‘सोनिया गाँधी के विचार से पार्टी नहीं सहमत’: राजीव गाँधी के हत्यारों को SC द्वारा छोड़ने पर भड़की कॉन्ग्रेस; राहुल-प्रियंका भी कर चुके हैं माफ

गाँधी परिवार और जयराम एवं सिंघवी (फोटो साभार: एशियानेट/न्यूज24)

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी की हत्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (11 नवंबर 2022) सारे दोषियों को रिहा करने का निर्णय लिया है। कोर्ट ने मुख्य आरोपित की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि अगर दोषियों पर किसी और मामले में आरोप न हों तो सारे दोषियों को रिहा किया जाता है। कोर्ट के इस निर्णय पर अब कॉन्ग्रेस ने सवाल खड़ा किया है।

कॉन्ग्रेस के कम्युनिकेशंस इंचार्ज और महासचिव जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने कहा, “पूर्व पीएम राजीव गाँधी के हत्यारों को मुक्त करने का सुप्रीम कोर्ट का निर्णय अस्वीकार्य और पूरी तरह से गलत है। पार्टी इसकी आलोचना करती है और इसे अक्षम्य मानती है। दुर्भाग्यपूर्ण है कि सुप्रीम कोर्ट ने भारत की भावना के अनुरूप काम नहीं किया।”

उधर, कॉन्ग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, “इस मामले में जो केंद्र सरकार का स्टैंड है, वही पार्टी का है। पार्टी सोनिया गाँधी के विचार से सहमत नहीं है।” सिंघवी ने कहा कि पार्टी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ कानूनी विकल्प पर विचार करेगी। राजीव गाँधी की हत्या आम अपराध की तरह नहीं था। उन्होंने कहा कि वे अपने स्टैंड पर कायम रहे हैं। यह संस्थागत मामला है। एक पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या देश की एकता, अखंडता और पहचान से जुड़ा ममला है।

बता दें कि दिवंगत राजीव गाँधी की पत्नी और कॉन्ग्रेस की तत्कालीन अध्यक्ष सोनिया गाँधी (Sonia Gandhi), बेटे राहुल गाँधी (Rahul Gandhi) और बेटी प्रियंका गाँधी (Priyanka Gandhi) ने पूर्व प्रधानमंत्री के इन हत्यारों को माफ करने की बात कही थी। इनमें से एक आरोपित नलिनी को जब गिरफ्तार किया था, तब वह गर्भवती थी।

राजीव गाँधी की हत्या की एक महिला नलिनी श्रीहरण सहित चार दोषियों को अदालत ने फाँसी की सजा सुनाई थी। इसके बाद सोनिया गाँधी साल 1999 में तत्कालीन राष्ट्रपति केआर नारायणन को पत्र लिखकर चारों दोषियों को माफी देने की अपील की थी। इसके साथ ही उन्होंने अदालत से नलिनी के प्रति नरमी बरतने की अपील की थी। इसके बाद कोर्ट ने साल 2000 में नलिनी की फाँसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया था।

इसके बाद साल 2008 में प्रियंका गाँधी अपने पिता की हत्यारिन नलिनी से तमिलनाडु के वेल्लोर स्थित जेल में मुलाकात की थी। रिपोर्ट के मुताबिक, प्रियंका गाँधी नलिनी को काफी देर तक देखती रही थीं। इसके बाद रोते हुए उससे पूछा था कि ‘मेरे पिता बहुत अच्छे इंसान थे। उन्हें तुमने क्यों मार दिया। अगर कोई दिक्कत थी, तो बातचीत से मामला सुलझा सकती थीं। लेकिन मारने की क्या जरूरत थी’। प्रियंका ने कहा था कि उन्होंने नलिनी को दिल से माफ कर दिया है।

ऐसी ही बात राहुल गाँधी ने भी कही थी। साल 2021 में राहुल गाँधी ने कहा था कि उनके पिता की हत्या से उन्हें गहरा आघात लगा और काफी दुख हुआ, लेकिन अब उनके मन में कोई गुस्सा या घृणा नहीं है। राहुल ने कहा था, “मुझे किसी के प्रति गुस्सा या नफरत नहीं है। बेशक, मैंने अपने पिता को खो दिया और मेरे लिए यह बहुत कठिन समय था। इसका मुझे बेहद दुख हुआ, लेकिन मुझे नफरत या कोई गुस्सा नहीं है। मैं क्षमा करता हूँ।”

सोनिया गाँधी की 2014 में 6 अन्य हत्यारों की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया था। तमिलनाडु की तत्कालीन मुख्यमंत्री जयललिता ने इन लोगों को रिहा कराने की कोशिशें शुरू कर दी थीं। सुप्रीम कोर्ट ने भी एजी पेरारिवेलन को इस साल रिहा कर दिया था। इसके बाद नलिनी ने अपनी और अन्य हत्यारों की रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी थी।

बता दें कि राजीव गाँधी की हत्या 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में एक चुनावी रैली के दौरान धनु नाम के लिट्टे आत्मघाती हमलावर ने की थी। वह राजीव गाँधी को फूलों का हार पहनाने के बाद उनके पैर छूने के बहाने आगे आया और झुककर उसने कमर पर बंधे विस्फोटक को ब्लास्ट कर दिया। धमाके में राजीव गाँधी समेत कई लोगों की मौत हुई थी।

1999 में इस मामले में 26 लोगों को मृत्युदंड दिया गया। इनमें से 19 को पहले ही बरी कर दिया गया जबकि बाकी 7 सजा काटते रहे और इनकी सजा उम्रकैद कर दी गई। इनमें से नलिनी गर्भवती थीं जिन्हें सोनिया गाँधी ने ये कहकर माफ किया कि उनकी गलती की सजा उनके बच्चे को नहीं दी जा सकती जो अभी जन्मा ही नहीं है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया