रंगनाथस्वामी में ‘कम्ब रामायण’ का पाठ, रामेश्वरम में रोड शो… PM मोदी की एक झलक पाने को बेताब दिखी तमिलनाडु की जनता, समुद्र में भी लगाई डुबकी

तमिलनाडु के मंदिरों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की पूजा-अर्चना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तमिलनाडु के दौरे पर हैं। पीएम सुबह करीब 11 बजे तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में श्री रंगनाथस्वामी मंदिर पहुँचे। यहाँ उन्होंने एक कार्यक्रम में हिस्सा लेते हुए विद्वानों से कम्‍ब रामायणम के पाठ सुने। पीएम मोदी ने श्री रंगनाथस्वामी के दर्शन कर आशीर्वाद लिए। इसके बाद वो रामेश्वरम पहुँचे, जहाँ उन्होंने रोड शो भी किया। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी की एक झलक पाने के लिए लोग बेताब दिखे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रामेश्नवम में श्री अरुलमिगु रामनाथस्वामी मंदिर पहुँचे और भगवान के दर्शन किए।

तमिलनाडु दौरे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार (20 जनवरी 2024) को तमिलनाडु के रामेश्वरम में श्री अरुलमिगु रामनाथस्वामी मंदिर में पूजा-अर्चना की। प्रधानमंत्री ने यहाँ समुद्र में पवित्र डुबकी भी लगाई। यहाँ प्रधानमंत्री को कई तीर्थों के पूजित जल से स्नान कराया गया। इसके बाद प्रधानमंत्री ने मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना भी की। इसके साथ ही पीएम मोदी ‘श्री रामायण पारायण’ कार्यक्रम में भाग लिया। इस कार्यक्रम में आठ अलग-अलग पारंपरिक मंडलियां संस्कृत, अवधी, कश्मीरी, गुरुमुखी, असमिया, बांग्‍ला, मैथिली और गुजराती में रामकथा (श्री राम की अयोध्या वापसी के प्रसंग का वर्णन) का पाठ किया गया। पीएम मोदी श्री अरुलमिगु रामनाथस्वामी मंदिर रामेश्वरम में भजन संध्या में भी शामिल हुए।

इससे पहले, पीएम नरेन्द्र मोदी ने यहाँ श्रीरंगम में रामायण से जुड़े प्राचीन मंदिर श्री रंगनाथस्वामी मंदिर में पूजा-अर्चना की और विद्वानों से ‘कम्ब रामायण’ का पाठ सुना। तमिलनाडु के इस प्राचीन मंदिर में आनेवाले वह देश के पहले प्रधानमंत्री हैं। उन्होंने इस दौरान पारंपरिक परिधान वेष्टि यानी धोती और अंगवस्त्रम यानी शॉल पहना था और भगवान विष्णु के मंदिर में पूजा-अर्चना की।

पीएम मोदी ने इस दौरान श्री रंगनाथस्वामी के दर्शन किए। उन्हें मंदिर के पुजारियों ने ‘सदरी’ प्रदान की। प्रधानमंत्री ने वैष्णव संत-गुरु श्री रामानुजाचार्य और श्री चक्रथाझवार को समर्पित कई ‘सन्नाधि’ (देवताओं के लिए अलग-अलग पूजास्थल) में प्रार्थना की। उन्होंने मंदिर में हाथी को भोजन देकर उसका आशीर्वाद भी प्राप्त किया। मंदिर के इष्टदेव को तमिल में ‘रंगनाथर’ के नाम से जाना जाता है।

इस मंदिर में ही प्रधानमंत्री ने ‘कंब’ रामायण के छंद सुने जो रामायण के प्राचीन संस्करणों में से एक है। ‘कम्ब’ रामायण की रचना महान तमिल कवि कंबर ने 12वीं शताब्दी में की थी। प्रधानमंत्री ने जिस मंदिर में दर्शन किए हैं उसका ‘कंब’ रामायण से गहरा संबंध है। आईए, जिन मंदिरों में प्रधानमंत्री जा रहे हैं, उनके बारे में आपको बताते हैं।

त्रिची में श्री रंगनाथस्वामी मंदिर

त्रिची के श्रीरंगम में स्थित यह मंदिर देश के सबसे प्राचीन मंदिर परिसरों में से एक है। इसका उल्लेख पुराणों और संगम युग के ग्रंथों सहित विभिन्न प्राचीन ग्रंथों में मिलता है। यह अपनी स्थापत्य भव्यता और अपने असंख्य प्रतिष्ठित गोपुरमों के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर में पूजे जाने वाले मुख्य देवता श्री रंगनाथ स्वामी हैं, जो भगवान विष्णु के शयन रूप में हैं। वैष्णव धर्मग्रंथों में इस मंदिर में पूजी जाने वाली मूर्ति और अयोध्या के बीच संबंध का उल्लेख है। ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु की जिस मूर्ति की पूजा श्री राम और उनके पूर्वज करते थे, उसे उन्होंने लंका ले जाने के लिए विभीषण को दे दी थी। रास्ते में यह मूर्ति श्रीरंगम में स्थापित कर दी गई।

महान दार्शनिक और संत रामानुजाचार्य भी इस मंदिर के इतिहास से गहराई से जुड़े हुए हैं। इसके अलावा, इस मंदिर में कई महत्वपूर्ण स्थान हैं – उदाहरण के लिए, प्रसिद्ध कम्ब रामायणम को पहली बार तमिल कवि कंबन ने इसी मंदिर परिसर में सार्वजनिक रूप से प्रस्तुत किया था।

रामेश्वरम में श्री अरुलमिगु रामनाथस्वामी मंदिर

इस मंदिर में पूजे जाने वाले मुख्य देवता श्री रामनाथस्वामी हैं, जो भगवान शिव का एक रूप हैं। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में मुख्य लिंगम की स्थापना और पूजा भगवान राम और माता सीता ने की थी। यह मंदिर सबसे लम्‍बे गलियारे और अपनी सुंदर वास्तुकला के लिए भी प्रसिद्ध है। यह चार धामों बद्रीनाथ, द्वारका, पुरी और रामेश्वरम में से एक है। यह 12 ज्योतिर्लिंगों में से भी एक है।

धनुषकोडी में श्री कोठंडारामस्वामी मंदिर

अपने दौरे के दूसरे दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी धनुषकोड़ी के कोठंडारामस्वामी मंदिर में जाएँगे। यह मंदिर कोठंडाराम स्वामी को समर्पित है। कोठंडाराम नाम का अर्थ धनुषधारी राम है। यह धनुषकोडी नामक स्थान पर स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि यहीं पर विभीषण पहली बार भगवान राम से मिले थे और उनसे शरण माँगी थी। इसके बारे में ऐसा भी कहा जाता है कि यही वह स्थान है जहाँ भगवान राम ने विभीषण का राज्याभिषेक किया था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया