख रहे हैं। साढ़े 4 साल में मार गिराए गए 139 बदमाशों में से अधिकतर इनामी थे। मार्च 2018 में 1 लाख रुपए का इनामी श्रवण कुमार, अप्रैल 2018 में ढाई लाख का इनामी बलराज भाटी, जून 2018 में 1 लाख का ही इनामी टिंकू कपाला, अक्टूबर 2019 में डेढ़ लाख का इनामी लक्ष्मण यादव, जनवरी 2020 में डेढ़ लाख का इनामी चाँद मोहम्मद, जुलाई 2020 में 5 लाख का इनामी विकास दुबे, अक्टूबर 2020 में 2 लाख का इनामी अनिल उर्फ अमित उर्फ जूथरा, नवंबर 2020 में 3 लाख का इनामी सूर्याश दुबे और फरवरी 2020 में 1 लाख का इनामी जावेद मार गिराया गया।

अब आलम ये है कि मुख़्तार अंसारी, अतीक अहमद और विजय मिश्रा जैसे बड़े माफिया जेल की हवा काट रहे हैं। जिन बदमाशों को मार गिराया गया, उनमें 5 लाख रुपए के इनामी एक, 2 लाख के इनामी दो, एक लाख के इनामी 18, 50 हजार के इनामी 46, 15 हजार के इनामी 11, 12 हजार के इनामी 4 और 5 हजार के इनामी एक बदमाश शामिल थे। मेरठ में सबसे ज्यादा 18 अपराधी ढेर हुए हैं। 16,000 से ज्यादा अपराधी विभिन्न मुठभेड़ों में गिरफ्तार हुए। हालाँकि, 3000 से ज्यादा पलिसकर्मी भी घायल हुए। 13 पुलिसकर्मी बलिदान भी हुए।

महिलाओं और बहन-बेटियों की सुरक्षा को लेकर शुरू से योगी सरकार का खास जोर

मार्च 2017 में सत्ता संभालने के साथ ही राज्य की भाजपा सरकार ने ‘एंटी रोमियो स्क्वाड’ का गठन किया। महिला हित की बात करने वाले वामपंथी और छद्म सेक्युलर मीडिया ने भी इसका समर्थन नहीं किया। इसका गठन छेड़छाड़ की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए किया गया था। सपा-बसपा शासनकाल में छात्राएँ स्कूलों में सुरक्षित नहीं थीं, लड़कियाँ पार्क्स में या सड़क पर सुरक्षित नहीं थीं और महिलाओं के साथ आए दिन आपराधिक वारदातें आम हो गई थीं। इसके लिए समाज में परिवार्तन आवश्यक था।

सितंबर 2020 तक के आँकड़े कहते हैं कि साढ़े 3 वर्षों में योगी सरकार की इस पहल के अंतर्गत 35 लाख स्थानों पर 83 लाख से अधिक लोगों की चेकिंग की गई। स्कूल, कॉलेजों, सार्वजनिक स्थलों जैसे मार्केट चौराहों, मॉल, पार्क व अन्य स्थलों पर इस ‘एंटी रोमियो स्क्वाड’ को सक्रिय किया गया था। 7351 FIR दर्ज किए गए। कुल 11,564 की गिरफ़्तारी हुई। 35 लाख ऐसे लोगों को चेतावनी देकर छोड़ दिया गया। इससे महिलाएँ सार्वजनिक स्थलों पर पहले से काफी अधिक सुरक्षित हुईं।

अगर हम 2020 के ‘राष्ट्रीय आपराधिक रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB)’ के आँकड़े को देखें तो पता चलता है कि 2019 के मुकाबले महिलाओं के खिलाफ अपराध में 9.7% की कमी आई। वहीं 2013 के मुकाबले इसमें 9.2% कमी आई थी। छेड़छाड़ की घटनाओं में भी राष्ट्रीय औसत से यहाँ कामी कम घटनाएँ हुईं और 2020 में 2013 के मुकाबले 9.2% कमी देखी गई। महिला प्रताड़ना के मामलों में तो 2013 के मुकाबले 64% की भारी कमी आई। राष्ट्रीय औसत 2.2 के मुकाबले 2020 में उत्तर प्रदेश में अपराध 1.7 रहा था

इसके अलावा यहाँ ‘मिशन शक्ति’ की बात करना भी आवश्यक है। अक्टूबर 2020 में योगी आदित्यनाथ ने ‘मिशन शक्ति’ को लॉन्च किया, जिसके तहत लड़कियों को आत्मरक्षा की तकनीक सिखाई जाती है। महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान की भारतीय संस्कृति की भावना के तहत शुरू किए गए इस अभियान के तहत राज्य के 1500 पुलिस थानों में महिलाओं के लिए अलग कक्ष स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू की गई। इनमें महिलाओं के खिलाफ अपराध महिला पुलिसकर्मी ही दर्ज करती हैं।

इतना ही नहीं, ‘मिशन शक्ति’ के तहत महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में जानकारी दी जाती है। विद्यालयों में शत-प्रतिशत नामांकन के लिए अभियान चलाया जाता है और इसके लिए प्रयास करने वाले शिक्षकों को सम्मानित किया जाता है। इस अभियान के तहत महिलाओं की कमाई का जरिया विकसित करने के कार्य भी किया जा रहा है। लाखों महिलाओं की आजीविका की व्यवस्था की गई। महिलाओं की जागरूकता, छात्रों में आत्मरक्षा का प्रशिक्षण और महिलाओं के साथ अपराध होने पर त्वरित कार्रवाई ही इसका लक्ष्य है।

जनता की भावनाओं का योगी सरकार ने रखा ख्याल: धर्मांतरण गिरोह और गोकशी पर शिकंजा

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भाजपा की राज्य सरकार ने हिन्दुओं की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए गोकशी के खिलाफ भी कानून को और कड़ा किया। ‘यूपी गोवध निवारण (संशोधन) अध्यादेश-2020’ को उस साल जून में मंजूरी दी गई, जिससे गोकशी और गोवंश तस्करी पर लगाम लगी। गोहत्या पर न्यूनतम 3 साल की सज़ा और 3 लाख रुपए के जुर्माने का प्रावधान किया गया। तस्करी के मामले में वाहन मालिकों की भूमिकाओं की जाँच की व्यवस्था की गई। गोवंश को नुकसान पहुँचाने वालों पर कार्रवाई का प्रबंध किया गया

योगी सरकार ने भू-माफियाओं पर लगाम लगाने के लिए स्पेशल टास्क फोर्स का गठन किया। लखनऊ, नोएडा, कानपुर और वाराणसी जैसे जिलों को पुलिस कमिश्नरेट घोषित किया गया, ताकि पुलिस को गुंडों पर कार्रवाई के लिए बार-बार डीएम की अनुमति न लेनी पड़े और वो स्वछन्द तरीके से कार्य कर सकें। जिन जिलों की आबादी 10 लाख से ज्यादा है, वहाँ इस सिस्टम को लागू करने की व्यवस्था की जा रही है। इससे पुलिस के पास मजिस्ट्रेटियल अधिकार भी आते हैं।

योगी सरकार ने पेपर लीक करने वालों और परीक्षाओं में धाँधली करने वालों पर शिकंजा कसा, जिससे शिक्षा व्यवस्था माफियाओं से मुक्त हुई। पेपर लीक करने वालों पर रासुका और गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई करने के निर्देश खुद सीएम योगी ने दिए। हाँ, ये ज़रूर है कि इस क्षेत्र में पुराने सड़े हुए सिस्टम को बदलने में समय लग रहा है। अब हर जिले में यूपी पुलिस की यूनिट सोशल मीडिया पर भी सक्रिय है और वहाँ हर कार्रवाई की जानकरी दी जाती है, साथ ही वहाँ कई मामलों का संज्ञान लेकर कार्रवाई भी होती है।

इन सबके अलावा धर्मांतरण के मामले में कार्रवाई करते हुए कैसे कट्टर इस्लामी समूहों का पर्दाफाश किया गया, ये भी जानने लायक है। ‘लव जिहाद’ के खिलाफ कानून बनाया गया। विदेशी फंडिंग के जरिए अपना कारोबार चला रहे मौलाना मोहम्मद उमर गौतम और उसके नेटवर्क से जुड़े डेढ़ दर्जन लोगों को गिरफ्तार किया गया। धर्मांतरण विरोधी कानून बनने के 1 साल के भीतर 110 के करीब मामले दर्ज किए गए। अधिकतर में चार्जशीट भी दायर की गई।

सबसे बड़ी बात ये है कि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद से कोई दंगा नहीं हुआ। अंतिम दंगा मुजफ्फरनगर का 2013 में हुआ हिन्दू-मुस्लिम संघर्ष ही है, जिसमें इस्लामी कट्टरपंथियों ने जाट समुदाय पर हमला किया था। 2005 में मऊ में रामायण पाठ कर रहे हिन्दुओं पर मुस्लिम भीड़ ने हमला किया था। 2005 में कार्टून को लेकर दंगा हो गया था। 2016 में इसी तरह मथुरा में हिन्दू जाट समुदाय और मुस्लिम भीड़ के बीच संघर्ष के बाद दंगे हुए। योगी सरकार में इस तरह की ख़बरें कभी नहीं आईं।

CAA के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान कट्टरपंथी बाहर तो निकले और पत्थरबाजी व आगजनी भी की, लेकिन सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान का एक-एक पाई उनसे वसूल लिया गया। लगभग सवा 200 नए थानों की स्थापना की गई, ताकि पुलिस की पहुँच बढ़ सके। पुलिस अधीक्षकों (SP) कार्यालयों में FIR काउंटर्स खोले गए। लखनऊ में पुलिस फॉरेंसिक यूनिवर्सिटी बन रही है। प्रत्येक जिले में साइबर सेल और जोन में साइबर थानों की स्थापना हुई, ताकि ऑनलाइन अपराधों पर शिकंजा कसा जा सके। आतंकी गतिविधियों की रोकथाम के लिए पुलिस की स्पेशल टीम बनी।

अनुपम कुमार सिंह: चम्पारण से. हमेशा राइट. भारतीय इतिहास, राजनीति और संस्कृति की समझ. बीआईटी मेसरा से कंप्यूटर साइंस में स्नातक.