गहलोत ने की राहुल गाँधी के खिलाफ गैंगबाजी, 26 सीटों पर समेटा पार्टी को: सचिन पायलट ने कहा – ‘मैं अभी भी कॉन्ग्रेसी’

सचिन पायलट ने कहा कि जब वो पार्टी के लिए मेहनत कर रहे थे, गहलोत चुप थे

राजस्थान के उप-मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने के बाद सचिन पायलट ने अपने राजनीतिक भविष्य के बारे में बहुत कुछ साफ़ करते हुए कहा है कि वो भाजपा में नहीं जाएँगे। उन्होंने कहा कि वो गहलोत नहीं हैं और न ही अपने लिए कुछ चाहते हैं, उनकी इच्छा है कि राजस्थान में उन वादों को पूरे किए जाएँ, जिन्हें चुनाव के वक़्त किया गया था।

सचिन पायलट ने कहा कि वसुंधरा राज सरकार में अवैध माइनिंग के खिलाफ कॉन्ग्रेस ने अभियान चलाया था। इसकी वजह से उन सब का अलॉटमेंट कैंसल हुआ था लेकिन अशोक गहलोत ने सत्ता में आने के बाद इस बारे में कुछ नहीं किया।

सचिन पायलट ने ‘इंडिया टुडे’ को दिए गए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में कहा कि 2017 में हुए एक संशोधन को हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया था, जिसका प्रयोग कर के वसुंधरा राजे ने खुद के लिए जयपुर में एक सरकारी बँगला रख लिया था और वो भी जीवन भर के लिए। सचिन पायलट का दावा है कि गहलोत ने वसुंधरा से वो बँगला खाली कराने की बजाए उलटा इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी।

सचिन पायलट ने कौशिक डेका को दिए गए इंटरव्यू में स्पष्ट आरोप लगाया कि अशोक गहलोत अपने पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे की मदद करने में लगे थे लेकिन सीएम ने उनके और उनके समर्थकों को वो सम्मान और जगह नहीं दी, जिसके वो हकदार थे। बकौल पायलट, अधिकारियों को उनका आदेश न मानने को कहा गया था और न ही उनके पास फ़ाइलें भेजी जाती थीं। कैबिनेट और सीएलपी की बैठक भी महीनों तक नहीं हुई।

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सचिन पायलट ने पूछा कि उनके पद पर बने रहने का फायदा ही क्या है, जब वो जनता से किए गए वादे को पूरा करने में सक्षम नहीं हो पा रहे थे? बकौल पायलट, उन्होंने कई बार पार्टी फोरम पर इन मुद्दों को उठाया और पार्टी प्रभारी अविनाश पांडे के समक्ष भी अपनी बात रखी। सचिन पायलट ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से भी बात की लेकिन जब बैठकें ही नहीं होती थीं तो चर्चा और बहस के लिए जगह ही कहाँ थी? पायलट ने ‘इंडिया टुडे’ के कौशिक डेका से कहा:

“इससे मेरे सम्मान को चोट पहुँची है। 2019 लोकसभा चुनाव में कॉन्ग्रेस पार्टी ने अपने मैनिफेस्टो में देशद्रोह का कानून हटाने की वकालत की थी और बाद में इसी कॉन्ग्रेस सरकार ने इस कानून का इस्तेमाल अपने ही मंत्री के खिलाफ किया। मैंने अन्याय के खिलाफ ये कदम उठाया। जब सदन चल रहा हो तब ह्विप जारी किया जाता है लेकिन सीएम ने बैठक के लिए ऐसा कर दिया। उन्होंने मुझे अपने घर बुलाया, पार्टी मुख्यालय में भी नहीं। भाजपा के साथ मेरे मिले होने के आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है। मैंने कॉन्ग्रेस को राजस्थान में जिताने मे इतनी मेहनत की है। मैं अपनी ही पार्टी के विरुद्ध क्यों जाऊँगा?”

राजस्थान में कॉन्ग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बावजूद सचिन पायलट ने कहा कि वो अभी भी कॉन्ग्रेस में ही हैं और अपने समर्थकों से विचार-विमर्श कर के यह तय करेंगे कि आगे क्या कदम उठाने हैं। सचिन पायलट ने इस बात से भी इनकार कर दिया कि वो भाजपा जॉइन करने वाले हैं। उन्होंने कहा कि फिलहाल वो अपने लोगों के लिए काम करना जारी रखेंगे। पायलट ने बताया कि उन्होंने ज्योतिरादित्य सिंधिया से पिछले 6 महीने से मुलाकात नहीं की है।

सचिन पायलट ने यह भी स्पष्ट किया कि उन्होंने पार्टी को 2018 में अपने नेतृत्व में जीत दिलाने के बावजूद कभी मुख्यमंत्री पद की माँग नहीं रखी थी। साथ ही उन्होंने कहा कि 200 सदस्यीय विधानसभा में जब कॉन्ग्रेस 21 सीटों पर सिमट गई थी, तब उन्होंने प्रदेश में पार्टी की कमान संभाली। पायलट ने बताया कि जब वो 5 वर्षों तक पुलिस के अत्याचार के खिलाफ लड़ रहे थे, संगठन को मजबूत कर रहे थे और जनता के साथ काम कर रहे थे, तब गहलोत के मुँह से एक शब्द भी नहीं निकल रहा था।

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सचिन पायलट ने कहा कि अशोक गहलोत ने अनुभवी होने की बात करते हुए सीएम पद ले तो लिया लेकिन 2 बार मुख्यमंत्री रहने के बावजूद उन्होंने पार्टी को 2003 और 2013 में 56 और 26 सीटों पर समेट दिया। बकौल पायलट, गहलोत ने 2019 लोकसभा चुनाव में भी अच्छे प्रदर्शन का पार्टी को भरोसा दिलाया था। पायलट ने कहा कि राहुल गाँधी के कहने पर ही उन्होंने इस निर्णय को स्वीकार किया।

पायलट ने आरोप लगाया कि सीएम गहलोत उन्हें अपमानित करने में लगे रहे। उन्होंने कहा कि राहुल गाँधी के अध्यक्ष पद से हटते ही गहलोत ने उनके खिलाफ गैंगबाजी शुरू कर दी थी। हालाँकि, उन्होंने स्वीकार किया कि प्रियंका गाँधी ने जरूर उनसे फोन पर बात की है लेकिन वो व्यक्तिगत बातचीत थी और उससे कोई निष्कर्ष नहीं निकला। उन्होंने कहा कि वो स्वतंत्रता से काम करना चाहते हैं, उन्हें पावर नहीं चाहिए।

इससे पहले खबर आई थी कि सचिन पायलट ने अधिकतर कॉन्ग्रेस नेताओं का फोन कॉल रिसीव करना ही बंद कर दिया है। राजस्थान में पार्टी के प्रभारी अविनाश पांडेय ने भी स्वीकार किया था कि पायलट को कई कॉल्स और मैसेज किए गए लेकिन वो जवाब नहीं दे रहे हैं। राज्य में ‘हॉर्स ट्रेडिंग’ के आरोपों को लेकर एफआईआर दर्ज की गई है और उसकी जाँच चल रही है, जिस सम्बन्ध में दो भाजपा नेताओं को भी गिरफ्तार किया गया था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया