ममता बनर्जी के रास्ते का घेराव करना वामपंथी छात्रों को पड़ा भारी, 150 अज्ञात लोगों पर मामला दर्ज

बंगाल सीएम ममता बनर्जी (फाइल फोटो)

पश्चिम बंगाल में सीएए के ख़िलाफ़ 11 जनवरी को आयोजित ममता बनर्जी की रैली का रास्ता रोकना वामपंथी छात्रों को महंगा पड़ गया। इस मामले के संबंध में मात्र 4 दिन के भीतर 150 अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज कर ली गई। अब आगे इन अज्ञातों की पहचान कर कार्रवाई होगी। फिलहाल इस मामले में कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अज्ञात लोगों के खिलाफ़ दर्ज किए गए केस में नुकसान पहुँचाने, आपराधिक धमकी देने के साथ-साथ गैर-जमानती धाराएँ भी शामिल हैं। इसके अतिरिक्त इस केस में एक जनसेवक को उसकी ड्यूटी करने से रोकने का मामला भी शामिल है।

जानकारी के अनुसार, हेयर स्ट्रीट पुलिस स्टेशन के एक सूत्र ने खुद यह सूचना दी है। ये वही स्टेशन है जहाँ पूरा मामला दर्ज किया गया ।

गौरतलब है कि 11 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मुलाकात के बाद संशोधित नागरिकता कानून और एनआरसी के ख़िलाफ धर्मतल्ला में विरोध प्रदर्शन कर रहे वामपंथी छात्र भड़क उठे थे।

खबरों के मुताबिक, उस रात करीब 8 बजे उग्र छात्रों के एक दल ने ममता बनर्जी की रैली के सामने जोरदार हंगामा किया था। इस दौरान जब पुलिस ने इन छात्रों को रोकना चाहा तो इन्होंने धक्का-मुक्की शुरु कर दी। स्थिति को सामान्य करने के लिए ममता बनर्जी को स्वयं ही इस मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा था। लेकिन बावजूद इसके हिंसक हुई छात्रों की भीड़ ने एक न सुनी। छात्रों ने इस दौरान पुलिस की घेराबंदी तोड़ी और आजादी के नारे लगाए।

माकपा से संबद्ध छात्र संगठन एसएफआई ने इस दौरान ममता बनर्जी पर आरोप लगाया था कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठक कर सीएए के खिलाफ लड़ाई कमजोर कर दी है। हालाँकि, बाद में ममता बनर्जी ने उन्हें अपनी ओर से स्पष्ट करते हुए बताया कि उन्होंने पीएम मोदी के साथ बैठक केवल राज्य के फायदे के लिए आर्थिक माँगों को लेकर की थी।

बता दें, न्यू मीडिया इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, एक पुलिस अधिकारी ने छात्रों पर दर्ज हुई एफआईआर पर कहा है कि उन्होंने ये एक्शन सुरक्षा लिहाज से लिया है। उनका कहना है, “अगर, कोई कोर्ट में हमारे ख़िलाफ़ याचिका दायर कर हम पर उन प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ कोई एक्शन न लेने का आरोप लगाता है, जिन्होंने उस दिन बैरीकेड तोड़े और मुख्यमंत्री के पास पहुँच गए, तो ये एफआईआर उन आरोपों में खारिज करने में मददगार होगी।”

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया