कॉन्ग्रेस की राजस्थान सरकार ने 70 बसों से यूपी बॉर्डर तक बच्चों को भेजने लिए योगी सरकार को थमाया ₹36 लाख का बिल

कॉन्ग्रेस सरकार ने थमाया बच्चों को बॉर्डर तक छोड़ने का लम्बा चौड़ा बिल

कॉन्ग्रेस और बीजेपी सरकार में बसों को लेकर सियासी जंग जारी है। राजस्थान सरकार ने लॉकडाउन में फँसे कुछ छात्रों को कोटा से यूपी बॉर्डर तक छोड़ने के लिए यूपी सरकार से 36 लाख रुपए बसों का किराया और 19.50 लाख रुपए डीजल का वसूला है। जोकि उत्तर प्रदेश राज्य परविहन निगम द्वारा भुगतान कर दिया गया है।

जहाँ एक तरफ कॉन्ग्रेस की महासचिव प्रियंका गाँधी वाड्रा मजदूरों की हितैषी बन उनके लिए लॉकडाउन के चौथे चरण में 1000 बसों को यूपी बार्डर पर भेजने का इंतजाम कर रही थी। वहीं राजस्थान के कॉन्ग्रेस सरकार की तरफ़ से बच्चों को वापस उनके गृहराज्य भेजने के लिए यूपी सरकार को 36 लाख का बिल थमा दिया गया।

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शेष बच्चों के लिए यूपी सरकार ने माँगा था मदद

यूपी सरकार ने राजस्थान (कोटा) में लॉकडाउन की वजह से फँसे लगभग 12000 बच्चों के लिए 560 बसें यूपी से भेजी थी। सरकार ने अनुमान लगाया था कि इतनी बसों में सारे बच्चें आ जाएँगे। मगर सोशल डिस्टेंसिग के नियमों को देखते हुए बसों की संख्या कम पड़ गई।

जिसके चलते योगी सरकार ने राजस्थान सरकार से अपनी कुछ बसों से बचे हुए बच्चों को प्रदेश की सीमा स्थित फतेहपुर सीकरी और झाँसी तक पहुँचाने का अनुरोध किया। उसके बाद सीमा से वे बच्चों को वापस भेजने का इंतजाम कर देंगे। जिस पर राजस्थान सरकार ने 70 बसों का इंतजाम किया था। इसी बसों के किराया के लिए राजस्थान सरकार ने योगी सरकार को बिल भेजा था।

राजस्थान सरकार ने भेजा 19 लाख के डीजल का भी बिल

कॉन्ग्रेस की गहलोत सरकार की तरफ से भेजे गए बिल में कहा गया है कि राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम ने कोटा में फँसे उत्तर प्रदेश के छात्रों के लिए 70 बसें उपलब्ध कराई थी। इस के लिए 36,36,664 रुपए का खर्चा आया है। हालाँकि, राजस्थान सरकार की बसें जब छात्रों को लेने कोटा पहुँची थी, तभी डीजल के लिए उत्तर प्रदेश सरकार से 19 लाख रुपए ले लिया था, बावजूद इसके फिर से भारी भरकम बिल भेज दिया गया।

आपको बता दें, जहाँ एक तरफ राजस्थान सरकार ने बच्चों को यूपी बॉर्डर तक छोड़ने के लिए किराया वसूला वहीं दिल्ली बॉर्डर से जब उत्तर प्रदेश सरकार श्रमिक-कामगारों को ला रही थी, तब हरियाणा सरकार ने 350 बसें उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों तक भेजीं और उनका किराया भी नहीं लिया था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया