संसद में तीन तलाक बिल पर हुई तीखी बहस, जानिए किसने क्या कहा

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तीन तलाक को गैर-कानूनी करार देने से जुड़े नए विधेयक पर आज लोकसभा में चर्चा शरू हुई। इस दौरान नेताओं में तीखी नोंक-झोंक देखने को मिली। क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद से लेकर विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे तक ने इस बिल को लेकर अपनी-अपनी बात रखी। आइये एक नजर डालते हैं कि चर्चा के दौरान किसने क्या कहा।

रविशंकर प्रसाद, केंद्रीय कानून मंत्री:

इस मामले को सियासत के तराजू पर नहीं इंसाफ के तराजू पर तौला जाना चाहिए।क् या राजनीतिक कारणों से तीन तलाक की पीड़ित महिलाओं के पक्ष में कार्रवाई नहीं करनी चाहिए। यह बिल महिलाओं के न्याय से जुड़ा है और सदन को एक सुर में बोलना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया है। कोर्ट ने कहा कि हम संसद से अपील करेंगे कि वह तीन तलाक के खिलाफ बिल पारित करे। एक आंकड़े के मुताबिक जनवरी 2017 से लेकर 10 दिसंबर तक देश में 477 तीन तलाक हुए हैं। रविशंकर प्रसाद निर्भया की दुहाई दी और कहा कि संसद में एक बलात्कारी को फांसी की सज़ा का प्रावधान है। मामले को सियासत के तराजू में ना देखे यह घर में नारी के सम्मान का मामला है।

मीनाक्षी लेखी, भाजपा सांसद:

तीन तलाक का विरोध करने वालों से पूछना चाहती हूं कि कुरान के किस सूरा में तलाक ए बिद्दत का जिक्र है। ये महिला बनाम पुरुष का नहीं बल्कि मानव अधिकार का मसला है। कांग्रेस तलाक के अधिकार की बात करती है और हम शादी के अधिकार की बात करते हैं। हिंदू विवाह कानून, पारसी विवाह कानून और मुस्लिम विवाह कानून के बीच तुलना करना गलत है। अगर इस पर चर्चा करनी है तो समान नागरिक संहिता पर हम सब एक साथ बैठें। निकाह पूरे समाज के सामने होता है, लेकिन एक वाट्सएप, एक एसएमएस, एक कॉल और शादी खत्म, ये कैसा कानून है।

मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस नेता

तीन तलाक से जुड़ा बिल महत्वपूर्ण है, इसका गहन अध्ययन करने की जरूरत है। यह संवैधानिक मसला है। मैं अनुरोध करता हूं कि इस बिल को ज्वाइंट सिलेक्ट कमेटी के पास भेज दिया है।” ज्वाइंट सिलेक्ट कमेटी (संयुक्त प्रवर समिति) में लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों के सदस्य शामिल होते हैं। यदि कोई सदस्य किसी बिल में संशोधन का प्रस्ताव पेश करता है तो उसे ज्वाइंट सिलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाता है। इस कमेटी के सदस्यों में कौन शामिल किया जाएगा, इसका फैसला सदन करता है।

इसके अलावा आजम खान ने कहा कि उन्हें कुरान के अलावा कोई और कानून मान्य नहीं है। भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी ने कहा कि पैगम्बर मुहम्मद साहब खुद तीन तलाक के विरोधी थे। शिवसेना के अरविन्द सावंत ने तीन तलाक का समर्थन तो किया लेकिन उन्होंने साथ में जोड़ा कि सरकार को देश भर में सामान नागरिक संहिता भी लागू करनी चाहिए। वहीं केंद्रीय मंत्री मुख़्तार अब्बास नकवी ने फतवों पर तंज कसते हुए कहा कि इन फतवों की दुकानों को अब बंद करने की जरूरत है। केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी ने कहा कि अगर 1986 के क़ानून में वो ताकत होती तो सायरा बानो को अदालत का दरवाजा नहीं खटखटाना पड़ता।

मालूम हो कि अगस्त 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने एक बार में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) की 1400 साल पुरानी प्रथा को असंवैधानिक करार दिया था और कहा था कि अर्कार इस पर कानून बनाये। शीर्ष अदालत के निर्णय का सम्मान करते हुए केंद्र सरकार ने दिसंबर 2017 में लोकसभा से मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक पारित कराया लेकिन राज्यसभा में भाजपा के पास पर्याप्त संख्या बल न होने कारण ये बिल अटक गया था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया