यशवंत सिन्हा का ‘बुलडोजर दर्द’ उभरा, कहा- नोएडा में रहता हूँ, UP पर कुछ नहीं बोलूँगा: फारूक-महबूबा को बता चुके हैं सबसे बड़ा राष्ट्रभक्त

यशवंत सिन्हा का अब बुलडोजर दर्द उभरा (फोटो साभार: अमर उजाला)

विपक्ष के राष्ट्रपति उम्मीदवार यशवंत सिन्हा समर्थन जुटाने के लिए इस समय राज्यों के दौरे पर हैं। यह दूसरी बात है कि जिन दलों ने उन्हें प्रत्याशी चुना था उनमें से भी अब कुछ एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मूर्मु के साथ खड़े दिख रहे हैं। चुनाव प्रचार के क्रम में सिन्हा मंगलवार को चंडीगढ़ में थे। उन्होंने हरियाणा कॉन्ग्रेस के विधायकों से मुलाकात कर अपने पक्ष में वोट डालने की अपील की। इस दौरान उन्होंने उत्तर प्रदेश को लेकर किसी तरह की टिप्पणी से इनकार कर दिया।

दरअसल प्रेस कॉन्फ्रेंस में यशवंत सिन्हा से जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर सवाल पूछा गया था। इसके जवाब में उनका बुलडोजर दर्द उभर आया। उन्होंने कहा, “मैं उत्तर प्रदेश पर टिप्पणी करने से घबराता हूँ, क्योंकि मैं नोएडा में रहता हूँ। कब वो मेरे घर बुलडोजर लेकर आ जाएँ, इसका पता नहीं। इसलिए मैं उत्तर प्रदेश के बारे में नहीं बोलता हूँ।”

उन्होंने कहा कि पहले की तुलना में इस बार का राष्ट्रपति चुनाव असाधारण परिस्थिति में है। पूरे देश में डर और भय का माहौल है। हिंदू- मुस्लिम एक दूसरे से डर रहे हैं। महाराष्ट्र के राजनीतिक घटनाक्रम का जिक्र करते हुए सिन्हा ने कहा कि एकनाथ शिंदे ने जिस तरह से उद्धव सरकार को गिराया, इसकी लंबी चौड़ी कहानी है। अटल जी के समय की सरकार सहमति के आधार पर आगे बढ़ती थी। ये सरकार टकराव के आधार पर आगे बढ़ती है।

यशवंत सिन्हा ने आगे कहा, “सत्ताधारी दल और उनकी सरकार द्वारा लोकतांत्रिक शासन की प्रत्येक संस्था को नष्ट किया जा रहा है। ईडी, सीबीआई, आयकर विभाग जैसी एजेंसियों और यहाँ तक कि राज्यपाल कार्यालय का इस्तेमाल विपक्ष के नेताओं को निशाना बनाने के लिए हो रहा है।” सत्तारूढ़ दल पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि चुनाव जीतने के लिए इन लोगों ने भारत के विविधता से भरे समाज का सांप्रदायिक रूप से ध्रुवीकरण कर एक साजिश रची है। इसके न केवल सामाजिक शांति के लिए, बल्कि देश की एकता और अखंडता के लिए भी खतरनाक परिणाम होंगे।

गौरतलब है कि यशवंत सिन्हा हाल ही में जम्मू-कश्मीर भी गए थे। उनकी इस बैठक में फारूक अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती समेत कई नेता शामिल हुए थे। इस दौरान सिन्हा ने फारूक अब्दुल्ला समेत बैठक में शामिल तमाम नेताओं को देश का सबसे बड़ा राष्ट्रवादी बताया था। उन्होंने कहा था, “हमारे जो भी लोग यहाँ बैठे हैं, फारूक साहब और महबूबा जी को मिला कर… इनसे बड़ा कोई राष्ट्रभक्त नहीं है। अगर ये राष्ट्रवादी नहीं हैं तो फिर देश में कोई राष्ट्रभक्त नहीं है।”

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया