शिवसेना की लड़ाई से शरद पवार की नींदें भी उड़ी, भंग किए पार्टी के सभी राष्ट्रीय प्रकोष्ठ: भतीजे अजीत पवार अतीत में दिखा चुके हैं बागी तेवर

शरद पवार (फोटो साभार: मिड डे)

राष्ट्रवादी कॉन्ग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार ने पार्टी के सभी विभागों और प्रकोष्ठों को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया है। पार्टी का यह फैसला मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, हाल ही में महाराष्ट्र की महा विकास अघाड़ी सरकार (MVA) के गिरने के बाद लिया गया है। जिस तरह से शिवसेना का बिखराव सामने आया है तो वहीं अतीत में भतीजे अजीत पवार भी बागी तेवर दिखा चुके हैं। ऐसे में अब NCP राष्ट्रीय स्तर पर नेतृत्व में बड़ा बदलाव करने जा रही है।

राकांपा के वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल ने बुधवार (20 जुलाई 2022) को ट्वीट कर पार्टी के फैसले के बारे में जानकारी दी। पार्टी के महासचिव प्रफुल्ल पटेल ने कहा, “राष्ट्रवादी कॉन्ग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद पवार के अनुमोदन से राष्ट्रवादी महिला कॉन्ग्रेस को छोड़कर, राकांपा के सभी विभाग और प्रकोष्ठ तत्काल प्रभाव से भंग किए जाते हैं।” हालाँकि, पटेल ने पार्टी द्वारा अचानक उठाए गए कदम के कारण का खुलासा नहीं किया।

इस संबंध में पटेल ने सभी प्रकोष्ठ और विभागों के प्रमुखों को पत्र भी जारी किए हैं। इसमें कहा गया है कि राकांपा के सभी विभागों को तत्काल प्रभाव से भंग किया जाता है। यह फैसला राकांपा अध्यक्ष शरद पवार की सहमति से लिया गया है। उन्होंने अपने दूसरे ट्वीट में कहा कि यह फैसला महाराष्ट्र या किसी अन्य राज्य इकाई पर लागू नहीं होता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राजनीतिक गलियारों में ऐसी चर्चा है कि यह अहम फैसला 2024 में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र में लिया गया है।

उल्लेखनीय है कि एनसीपी शिवसेना के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार का हिस्सा थी। शुरू से ही एनसीपी और शिवसेना के नेताओं के बीच मतभेद रहे हैं। शिवसेना सांसद संजय जाधव ने एनसीपी पर आरोप लगाया था कि वह शिवसेना को कमजोर कर रही है। राकांपा के दखल से वह अपने कार्यकर्ताओं के साथ न्याय नहीं कर पा रहे हैं। इसके चलते परभणी से शिवसेना सांसद संजय जाधव ने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा तक दे दिया था। इसका कारण जिंतुर नगरपालिका में एनसीपी का दखल बताया जा रहा था। उन्होंने इस संबंध में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र भी लिखा था। संजय जाधव ने अपने पत्र में कहा था कि वह अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ न्याय नहीं कर पा रहे हैं। इस आधार पर उन्हें सांसद बने रहने का कोई अधिकार नहीं है।

बता दें कि महाराष्‍ट्र में सत्ता गँवाने के बाद उद्धव ठाकरे को एक और झटका लग सकता है और इस बार शिवेसना पर उनका दावा ही हाथ से निकलने की सम्भावना नजर आ रही है। दरअसल, शिंदे गुट ने पार्टी चुनाव चिह्न पर अपना दावा पेश किया है। एकनाथ शिंदे समूह ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर शिवसेना के धनुष-बाण चुनाव चिह्न को आवंटित करने की माँग की है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया