पंजाब के किसानों को परेशान मत कीजिए, इंदिरा गाँधी को गँवानी पड़ी है जान’: शरद पवार ने PM मोदी को दी चेतावनी, परिणाम बुरे होंगे

शरद पवार (साभार: हिंदुस्तान टाइम्स)

राष्ट्रवादी कॉन्ग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार ने शनिवार (16 अक्टूबर 2021) को नरेंद्र मोदी सरकार को पंजाब के किसानों को परेशान नहीं करने की चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने पंजाब को ‘परेशान’ करने के कारण अपनी जान गंवा चुकी हैं। इसलिए केंद्र को तथाकथित किसानों के आंदोलन को यह ध्यान में रखते हुए सावधानी बरतनी चाहिए कि अधिकांश प्रदर्शनकारी इसी सीमावर्ती राज्य से हैं।

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शरद पवार ने यह बयान महाराष्ट्र के पिंपरी में मीडिया से बात करते हुए दिया। उन्होंने कहा, “भारत ने पंजाब को परेशान करने की कीमत चुकाई है। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने अपना जीवन खो दिया।”

एनसीपी चीफ ने आगे कहा, “केंद्र सरकार को मेरी सलाह है कि पंजाब के किसानों को परेशान न करें, क्योंकि यह एक सीमावर्ती राज्य है। पंजाब के किसान बहुत बेचैन हैं और परेशान हैं। अगर आप सीमावर्ती राज्य के किसानों और लोगों को और अधिक परेशान करेंगे तो इसके दूसरे परिणाम भी होंगे।” पवार ने कहा कि पंजाब के सिख और हिंदू दोनों किसान देश में खाद्यान्न उत्पादन में योगदान दे रहे हैं।

पंजाब के प्रदर्शनकारियों के प्रति सहानुभूति जताते हुए शरद पवार ने कहा कि सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों को सुरक्षा संबंधी कई मुद्दों और समस्याओं का सामना करना पड़ता है। पवार के मुताबिक, “ऐसी चीजों का अनुभव महाराष्ट्र जैसे राज्यों में रहने वाले व्यक्तियों को नहीं होता है। इसलिए, जब बलिदान करने वाला व्यक्ति कुछ माँगों के साथ विरोध प्रदर्शन कर रहा है और लंबे समय तक बैठा है तो उस पर ध्यान देना राष्ट्र की आवश्यकता है। मैं एक दो बार इस प्रदर्शन का दौरा कर चुका हूँ। कृषि कानूनों पर केंद्र का रुख तर्कसंगत नहीं है।”

पवार ने यह बयान ऐसे समय में दिया है, जब कथित किसानों का आंदोलन स्थल अराजकता फैलाने और मासूम नागरिकों की हत्या केंद्र बन गए हैं। ऐसा लगता है कि जैसे इन सब के जरिए अलगाववादी खालिस्तानी आंदोलन को पुनर्जीवित करने की कोशिश की जा रही है। उनके बयान से कई लोगों को ऐसा लग रहा है कि शरद पवार किसानों के विरोध के नाम पर फैलाई जा रही अराजकता और हिंसा का बचाव कर रहे हैं। इसीलिए उन्होंने यह कहा कि अगर केंद्र सरकार इस मामले में कोई कार्रवाई करती है तो जैसा इंदिरा गाँधी के साथ हुआ, वैसे ही गंभीर परिणाम होंगे।

उल्लेखनीय है कि अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में शरण लिए हुए खालिस्तानी आतंकवादी जरनैल सिंह भिंडरावाले को खत्म करने के लिए ऑपरेशन ब्लू स्टार के लिए पूर्व पीएम इंदिरा गाँधी ने इजाजत दी थी। इसके बाद ही 31 अक्टूबर 1984 को उनके दो सिख बॉडीगीर्ड ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसके बाद भारत में बड़े पैमाने पर सिख विरोधी दंगे भड़क उठे। उन दंगों का नेतृत्व कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं ने किया था।

कुछ दिनों पहले भी कुंडली बॉर्डर पर किसानों के विरोध के दौरान निहंग सिखों द्वारा एक दलित व्यक्ति लखबीर सिंह को तालिबानी शैली में पीट-पीट कर मार डाला गया था। इससे पहले उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में भी ऐसी ही हिंसा देखने को मिली थी, जहाँ आठ लोगों की जान चली गई थी। प्रदर्शनकारियों ने इस साल की शुरुआत में गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान दिल्ली में हिंसा और अराजकता का प्रदर्शन किया था। ऐसी हत्याओं और अराजकता पर विपक्ष चुप रहा और ऐसा लगता है कि इस तरह के अक्षम्य कृत्यों का बचाव करने के लिए खुले तौर पर प्रयास किए गए हैं।

बीजेपी ने किया विरोध

भाजपा ने हत्या वाली टिप्पणी की निंदा करते हुए कहा है कि शरद पवार ने जानबूझकर यह बयान दिया है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता राम कदम ने कहा, “यह वरिष्ठ नेता शरद पवार का एक बेहद भयावह बयान है। दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि उनके जैसे बड़े नेता ने जानबूझकर यह बयान दिया है। यह और कुछ नहीं बल्कि सिख समुदाय और किसानों को भड़काने की कोशिश है। यह प्रधानमंत्री के जीवन के लिए एक गंभीर खतरा है।”

गौरतलब है कि एनसीपी महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना-कॉन्ग्रेस-एनसीपी महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार का हिस्सा है। शरद पवार अक्सर केंद्र पर भ्रष्टाचार के मामलों की जाँच के नाम पर महाराष्ट्र सरकार को अस्थिर करने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाते रहते हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया