‘अगर मोदी सच में OBC होते तो RSS उन्हें प्रधानमंत्री नहीं बनने देता’: मायावती

मायावती की फाइल फोटो

नरेंद्र मोदी पर हमला बोलते हुए मायावती ने उनकी जाति पर एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं। उन्होंने दावा किया है कि RSS उन्हें प्रधानमंत्री कतई न बनने देता अगर वे सच में पिछड़ी जाति के होते। मायावती ने प्रधानमंत्री पर जातिगत हमला जारी रखते हुए यह भी कहा वह जन्मजात पिछड़े नहीं हैं और उन्होंने ‘असली जातिवाद’ नहीं झेला है।

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अखिलेश ‘असली’ पिछड़े क्योंकि ‘ऑन-पेपर’ पिछड़े

मायावती ने अपनी प्रेस-कांफ्रेंस में पिछड़े की अनूठी परिभाषा सामने रखी। उनके अनुसार चूँकि मोदी के जन्म और बचपन के समय उनकी जाति मोद-घाँची गुजरात में ओबीसी में नहीं गिनी जाती थी इसलिए मोदी को उनका दर्द नहीं पता होगा। इसके उलट अखिलेश यादव ‘ऑन-पेपर’ पिछड़े’ हैं इसलिए उनका पिछड़ापन ‘असली’ है।

हालाँकि यह बयान देते समय वह एक-दो बातें भूल गईं। पहली कि गरीब चायवाले के परिवार में पैदा होने और किशोरावस्था में ही सन्यासी हो जाने के कारण नरेंद्र मोदी का प्रारंभिक जीवन भौतिक सुख-सुविधाओं से बहुत दूर रहा, वहीं मायावती के गठबंधन-मित्र अखिलेश यादव के पिता मुलायम अखिलेश के जन्म से 4 साल पहले ही विधायक बन चुके थे; यानि सत्ता की मलाई कटने लगी थी। अखिलेश जब महज़ चार साल के थे तब मुलायम राज्य सरकार के मंत्री भी बन गए थे।

17 साल की उम्र में जहाँ मोदी हायर सेकेंडरी पास कर घर छोड़ने और देश के दूसरे ध्रुवीय कोने में स्थित कोलकाता के बेलूर मठ जाने की तैयारी कर रहे थे, वहीं उसी उम्र में मायावती के गठबंधन-मित्र अखिलेश अपने पिता के मुख्यमंत्रित्व से परिवार को मिलने वाले का आनंद उठा रहे थे।

दूसरी बात जो मायावती मोदी का राजनीतिक विरोध करते-करते भूल गईं वह यह कि अनुसूचित जाति/दलितों के उलट पिछड़ी जातियों के पिछड़ेपन के विमर्श में आर्थिक फैक्टर महत्वपूर्ण हो जाता है। अतः चाहे मोदी जन्म के समय मोद-घाँची पिछड़े रहें हों या ना रहे हों, अमीरी में पैदा हुए और पले-बढ़े अखिलेश के मुकाबले वह कहीं ज्यादा पिछड़े माने जाएँगे।

मोदी ने नहीं कराया था अपनी जाति को पिछड़ों में शामिल

नरेंद्र मोदी के इर्द-गिर्द हो रहे राजनीतिक विमर्श को जाति तक समेटने की जल्दी में मायावती ने भूतकाल में झूठ बोलने से भी गुरेज नहीं किया है। गत 27 अप्रैल को ही उन्होंने आरोप लगाया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद अपनी जाति को ओबीसी में शामिल अपने मुख्यमंत्री रहते करा दिया था। इसका ऑपइंडिया ने फैक्ट-चेक किया था तो पाया था कि मोद-घाँचियों को अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल मोदी के मुख्यमंत्रित्व काल 2001-14 में नहीं बल्कि 1994 में ही कर दिया गया था। उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री कॉन्ग्रेस के छबीलादास मेहता थे और मोदी तो राजनीति से ही अल्प-विराम लेकर अहमदाबाद में एक स्कूल की स्थापना में लगे थे।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया