26/11 के बाद एक्शन नहीं लेना, कमजोरी की निशानी: कॉन्ग्रेसी नेता मनीष तिवारी ने मनमोहन-सोनिया दोनों पर साधा निशाना?

मनीष तिवारी के बागी तेवर झेल पाएगी कॉन्ग्रेस?

10 FLASHPOINTS; 20 YEARS: NATIONAL SECURITY SITUATIONS THAT IMPACTED INDIA – यह एक किताब है। कॉन्ग्रेसी नेता मनीष तिवारी ने लिखी है। बाजार में यह 1 दिसंबर 2021 से उपलब्ध होगी। खबर यह है कि लेखक ने अपनी ही पार्टी की इस किताब में खबर ले ली है।

मनीष तिवारी का कहना है कि 26/11 के बाद पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए थी। तब की कॉन्ग्रेसी मनमोहन सरकार को घेरते हुए लेखक ने लिखा है कि एक ऐसे देश के लिए जो सैकड़ों निर्दोष लोगों के नरसंहार पर भी झिझकता नहीं है, उसके साथ संयम बरतना शक्ति का प्रतीक नहीं है, बल्कि इसे कमजोरी की निशानी माना जाता है।

10 FLASHPOINTS; 20 YEARS नाम की किताब से, साभार: मनीष तिवारी का ट्विटर वॉल

10 FLASHPOINTS; 20 YEARS नाम की अपनी आने वाली किताब में कॉन्ग्रेसी नेता मनीष तिवारी ने 26/11 मुंबई हमले की तुलना अमेरिका के 9/11 से की है। उन्होंने 26/11 के बाद “शब्दों से ज्यादा कार्रवाई की गूँज (actions must speak louder than words)” की वकालत करते हुए लिखा है कि भारत को उस समय अमेरिका की तरह ही जवाबी कार्रवाई करनी चाहिए थी।

मनीष तिवारी के बागी तेवर पुराने

26 नवंबर 2019 की बात है। मनीष तिवारी ने तब एक ट्वीट किया था।

उस समय भी मनीष तिवारी के ट्वीट का सारांश यही था – अगर अमेरिका में 26/11 के हमले हुए होते तो पाकिस्तान का क्या होता? अमेरिका में 9/11 के हमले के बाद अलकायदा को टार्गेट करते हुए अमेरिका ने खुद के देश में संदिग्ध आरोपितों और अफगानिस्तान के साथ जो किया, निश्चित ही लेखक के मन में वो रहा होगा और उसे भारत के साथ उन्होंने जोड़ा।

2019 का ट्वीट और अब 10 FLASHPOINTS; 20 YEARS नाम की किताब – मनीष तिवारी निश्चित ही मनमोहन सरकार और कॉन्ग्रेसी सुप्रीमो सोनिया गाँधी पर निशाना साधते दिख रहे हैं। शायद अपने उन कॉन्ग्रेसी साथियों पर भी, जिन्होंने हिंदू टेरर / भगवा आतंक की कहानी गढ़ कर 26/11 को RSS की साजिश बताने की राजनीति खेली थी।

राहुल गाँधी से भी नाराज मनीष तिवारी?

पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने पार्टी के पूर्व अध्यक्ष और अभी तक युवा नेता राहुल गाँधी पर परोक्ष रूप से निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पार्टी को हिंदू और हिंदुत्व के बहस से दूर रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि मंदिर, गिरजाघर, गुरुद्वारा या मस्जिद में माथा टेकने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन यह किसी की राजनीति का आधार नहीं होना चाहिए।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया