विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) एक सांविधिक इकाई है, जो विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा से संबंधित सभी प्रकार के कार्यकलापों की एक जिम्मेदार संस्था है। यूजीसी ने हाल ही में बीए इतिहास के पाठ्यक्रम का एक ड्राफ्ट प्रकाशित किया, जो भारतीय इतिहास के सभी पहलुओं पर प्रकाश डालता है। यूजीसी के इसी प्रयास के कारण कई बुद्धिजीवी और नेता व्यथित हैं, जिनमें असदुद्दीन ओवैसी प्रमुख रूप से सम्मिलित हैं।
दि आइडिया ऑफ भारत
बीए इतिहास का पहला पेपर “आइडिया ऑफ भारत” पर आधारित है। यह भारतवर्ष की अवधारणा, भारतीय ज्ञान परंपरा, कला एवं साहित्य, धर्म, विज्ञान, जैन एवं बौद्ध साहित्य, भारतीय आर्थिक परंपरा एवं ऐसे ही अन्य टॉपिक्स को कवर करता है। इनमें वेद, उपनिषद, महान ग्रंथ, जैन एवं बौद्ध साहित्य, वसुधैव कुटुंबकम की अवधारणा, भारतीय अंक पद्धति एवं गणित, समुद्री व्यापार इत्यादि सम्मिलित है।
ड्राफ्ट में बताया गया है कि इस पाठ्यक्रम के माध्यम से छात्र प्राचीन भारत के नागरिकों के प्रारम्भिक जीवन और संस्कृति से परिचित होंगे एवं उस समाज की व्यवस्था, धर्म पद्धति एवं राजनैतिक इतिहास को जान सकेंगे। इस पाठ्यक्रम का एक उद्देश्य यह भी है कि छात्र भारत में लगातार हुए सामाजिक एवं सांस्कृतिक परिवर्तनों का भी अध्ययन कर सकें।
सिंधु-सरस्वती सभ्यता की व्याख्या
इस स्नातक कोर्स का तीसरा पेपर प्राचीन भारत के इतिहास लेखन एवं ऐतिहासिक स्रोतों की व्याख्या से संबंधित है। इसमें वैदिक काल, जैन और बौद्ध धर्म के उदय से संबंधित कई विषय हैं। इस खंड की सबसे महत्वपूर्ण बात है कि इसमें सिंधु-सरस्वती सभ्यता के अस्तित्व से संबंधित सभी पहलुओं की व्याख्या की गई है। साथ ही हिंदुओं में भेद उत्पन्न करने के लिए प्रचलित की गई आर्य आक्रमण की थ्योरी को भी नकारा गया है।
आक्रांता अब आक्रांता ही कहा जाएगा
अभी तक स्नातक कार्यक्रमों की इतिहास की पुस्तकों में बाबर और तैमूरलंग जैसे आक्रमणकारियों के लिए आक्रांता अथवा आक्रमणकारी जैसे शब्द नहीं लिखे जाते थे किन्तु UGC ने इस ड्राफ्ट में इसे स्वीकार किया है।
बुद्धिजीवियों और नेताओं का विरोध
हालाँकि जब भी इतिहास में किसी भी प्रकार के सुधार की बात आती है तो कुछ राजनैतिक नेताओं और स्वघोषित बुद्धिजीवियों को यह सुधार आरएसएस का षड्यंत्र ही दिखाई देता है। वामपंथी पोर्टल टेलीग्राफ ने कुछ शिक्षकों और विद्यार्थियों का वक्तव्य छापा है कि वैदिक और हिन्दू धार्मिक ग्रंथों का उपयोग करके शिक्षा का भगवाकरण किया जा रहा है। इन “शिक्षकों और विद्यार्थियों” ने यह भी चिंता व्यक्त की है कि “आइडिया ऑफ भारत” पर आधारित ने पाठ्यक्रम से “मुस्लिम शासनकाल की महत्ता” समाप्त हो जाएगी।
टेलीग्राफ ने दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफंस कॉलेज के एक अनजान विद्यार्थी का कथन छापा कि वह “आइडिया ऑफ भारत” के माध्यम से प्राचीन भारतीय सभ्यता के महिमामंडन से व्यथित है। दिल्ली विश्वविद्यालय के ही श्यामलाल कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर जीतेंद्र मीणा जी भी व्यथित हैं कि नया पाठ्यक्रम सेक्युलर साहित्य के स्थान पर धार्मिक साहित्य का महिमामंडन करता है एवं मुगल इतिहास को दरकिनार कर देता है।
https://twitter.com/asadowaisi/status/1374261574500712450?ref_src=twsrc%5Etfwऐसे मुद्दों पर ओवैसी कुछ न कहें, यह असंभव है। उन्होंने सीधे भाजपा पर यह आरोप लगा दिया कि भाजपा अपनी हिन्दुत्व की विचारधारा को पाठ्यक्रम में सम्मिलित करने का कार्य कर रही है। ओवैसी ने एक ट्वीट में कहा कि शिक्षा प्रोपेगंडा नहीं है। भाजपा हिन्दुत्व की विचारधारा को पाठ्यपुस्तकों में शामिल कर रही है। माईथोलॉजी को स्नातक कार्यक्रमों में नहीं पढ़ाना चाहिए। ओवैसी ने ड्राफ्ट पर प्रश्न उठाते हुए कहा कि पाठ्यक्रम मुस्लिम इतिहास को मलीन कर रहा है।