राहुल गाँधी: एक ही रैली में 10 झूठ

PM मोदी को जेल भेजने की धमकी देने वाले राहुल ख़ुद कौन-सी जेल जाएँगे

राजस्थान के सूरतगढ़ में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी अपनी ही रौ में बह गए। और बहे भी ऐसे कि एक-के-बाद-एक करते-करते 10 झूठ एक ही रैली में बोल आए।

1. कॉन्ग्रेस की ‘विचारधारा’

राहुल गाँधी दावा करते हैं कि आगामी लोकसभा चुनाव ‘विचारधारा’ की लड़ाई हैं, और इस लड़ाई में वह और कॉन्ग्रेस ही भारत के एकलौते तारक-उद्धारक हैं। वह भाजपा (जो कि 1980 में बनी ही थी) पर 1947 में विभाजन के समय भारत के विभाजन का समर्थन करने का आरोप लगाते हैं, और अपनी पार्टी को एकता, प्रेम, और भाईचारे का समर्थक बताते हैं।

पर सच्चाई इसके उलट है। कॉन्ग्रेस वही पार्टी है जिसने ‘हिन्दू आतंकवाद’ का शिगूफा छेड़ा और भारत की छवि बर्बाद की। राहुल गाँधी खुद अमेरिकी राजदूत से एक शाखा लगा कर व्यायाम-देशभक्ति सिखाने और बाढ़ में स्वयंसेवक भेजने वाले आरएसएस को आतंकी अल-कायदा से खतरनाक संगठन बता आए थे। साधुओं को जेल भेजने और मोदी को सत्ताच्युत करने की अपील पाकिस्तान में करने वाली भी यही पार्टी है।

हिन्दुओं को जाति से लेकर भाषा तक हर तरीके से बाँटना और समुदाय विशेष को एकजुट कर, तुष्टीकरण कर, वोटबैंक बनाना ही कॉन्ग्रेस की नीति है।

2. ‘मोदी ने मनरेगा बर्बाद कर दिया’

राहुल गाँधी के अनुसार मोदी ने मनरेगा और अन्य जनकल्याण योजनाओं को राजनीतिक विद्वेष के चलते बर्बाद कर दिया। यह दावा भी यथार्थ के विपरीत है। राजग सरकार ने न केवल मनरेगा में न केवल आमूलचूल सुधार किए, ताकि लाभार्थियों तक इसके लाभ सीधे पहुँचें, बल्कि इसके लिए बजट आवंटन भी सर्वकालिक उच्चतम स्तर ₹60,000 करोड़ मोदी सरकार के इस वर्ष के अंतरिम बजट में हुआ है।

3. ‘HAL के मिग-21 से बालाकोट पर हमला’

राफेल का मुद्दा नाहक उठाने में राहुल गाँधी को सरकारी विमान-निर्माण कम्पनी HAL से अत्याधिक प्रेम हो गया है। रैली में उन्होंने दावा किया कि HAL के बनाए मिग-21 विमानों से ही बालाकोट पर हमला हुआ था। जबकि बालाकोट पर बमबारी मिराज-2000 लड़ाकू जेटों से की गई थी। इसे बनाने वाली वही दसाँ है जिससे कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राफेल बनाने को लेकर खफा हैं। वहीं HAL के काम-काज पर संसद की वह समिति सवाल खड़े कर चुकी है जिसके मुखिया कॉन्ग्रेस के लोकसभा दल के नेता श्री मल्लिकार्जुन खड़गे हैं।

4. ‘राफेल…’

राफेल का भूत राहुल गाँधी के फिर से चिपट गया। बीच में ऐसा लगा था कि जब ऑपइंडिया ने राफेल की डील असफल होने में उनका निजी आर्थिक हित दिखा दिया तो राफेल वाला भूत शायद उतर गया हो, पर इस रैली में वह फिर इसी भूत से पीड़ित नज़र आए।

राफेल की संप्रग सरकार के समय कीमत और शर्तों से लेकर दसाँ द्वारा अनिल अम्बानी के चयन की प्रक्रिया तक वह हर पहलू पर झूठ बोलते पकड़े गए हैं। यहाँ तक कि वह कभी यह दावा करते थे कि पूर्व रक्षा मंत्री पार्रिकर ने उनके कान में घोटाले की बात कबूली, तो कभी पत्रकार एन राम के फोटोशॉप किए गए रक्षा मंत्रालय के नोट से दोबारा उन्हीं पार्रिकर को उनके अंतिम दिनों में घेरने की कोशिश करते।

5. ‘मोदी ने अम्बानी को ₹30,000 करोड़ दिए’

राहुल गाँधी कभी यह साफ-साफ नहीं बता पाए कि आखिर मोदी ने अम्बानी को कितने का ‘गलत फायदा’ पहुँचाया। वह कभी ₹1 लाख करोड़ कहते हैं, कभी ₹1 लाख 30 हजार करोड़, कभी 1 लाख उड़ा कर केवल ₹30 हजार करोड़।

जबकि सच्चाई यह है कि ऑफसेट का पूरा कॉन्ट्रैक्ट ही ₹29,000 करोड़ का है जिसमें दसाँ के अलावा MBDA, Thales और Safran नामक तीन और कम्पनियों की भी देनदारी बनती है।

6. ‘अमीरों का कर्जा माफ़ किया’

कॉन्ग्रेस अध्यक्ष यह भी अक्सर कहते हैं कि मोदी ने अमीरों का कर्जा कर दिया। पर कितने का किया, यह संख्या भी चुनाव पास आने के साथ बढ़ती रहती है। 2017 में गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान यह आँकड़ा ₹20,000 करोड़ था, जो आज ₹3.5 लाख करोड़ हो गया।

एक बार फिर अगर हम सच्चाई के आईने को देखें तो अमीरों का कर्जा माफ करना तो दूर, मोदी सरकार ने ₹9,000 करोड़ न चुकाने पर विजय माल्या की ₹13,000 करोड़ की संपत्ति जब्त कर ली, और Insolvency and Bankruptcy Code के जरिए 2 साल में ₹3 लाख करोड़ की वसूली कर्ज लेकर न चुकाने वाले बड़े लेनदारों से की।

7. ‘हमने 2 दिन में किसानों का कर्जा माफ किया’

जिन राज्यों में कॉन्ग्रेस हालिया समय में राज्य सरकार में आई है, वहाँ कर्ज माफी का आलम यह है कि किसान सर पीट रहे हैं। किसी ने कर्ज-माफी स्कीम में खुद के अपात्र होने पर आत्महत्या कर ली, तो ₹24,000 की कर्ज माफी की उम्मीद में किसी को ₹13 से ही संतोष करना पड़ा। किसान सामूहिक आत्महत्या की भी धमकी दे रहे हैं।

राजस्थान में ही, जहाँ राहुल गाँधी बोल रहे थे, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कर्ज माफी न कर पाने का ठीकरा भाजपा के सर फोड़ दिया। वहीं कर्नाटक में कर्ज-माफी के बाद भी किसानों को कर्ज चुकाने का नोटिस थमाया जाना जारी है। ₹44,000 करोड़ की कर्ज माफी का दावा करने वाली कर्नाटक की संप्रग सरकार केवल 800 लाभार्थी प्रस्तुत कर पाई।

8. ‘विजय माल्या से मिले अरुण जेटली’

राहुल गाँधी वित्त मंत्री अरुण जेटली पर आरोप लगाते हैं कि शराब व विमान कारोबारी ने विदेश फरार होने के पूर्व जेटली से ‘मुलाकात’ की थी। जेटली यह साफ कर चुके हैं कि माल्या ने राज्यसभा सदस्यता का दुरुपयोग कर उनसे बात करने का प्रयास भर किया था, पर उन्होंने बात करने से साफ मना कर दिया था।

फिर राहुल गाँधी एक कॉन्ग्रेस नेता को ‘चश्मदीद’ बना के ले आए कि जेटली-माल्या में 20 मिनट बात हुई थी। पर अरुण जेटली के उस दिन के शिड्यूल में ऐसी बातचीत ही नामुमकिन निकली

इसके अलावा यह भी सवाल लाजमी है कि मोदी या जेटली की अगर माल्या से कोई साठ-गाँठ होती तो क्या आज माल्या को प्रत्यर्पण और कर्ज की लगभग डेढ़गुणा संपत्ति का जब्त होना झेलना पड़ता?

9. ‘मोदी ने आलोक वर्मा को हटाया’

कॉन्ग्रेस अध्यक्ष ने यह भी दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट से अपनी नियुक्ति जीत कर आए सीबीआई प्रमुख अलोक वर्मा को मोदी ने गलत तरीके से हटा दिया। यहाँ भी सच्चाई कुछ और है। आलोक वर्मा की अदालती जीत प्रक्रियागत मुद्दा थी– सुप्रीम कोर्ट ने उनके हटाए जाने के फैसले पर टिप्पणी न करते हुए केवल यह पाया था कि उन्हें हटाने के लिए न्यायोचित प्रक्रिया का पालन नहीं हुआ था। सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक उन्हें हटाने का अधिकार केवल उन्हें नियुक्त करने वाली उस समिति का था जिसके सदस्य मुख्य न्यायाधीश, पीएम, और लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता थे।

आलोक वर्मा को अंत में इसी समिति के बहुमत के निर्णय से पदमुक्त किया गया

10. ‘जय शाह को मोदी ने पैसा दिया’

राहुल गाँधी ने मृतप्राय ‘जय शाह मुद्दे’ को फिर उछाल यह जताने की कोशिश की कि मोदी ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के बेटे जय शाह को गलत तरीके से पैसा दे कर उनके ₹50,000 के व्यापार को ₹80 करोड़ महीने का बना दिया था। इस आरोप का ऑपइंडिया विस्तृत रूप से खण्डन अपने पोर्टल पर छाप चुका है

आखिर में

राहुल गाँधी की चुनावी रणनीति साफ है- मीडिया के समुदाय विशेष की मदद से फर्जी ख़बरें फैलाते रहना, और जनता को बेहोश रखने के लिए ‘₹12,000 महीना’ जैसी हवा-हवाई स्कीमों का चूरन हवा में उड़ाते रहना। पर उनकी इस नीति को कितनी सफलता मिलेगी, यह वक्त ही तय करेगा।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया