महाराष्ट्र: बीजेपी-शिवसेना सरकार के लिए हाई कोर्ट पहुॅंची ठाणे की महिला

उद्धव ठाकरे-देवेंद्र फडणवीस (फाइल फोटो)

महाराष्ट्र में भाजपा ने अजित पवार के नेतृत्व वाले एनसीपी धड़े के साथ मिलकर सरकार बना ली है। इस सरकार के भाग्य का फैसला आज सुप्रीम कोर्ट करेगा। सुप्रीम कोर्ट में शिवसेना-कॉन्ग्रेस-एनसीपी ने संयुक्त याचिका दायर कर रखी है। तीनों दल शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में सरकार बनाने का दावा भी कर रहे हैं।


बावजूद एक महिला ने भाजपा और शिवसेना की साझा सरकार बनने की उम्मीद नहीं छोड़ी है। दोनों दलों ने विधानसभा चुनाव मिलकर लड़ा था। जनादेश भी गठबंधन सरकार के पक्ष में था। लेकिन, ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद की मॉंग पर शिवसेना के अड़ने के कारण ऐसा नहीं हो पाया।

इस बीच महाराष्ट्र के ठाणे की रहने वाली प्रिया चौहान ने हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की है। इसमें उन्होंने कहा है कि राज्य में भाजपा-शिवसेना को जनता ने जनादेश दिया है। इसलिए उन्हें ही मिलकर सरकार बनानी चाहिए। याचिका में उच्च न्यायालय से शिवसेना-एनसीपी-कॉन्ग्रेस के चुनाव बाद हुए गठबंधन से मुख्यमंत्री बनाए जाने के खिलाफ निर्देश देने की माँग की गई है।

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प्रिया की तरफ से यह याचिका अधिवक्ता नितिन सातपुते ने दायर की। प्रिया ने अपनी याचिका में कोर्ट से केंद्र और राज्य को यह निर्देश देने का भी अनुरोध किया है कि चुनाव बाद बने भाजपा-अजित पवार के गठबंधन की सरकार भी नहीं होनी चाहिए।

याचिका में भाजपा-शिवसेना की सरकार नहीं बनने पर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की माँग भी की गई है। प्रिया ने याचिका में आरोप लगाया है कि भाजपा और शिवसेना दोनों ने मतदाताओं के साथ विश्वासघात किया है। वे अपने वादों को निभाने में नाकामयाब रहे और चुनाव के बाद उनका गठबंधन बदल गया है।

याचिका में दावा किया गया है कि भाजपा ने महाराष्ट्र की सत्ता में गैर-भाजपा गठबंधन के सरकार के आने की संभावना को देखते हुए राजनीतिक तंत्र का सहारा लिया। इसके साथ ही याचिका में राज्यपाल के महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन को रद्द करने के तरीके पर भी सवाल उठाए गए हैं, जिसमे देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की अनुमति दी गई थी। इसमें कहा गया है कि राज्यपाल ने पक्षपातपूर्ण तरीके से काम किया है और राज्यपाल के उच्च पद का मजाक उड़ाया है।

याचिका में आरोप लगाया गया है कि 22 और 23 नवंबर की रात को राज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री के रूप में देवेंद्र फडणवीस को शपथ ग्रहण दिला कर केंद्र में सत्ताधारी राजनीतिक दल के इशारे पर काम किया है। याचिकाकर्ता का कहना है कि ऐसा करके गवर्नर ने खुद को “बीजेपी के अवैध सत्ता में मोहरा” साबित कर दिया है। फिलहाल याचिका पर सुनवाई शुरू नहीं हुई है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया