माँ बगलामुखी की शरण में कमलनाथ सरकार, ‘शत्रु विनाशक यज्ञ’ से दूर कर रहे राजनीतिक संकट

'सेकुलर' कॉन्ग्रेस माता के चरणों में!

मध्य प्रदेश में कॉन्ग्रेस के भीतर चल रहे उठापटक ने वहाँ के मुख्यमंत्री कमलनाथ को धार्मिक बना दिया है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा से जुड़ने के बाद कमलनाथ ने एक अनोखे अनुष्ठान का रास्ता अपनाया है। ऐसे में मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार के कैबिनेट मंत्री पीसी शर्मा ने शनिवार (मार्च 14, 2020) को देवी की शरण में जाकर उन्हें अनुष्ठान करके मनाने की कोशिश की। उन्होंने आगर मालवा जिले के नलखेड़ा में विशेष किस्म का ‘शत्रु विनाशक हवन’ किया।

कॉन्ग्रेस नेता पीसी शर्मा ने एक न्यूज चैनल से बातचीत में कहा, “मैं धार्मिक मामलों और आध्यात्मिक विभाग का मंत्री भी हूँ, इसलिए मैं भक्त कल्याण के लिए विभिन्न सरकारी कार्यों का जायजा लेने आया था। हम माँ बगलामुखी मंदिर में हैं, इसलिए हमारी सरकार को कोई खतरा नहीं है। कॉन्ग्रेस के और सहयोगी दलों को मिलाकर 121 विधायक हमारे साथ हैं। जब विधानसभा में फ्लोर टेस्ट होगा तो हम देखेंगे कि चार-पाँच अतिरिक्त विधायक हमारा समर्थन करें।”

यह हवन नलखेड़ा के देवी बगलामुखी के मंदिर में किया गया। हिन्दू धर्म में बगलामुखी देवी को शत्रुओं के दमन और उन पर विजय की कामना के लिए पूजने की मान्यता है। दरअसल, राज्य में कॉन्ग्रेस दल के 22 विधायकों के इस्तीफे के साथ ही खलबली मच गई है।

ज्योतिरादित्य सिंधिया के कॉन्ग्रेस को अलविदा कहने, बीजेपी में शामिल होने और उनके समर्थक मंत्रियों, विधायकों के भी सरकार का साथ छोड़ते हुए इस्तीफे देने से मध्य प्रदेश सरकार पर सियासी संकट के बादल मंडरा रहे हैं। इसके लिए सरकार को संकट से उबारने के लिए मंत्री गण अपने-अपने तरीके से प्रयास कर रहे हैं।

मध्य प्रदेश का सियासी संकट लगातार जोर पकड़ रहा है। राज्यपाल लालजी टंडन ने फ्लोर टेस्ट के आदेश दे दिए हैं। विधानसभा का बजट सत्र शुरू होने से पहले फ्लोर टेस्ट कराया जाएगा, जिसके लिए बीजेपी और कॉन्ग्रेस अपनी ताकत झोंकने के लिए तैयार है। कॉन्ग्रेस ने अपने विधायकों को जयपुर से वापस बुला लिया है और सीएम कमलनाथ कैबिनेट की बैठक कर रहे हैं। यही नहीं, दिल्ली में बीजेपी आलाकमान की बैठक भी जारी है, जिसमें ज्योतिरादित्य सिंधिया भी हिस्सा ले रहे हैं।

फिलहाल ज्योतिरादित्य सिंधिया दल के इस्तीफा दे चुके कॉन्ग्रेस के 22 बागी विधायकों में से भी ज्यादातर बेंगलुरु में ठहरे हुए हैं। विधानसभा अध्यक्ष ने इन 22 विधायकों में से छह के त्यागपत्र शनिवार देर शाम को मंजूर कर लिए थे, जबकि 16 विधायकों के त्यागपत्र पर फिलहाल कोई निर्णय नहीं लिया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया