बदरुद्दीन अजमल की रैलियों में ‘जादुई पानी’ के लिए मची रही धक्का-मुक्की, समर्थकों का दावा- ठीक होती हैं बीमारियाँ

2016 असम पंचायत चुनाव के दौरान भी बदरुद्दीन अजमल इस कारण से चर्चा में रहे थे (फाइल फोटो)

असम में विधानसभा चुनाव संपन्न हो गए हैं। राज्य में कॉन्ग्रेस ने इस बार बदरुद्दीन अजमल की AIUDF के साथ गठबंधन किया था, जो कट्टरवादी मुस्लिम नेता माने जाते हैं। चुनाव के दौरान अजमल का ‘जादुई पानी (Healing Water)’ खासा चर्चा में रहा, जिसे लेने के लिए कई मुस्लिम लाइन लगाते हैं। उनकी चुनावी रैलियों में अजमल के आशीर्वाद के लिए लोगों ने उस पानी के लिए गजब की धक्का-मुक्की मचाई।

उनके समर्थकों का मानना है कि इस पानी से बड़ी से बड़ी समस्याएँ दूर हो जाती हैं और बीमारियाँ भी चमत्कारिक रूप से ठीक हो जाती हैं। असम के धुबरी जिले में अजमल की एक जनसभा हुई थी, जिसका वीडियो वायरल हो रहा है। इसमें देखा जा सकता है कि बदरुद्दीन अजमल एक कंटेनर में रखी हुई ‘जादुई पानी’ को लोगों के ऊपर छींट कर उन्हें आशीर्वाद दे रहे हैं। कइयों का मानना है कि वो वोट के लिए इस तरह के हथकंडे अपना रहे हैं।

हालाँकि, ये पहली बार नहीं है कि अजमल ने इस तरह की तिकड़म अपनाई हो। 2016 में हुए असम विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने अपनी रैलियों में ये तिकड़म आजमाया था और 2019 लोकसभा चुनाव में भी इस पानी की चर्चा हुई थी। मौलवियों का कहना है कि अजमल किसी को नहीं कहते हैं कि वो उनका ‘जादुई पानी’ ले लें। उन्होंने दावा किया कि अजमल के समर्थकों और अनुयायियों ने दबाव डाला कि वो उन्हें इस तरह का पानी दें।

चूँकि, बदरुद्दीन अजमल भी कभी एक मौलाना थे, इसीलिए मुस्लिमों को उन पर इतना विश्वास है। गुवाहाटी स्थित दक्षिणगाँव शाही जामा मस्जिद के पेशे इमाम मोफीदुल इस्लाम ने कहा कि अजमल पहले से ही मजहबी गतिविधियाँ चलाते रहे हैं। उन्होंने कहा कि लोग उनसे भी इसी तरह की पानी की माँग करते हैं, लेकिन वो हमेशा इनकार कर देते हैं। लेकिन, साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि अगर अत्यधिक विश्वास करके कुछ माँगते हैं तो फिर वो उन्हें जो चाहिए वो दे देते हैं।

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उन्होंने कहा कि जनता के दबाव के कारण अजमल को ऐसा करना पड़ रहा है। हालाँकि, असम में भाजपा के नेता मोइमुल अजमल ने कहा कि बदरुद्दीन अजमल द्वारा ये सब कुछ मुस्लिम वोटरों को रिझाने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अजमल सोशल मीडिया पर भी ऐसा ही कर रहे हैं और इन चीजों का विरोध होना चाहिए। उन्होंने इसे मजहब के नाम पर वोट माँगना करार दिया और कहा कि चुनाव आयोग को इस पर कार्रवाई करनी चाहिए।

कुछ दिनों पहले बदरुद्दीन अजमल ने जनसंख्या नियंत्रण पर बोलते हुए कहा था, “करंट नहीं है। बिजली नहीं है। अब इंसान हैं वो भी। गरीब जब रात को उठेगा। मियाँ-बीवी हैं। दोनों जवान हैं। तो फिर रात को क्या करेंगे? वो बच्चे ही तो पैदा करेंगे।” हाल ही में उनके बेटे अब्दुर रहीम अजमल ने विवाद पैदा करते हुए कहा था, “इस बार यह गरीब लोगों की सरकार होगी। सरकार में दाढ़ी, टोपी और लुंगी वाले पुरुष होंगे।”

असम में हाल में संपन्न हुए चुनाव में 82% वोटर टर्नआउट हुआ। 3 चरणों में मतदान संपन्न कराया गया। पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार 2.68% कम वोटिंग हुई। असम में लगातार तीन बार मुख्यमंत्री बनने वाले कॉन्ग्रेस के तरुण गोगोई अब दिवंगत हो चुके हैं। ओपिनियन पोल्स का भी कहना है कि सर्वानंद सोनवाल के नेतृत्व वाली भाजपा की सरकार लौट रही है। भाजपा नेता हिमंत बिस्वा सरमा भी खासे लोकप्रिय हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया