दिल्ली की सत्ता पर लगभग 10 साल तक काबिज रहने वाली कॉन्ग्रेस पार्टी की हालत अब पस्त है। पार्टी की स्थिति ये हो चुकी है कि उन्हें सत्ता में लौटने के लिए केजरीवाल सरकार की नीतियों को अपनाना पड़ रहा है। क्योंकि, साल 2014 में जिस तरह महंगाई की मार झेल रहे दिल्लीवासियों को केजरीवाल सरकार ने फ्री बिजली-फ्री पानी देने का वादा कर लुभाया था। उसी तरह अब कॉन्ग्रेस सत्ता वापस पाने के लिए 600 यूनिट तक बिजली में राहत देने पर उतर आई है।
जी हाँ। चुनावों के मद्देनजर अभी कुछ दिन पहले केजरीवाल सरकार ने 200 यूनिट तक बिजली फ्री देने का वादा जनता से किया था। और, अब 600 यूनिट तक बिजली फ्री की बड़ी घोषणा खुद दिल्ली के कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा ने बुधवार को वजीरपुर में एक रैली के दौरान की है।
उन्होंने ऐलान किया है कि अरविंद केजरीवाल सरकार दिल्ली वासियों को केवल 200 यूनिट बिजली फ्री दे रही है। लेकिन उनकी सरकार अगर दिल्ली में आई तो 600 यूनिट फ्री बिजली देगी। साथ ही छोटी इंडस्ट्रीज को भी कॉन्ग्रेस 200 यूनिट बिजली मुफ्त में देगी और इन सबका जिक्र उनके मेनिफेस्टो में होगा।
जो कहते हैं सो करते हैं!
— Subhash Chopra (@SChopraINC) December 25, 2019
केजरीवाल जी आप भूल रहे हैं कि शीला जी के कार्यकाल में दिल्ली में बिजली पर सब्सिडी देने का काम शुरू हुआ था,सिर्फ आपने सब्सिडी बढ़ाई है
मैं दिल्लीवासियों को विश्वास दिलाता हूं कि कांग्रेस 600 यूनिट तक लोगों को राहत देगी,ये हमारे घोषणापत्र का अहम हिस्सा होगा https://t.co/Ll70HIEbH2
अब हालाँकि, सुभाष चोपड़ा ने अपने बयान में साफ किया है कि वे ऐसा चुनावों के कारण नहीं कह रहे हैं बल्कि इसलिए कह रहे हैं क्योंकि जनता के पैसा से जनता को ही लाभ होना चाहिए। लेकिन समझने वाली बात ये है कि दिल्ली की राजनीति जो पिछले कुछ समय तक केवल बिजली पानी के ईर्द-गिर्द घूमती थी। वो अब कौन कितना फ्री देगा इसपर आ टिकी है।
पिछले विधानसभा चुनावों केजरीवाल सरकार ने दिल्लीवासियों की कमजोर नब्ज पकड़ी थी और अभी भी वे उसी को पकड़े-पकड़े अपने अगले चुनावों की तैयारी में जुट गए हैं। लेकिन हैरानी की बात है कि केजरीवाल सरकार से सीखकर कॉन्ग्रेस भी उसी रास्ते पर चल पड़ी है और बड़े-बड़े वादे कर दिल्ली की कुर्सी पर वापसी की उम्मीद लगाए बैठी है।
कहना गलत नहीं होगा कि अलग-अलग राज्यों में राजनैतिक पार्टियाँ अब एक दूसरे से होड़ करने के लिए विकास के मुद्दे को कई कोसों पीछे छोड़ चुकी हैं। क्योंकि अगर वाकई 600 यूनिट दिल्ली वासियों को फ्री देने के पीछे यही वजह है कि जनता के पैसे का लाभ जनता को दिया जाए, तो पंजाब, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, राजस्थान जैसे राज्यों में तो कॉन्ग्रेस ही विराजमान है। फिर ये मुद्दा वहाँ मेनिफेस्टो का हिस्सा क्यों नहीं रहा?
कुछ लोगों का सोशल मीडिया पर कहना है, “कॉन्ग्रेस जो कहती है सो करती है, वो पाँच साल खत्म होने का इंतजार नहीं करती। सरकार बनते ही जनता, जवान, किसान ओर महिलाओं के हक के लिए काम करना शुरू कर देती है।” ऐसे में सोचिए, अगर वाकई ऐसा होता, तो दिल्ली से क्या कभी कॉन्ग्रेस जाती? और वर्तमान में जिन राज्यों में कॉन्ग्रेस सरकार है, वहाँ उनकी आलोचनाएँ होती?
आज राजस्थान, मध्यप्रदेश जैसे कॉन्ग्रेस शासित राज्यों में पॉयलट और सिंधिया जैसे पार्टी के चेहरे अपनी ही सरकार की नीतियों के विरुद्ध बोलते और सरकार की गलतियों को स्वीकारते पाए जाते हैं। लेकिन, फिर भी पार्टी अन्य राज्यों में चुनावों की बात आते ही कॉन्ग्रेस दूसरी पार्टियों पर हमलावर हो जाती है।
कांग्रेस जो कहती है सो करती है।
— Sandeep KumarINC (@SandeepBhartiye) December 25, 2019
कांग्रेस 5 साल का कार्यकाल खत्म होने का इंतजार नहीं करती।सरकार बनते ही जनता,जवान, किसान ओर महिलाओ के हक के लिए काम करना शुरू कर देती है।
केजरीवाल जी की करनी ओर कथनी में फर्क है।
5 साल जुमलेबाजी में निकाल दि@rohanrgupta @SaralPatel@INCDelhi
हास्यास्पद बात देखिए, दिल्ली की सबसे हालिया समस्या प्रदूषण पर कोई राजनैतिक पार्टी बात नहीं करती। क्योंकि अब राष्ट्रीय राजधानी की सत्ता हथियाने का पैमाना केवल ‘फ्री-फ्री’ की राजनीति पर आ टिका है। और दिल्ली की जनता भी इस बात को भली भाँति जान चुकी है। तभी सोशल मीडिया पर सुभाष चोपड़ा का बयान आने के बाद उनसे कई सवाल करने में जुटी है। जिसमें शीला सरकार में हुए कॉमनवेल्थ घोटाले से लेकर महंगाई तक का मुद्दा शामिल है।
आप 600 यूनिट तो क्या बल्कि दिल्लीवासियों का पूरा बिजली का बिल ज़ीरो कर सकते हो क्योंकि आदरणीय स्वर्गीय शीला जी के राज में @INCDelhi ने कॉमनवेल्थ घोटाले करके अरबों रुपए डकारे थे तो उसमें से कुछ रुपए दिल्ली को वापिस कर दोगे बस ??@ArvindKejriwal @INCIndia
— Rajinder S. Gill (@rajinder2012) December 25, 2019