प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार (फरवरी 7, 2020) को असम के कोकराझार में एक विशाल जनसभा को सम्बोधित किया। बोडोलैंड समस्या का हल होने के बाद असम में चल रहा सीएए विरोध प्रदर्शन ठंडा पड़ गया है। जिस असम में जापान के पीएम शिंजो अबे के साथ होने वाला कार्यक्रम रद्द करना पड़ा था, वहाँ पीएम के स्वागत में बाइक रैली निकाली गई और लाखों दीप जलाए गए। सीएए लागू होने के बाद यह पीएम का पहला उत्तर-पूर्व दौरा है। 27 जनवरी को हुए बोडो समझौते में 6 विभिन्न उग्रवादी धड़ों ने सरकार के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किया था।
इस दौरान प्रधानमंत्री ने राहुल गाँधी के विवादित बयान का जवाब देते हुए कहा कि कभी-कभी लोग मोदी को डंडा मारने की बात करते हैं। उन्होंने कहा कि जिस मोदी को इतनी बड़ी मात्रा में माताओं-बहनों का सुरक्षा कवच मिला हो, उस पर कितने ही डंडे गिर जाएँ उसको कुछ नहीं होता। इस दौरान पीएम ने सभी बोडो संगठनों की भी प्रशंसा की, जिन्होंने हिंसा का मार्ग त्याग कर असम में शांति स्थापना हेतु समझौते पर हस्ताक्षर किया। उन्होंने कहा कि आज का दिन असम सहित पूरे उत्तर-पूर्व के लिए 21वीं सदी में एक नई शुरुआत, एक नए सवेरे और नई प्रेरणा का स्वागत करने वाला है।
The entire issue of Northeast was serious and we worked on it with a new approach. We understood the aspirations and emotional context of different regions of the Northeast.
— BJP (@BJP4India) February 7, 2020
We conversed with them and made them feel one of our owny: PM Modi #AssamWelcomesModi #BodoPeaceAccord pic.twitter.com/a5ngfCrofc
पीएम ने ऐतिहासिक बोडो लैंड समझौते का जिक्र करते हुए कहा कि अब असम में अनेक साथियों ने शांति और अहिंसा का मार्ग स्वीकार करने के साथ ही लोकतंत्र को स्वीकार किया है, भारत के संविधान को स्वीकार किया है। पीएम मोदी ने बताया कि समझौते पर हस्ताक्षर के बाद अब विकास के अलावा कोई माँग नहीं बची है। उन्होंने बताया कि इस समझौते के बाद न सिर्फ़ बोडो, बल्कि अन्य लोगों को भी ख़ासा फायदा होगा। प्रधानमंत्री ने कहा:
“अकॉर्ड के तहत BTAD (बोडोलैंड टेरिटोरियल रीजन) में आने वाले क्षेत्र की सीमा तय करने के लिए कमीशन भी बनाया जाएगा। इस क्षेत्र को 1500 करोड़ रुपए का स्पेशल डेवलपमेंट पैकेज मिलेगा, जिसका बहुत बड़ा लाभ कोकराझार, चिरांग, बक्सा और उदालगुड़ि जैसे जिलों को मिलेगा। हमने नॉर्थईस्ट के अलग-अलग क्षेत्रों के भावनात्मक पहलू को समझा, उनकी उम्मीदों को समझा,यहाँ रह रहे लोगों से बहुत अपनत्व के साथ, उन्हें अपना मानते हुए संवाद कायम किया। जिस नॉर्थईस्ट में हिंसा की वजह से हजारों लोग अपने ही देश में शरणार्थी बने हुए थे, अब यहाँ उन लोगों को पूरे सम्मान और मर्यादा के साथ बसने की नई सुविधाएँ दी जा रही हैं।”
पीएम मोदी ने कहा कि जिस नॉर्थ-ईस्ट को पहले दिल्ली से दूर बताया जाता है, अब उसी नार्थ-ईस्ट के दरवाजे पर दिल्ली आ गई है। उन्होंने बताया कि अब तक उत्तर-पूर्व की समस्याओं को यूँ ही छोड़ दिया जाता था लेकिन मौजूदा सरकार ने राष्ट्रहित में क़दम उठाना शुरू किया। उन्होंने जानकारी दी कि त्रिपुरा, मिजोरम, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश के अधिकतर हिस्सों से AFSPA (Armed Forces Special Power Act) से मुक्त हो चुका है। पहले इन राज्यों के अधिकतर हिस्सों में आफस्पा लगा रहता था।
असम के बोगिबिल पुल का निर्माण कार्य डेढ़ दशक बाद पूरा कराया जा सका। पीएम ने इसकी भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि इससे लाखों लोगों को कनेक्टिविटी मिली है और ‘अलगाव’ को ‘लगाव’ में बदला गया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय मीडिया में नार्थ-ईस्ट की संस्कृति को प्रमोट किया गया है। उन्होंने महाभारत का जिक्र करते हुए बताया कि भगवान श्रीकृष्ण ने बीच युद्ध में पाण्डवों से कहा था कि किसी भी प्राणी से बैर न रखने वाला प्राणी भी मेरा है। दरअसल, उन्होंने भगवद्गीता के निम्नलिखित श्लोक का जिक्र किया:
मत्कर्मकृन्मत्परमो मद्भक्तः सङ्गवर्जितः।
निर्वैरः सर्वभूतेषु यः स मामेति पाण्डव।।11.55।।
हे पाण्डव! जो पुरुष मेरे लिए ही कर्म करने वाला है, और मुझे ही परम लक्ष्य मानता है, जो मेरा भक्त है तथा संगरहित है, जो भूतमात्र के प्रति निर्वैर है, वह मुझे प्राप्त होता है।
प्रधानमंत्री ने ये कहते हुए सम्बोधन का समापन किया कि उन्हें उत्तर-पूर्व में जो प्यार मिला है, वैसा प्यारा शायद ही किसी राजनेता को मिला है या फिर आगे मिलेगा। उन्होंने कहा कि जिस नार्थ-ईस्ट में जाने से लोग डरते थे, अब वही नार्थ-ईस्ट लोगों का टूरिस्ट डेस्टिनेशन बन गया है।