मोदी है तो मुमकिन है, INDI गठबंधन चाय-समोसा पार्टी, नेहरू से गलती हुई… क्या जदयू MP के मार्फत ‘मन की बात’ कहलवा रहे नीतीश कुमार

नीतीश कुमार के सांसद के बदले सुर से लग रहे कई कयास (फोटो साभार: जी/बिजनेस स्टैंडर्ड)

अगस्त 2022 में जदयू ने बीजेपी को धोखा देकर बिहार में राजद, कॉन्ग्रेस और वाम दलों के साथ मिलकर सरकार बनाई थी। उसके बाद से ही जदयू के फिर से एनडीए में लौट आने के कयास लगते रहते हैं। नीतीश कुमार के पाला बदलने की अटकलों ने हालिया विधानसभा चुनावों में बीजेपी की शानदार जीत के बाद फिर से जोर पकड़ लिया है।

इन चुनाव के नतीजों के बाद नीतीश ने INDI गठबंधन की बैठक से भी किनारा कर लिया था, जबकि विपक्ष के कुनबा को एक मंच पर लाने के प्रयास उन्होंने ही एनडीए से अलग होने के बाद शुरू किए थे। हालाँकि यह दूसरी बात है कि INDI गठबंधन बनने के बाद नीतीश कुमार को वह भाव नहीं मिला जिसके सपने उन्होंने पाल रखे थे।

विधानसभा चुनावों के नतीजे आने के बाद नीतीश कुमार की पार्टी के एक सांसद के भी अचानक से सुर बदल गए हैं। ये सांसद हैं बिहार के सीतामढ़ी से चुने गए सुनील कुमार पिंटू। पिंटू ने पहले नतीजों को लेकर कहा कि मोदी है तो मुमकिन है। फिर उन्होंने INDI गठबंधन को चाय-समोसा पार्टी तक सीमित बताया। अब उन्होंने माना है कि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने कश्मीर के मसले पर वो गलतियाँ की थी, जिनका जिक्र केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 6 दिसंबर 2023 को लोकसभा में किया था।

अमित शाह ने लोकसभा में कहा था कि नेहरू की गलतियों के कारण ही पाक अधिकृत कश्मीर की समस्या पैदा हुई। इस पर पिंटू ने कहा कि जो भी बातें सदन में कही गई वह इतिहास के पन्नों में दर्ज है। यह तत्कालीन प्रधानमंत्री की चूक ही है कि कश्मीर के एक हिस्से पर आज पाकिस्तान का कब्जा है। इतना ही नहीं उन्होंने अगड़े-पिछड़े की राजनीति पर भी कॉन्ग्रेस को घेरा। कहा, “आज 70 साल के बाद राहुल गाँधी पिछड़ा-अति पिछड़ा कर रहे हैं। 70 साल तक कहाँ थे। उसके करना समाज का एक तबका बहुत पीछे है। जिसे पीछे होने के कारण समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए आरक्षण दिया जा रहा है।”

नेहरू की आलोचना पर सुनील कुमार पिंटू ने कहा कि वे पार्टी लाइन से अलग नहीं हो रहे हैं। लेकिन अगर हैदराबाद हमारे कब्जे में है और PoK पर दूसरे का कब्जा है तो इसका सीधा जिम्मेवार तत्कालीन प्रधानमंत्री को माना जाएगा। इससे पहले राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा के जीतने पर उन्होंने कहा था कि जनता ने इस बात मुहर लगा दी है कि ‘मोदी है तो मुमकिन है’।

पिंटू के बदले सुर को लेकर राजनीतिक गलियारों में अलग-अलग तरह के कयास लग रहे हैं। कुछ लोगों का मानना है कि उनके जरिए नीतीश कुमार राजनीतिक संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं। अतीत में भी यह देखने को मिला है कि कोई फैसला लेने से पहले इसी तरह नीतीश अपनी पार्टी के नेताओं से राजनीतिक संदेश देते रहते हैं। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि 2024 के आम चुनावों से पहले पिंटू बीजेपी नेतृत्व से करीबी साधने की कोशिश में हैं। वैसे भी 2019 का चुनाव उन्होंने तब जीता था, जब जदयू को बीजेपी का समर्थन हासिल था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया