बीते कुछ दिनों से जम्मू कश्मीर में आर्टिकल 370 को हटाने को लेकर जारी अटकलें आज प्रधानमंत्री मोदी के ऐतिहासिक फैसले के साथ खत्म हो गई। इस पर सरकार ने स्थिति स्पष्ट कर दी है। इस सिलसिले में गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में बड़ा ऐलान करते हुए जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने का संकल्प पेश किया और राष्ट्रपति ने इसकी मंजूरी दे दी। इसी के साथ आर्टिकल 35A का भी अब कोई औचित्य नहीं रह गया।
इस फैसले के बाद जम्मू-कश्मीर अब केंद्र शासित प्रदेश बन गया है। राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया गया है- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख। गृहमंत्री अमित शाह के नाम से जो पत्र जारी किया गया है, उसके अनुसार जम्मू कश्मीर में विधायिका होगी, जबकि लद्दाख में विधायिका नहीं होगी।
आर्टिकल 370 के हटाने का विपक्ष ने आज जमकर विरोध किया। इनका यह विरोध आज कोई नया नहीं है। बता दें कि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने 2014 में आर्टिकल 370 को लेकर 3 ट्वीट किया था। इसमें उन्होंने ना सिर्फ इसे हटाने की बात कही था, बल्कि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को चैलेंज भी किया था कि वो इसे हटा ही नहीं सकते।
उमर अब्दुल्ला ने अपने पहले ट्वीट में कहा था कि प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से कहा गया है कि आर्टिकल 370 को खत्म करने पर चर्चा की जा रही है। इसकी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। उन्होंने इस तंज कसते हुए कहा था कि इसकी शुरुआत बहुत जल्द हो गई। उमर अब्दुल्ला ने तो इसे तंज में कहा था मगर मोदी सरकार ने आज इसे करके दिखा दिया।
अपने दूसरे ट्वीट में उमर अब्दुल्ला ने चेतावनी भरे लहजे में लिखा था, “मेरे शब्दों को याद रखना। या तो आर्टिकल 370 रहेगा या फिर जम्मू कश्मीर भारत का हिस्सा नहीं रहेगा।”
उन्होंने अपने तीसरे ट्वीट में आर्टिकल 370 को जम्मू कश्मीर और भारत के बीच का एकमात्र संवैधानिक कड़ी बताया था।
आर्टिकल 370 हटने के साथ ही 2014 में उमर अब्दुल्ला द्वारा पीएम मोदी को किया गया बचकानी चैलेंज मात्र एक मजाक बनकर रह गया है, क्योंकि आर्टिकल 370 तो हट गया है, और जम्मू कश्मीर अभी भी भारत का हिस्सा है। ये हमेशा ही भारत का हिस्सा रहेगा। 370 हटने के बाद अब जम्मू-कश्मीर एक केंद्र शासित प्रदेश है जो अलगाववादियों की सहायता करने वालों को सबक सिखाने के लिए काफी है।