महाराष्ट्र में राजनीति कब किस करवट बैठ जाए कहना मुश्किल है। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में प्रदेश में चल रही शिवसेना, कॉन्ग्रेस और एनसीपी की गठबंधन सरकार के मतभेद आए दिन सामने आते रहते हैं। भीमा-कोरेगॉंव के मसले ने इसे और गहरा दिया है।
भीमा-कोरेगाँव मामले की जाँच पुणे पुलिस से एनआइए को सौंपे जाने को लेकर एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने उद्धव सरकार की आलोचना की थी। उन्होंने कहा था कि महाराष्ट्र पुलिस में कुछ लोगों का व्यवहार आपत्तिजनक था। पवार ने कहा था कि वो चाहते हैं कि इन अधिकारियों की भूमिका की भी जाँच होनी चाहिए।
अब पवार ने सोमवार (फरवरी 17, 2020) को महाराष्ट्र में अपने सभी मंत्रियों की बैठक बुलाई है। इस बैठक में एनसीपी के सभी 16 मंत्री शामिल होंगे। बताया जा रहा है कि यह बैठक पवार ने आनन-फानन में बुलाई है और इसके कारणों पर पार्टी ने कुछ नहीं बताया है।
वहीं, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भीमा-कोरेगाँव की जांँच केंद्रीय एजेंसी एनआईए को सौंपने को लेकर कहा कि वो इसके लिए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को धन्यवाद देते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि शरद पवार इस फैसले का विरोध कर रहे थे, उन्हें इस बात का डर लग रहा था कि कहीं सच सामने ना आ जाए।
https://twitter.com/AHindinews/status/1229010406292643840?ref_src=twsrc%5Etfwभाजपा नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शिवसेना को फिर से चुनाव लड़ने की चुनौती भी दी है। एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने शिवसेना, NCP और कॉन्ग्रेस गठबंधन को हराने की बात कही। फडणवीस ने कहा, “अगर शिवसेना को इतना ही भरोसा है, तो मैं उन्हें फिर से चुनाव लड़ने की चुनौती देता हूँ। शिवसेना, कॉन्ग्रेस और NCP गठबंधन को बीजेपी अकेले चुनाव में हराएगी।”
दूसरी ओर, महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने भी आज बयान दिया है कि कोई भी ज्योतिष यह नहीं बता सकता है कि महाराष्ट्र में गठबंधन की सरकार कितने दिन चलने वाली है। अजित पवार ने यह भी कहा कि चीजें तभी तक आराम से चल सकती हैं जब तक यह सोनिया गाँधी, शरद पवार और उद्धव ठाकरे के अनुसार चलेंगी।
इससे पहले कॉन्ग्रेस ने शनिवार को उद्धव सरकार की ओर से भीमा-कोरेगाँव मामले की जाँच राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) को सौंपे जाने पर सहमति को लेकर असहमति जताई थी। कॉन्ग्रेस के महाराष्ट्र प्रभारी मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा था कि यह उचित नहीं था। इस तरह की बातों को लेकर पार्टनर से विचार करना चाहिए। उन्होंने उद्धव ठाकरे के लिए कहा था कि वो पावर में हैं, लेकिन इसका इस्तेमाल विवेकपूर्ण तरीके से करना चाहिए था।
ज्ञात हो कि महाराष्ट्र में बीते विधानसभा चुनाव में बीजेपी और शिवसेना साथ चुनाव लड़ी थी। चुनाव नतीजों में गठबंधन को बहुमत भी मिले थे, लेकिन बाद में शिवसेना और भाजपा की राह अलग हो गई थी। इसके बाद शिवसेना ने कॉन्ग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाई और उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने।