UP जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में भगवा लहर: 75 जिलों में 67 पर जीत, तोड़ा सपा का रिकॉर्ड

उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में 67 पर जीत दर्ज करके भाजपा ने सपा का पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया (फोटो : नेशनल हेराल्ड)

उत्तर प्रदेश में आज (03 जुलाई) जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हुआ। इसके साथ ही चुनाव परिणाम भी घोषित किए जा रहे हैं। मुजफ्फरनगर, रायबरेली, हाथरस, रामपुर और उन्नाव समेत 67 जनपदों में भाजपा प्रत्याशियों की जीत हुई है। हालाँकि, 21 भाजपा प्रत्याशी पहले ही विजयी घोषित किए जा चुके थे, क्योंकि उनके विरोध में कोई नामांकन ही दाखिल नहीं हुआ था। 67 जनपदों में भाजपा के प्रत्याशियों की जीत के बाद समाजवादी पार्टी का रिकॉर्ड भी टूट गया। सपा ने 75 में 63 जनपदों में जीत दर्ज की थी।

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जिन सीटों पर सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी दलों में कड़ा मुकाबला होने की आशंका जताई जा रही थी, उनमें से एक मुजफ्फरनगर की सीट भी थी। यहाँ से भाजपा समर्थित प्रत्याशी डॉ. वीरपाल निर्वाल के सामने भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) प्रत्याशी सत्येन्द्र बालियान थे। मुजफ्फरनगर किसान आंदोलन के कारण पूरे देश में चर्चा में आए राकेश टिकैत का गृहनगर है। माना जा रहा था कि किसान आंदोलन और राकेश टिकैत के भाजपा विरोधी अभियान के चलते मुजफ्फरनगर में जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है, लेकिन परिणाम इसके विपरीत रहे। भाजपा प्रत्याशी डॉ. निर्वाल को जहाँ 30 वोट प्राप्त हुए, वहीं बीकेयू प्रत्याशी सत्येन्द्र बालियान को मात्र 3 वोट से संतोष करना पड़ा।

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शामली और बिजनौर में भाजपा और विपक्षी पार्टी के प्रत्याशियों के बीच काँटे की टक्कर अवश्य रही। हालाँकि, दोनों ही जनपदों में भाजपा प्रत्याशी को ही जीत हासिल हुई। शामली में जहाँ भाजपा प्रत्याशी मधु को 10 वोट प्राप्त हुए, वहीं सपा-रालोद गठबंधन प्रत्याशी अंजलि 9 वोट हासिल कर सकीं। इस तरह शामली में भाजपा ने मात्र एक वोट से बाजी मार ली। बिजनौर में भी भाजपा प्रत्याशी साकेन्द्र प्रताप सिंह ने सपा गठबंधन के प्रत्याशी चरणजीत कौर को हरा दिया।

अयोध्या में भाजपा प्रत्याशी की जीत हुई है। यहाँ से भाजपा की उम्मीदवार रोली सिंह जिला पंचायत अध्यक्ष चुनी गई हैं। उन्हें 30 वोट मिले, जबकि प्रमुख विपक्षी पार्टी सपा के प्रत्याशी को मात्र 10 वोट ही मिले। अयोध्या में सपा सदस्यों ने क्रॉस वोटिंग करते हुए भाजपा के पक्ष में ही मतदान किया।

रायबरेली में विपक्ष जीत की उम्मीद में था। यहाँ से भाजपा समर्थित प्रत्याशी रंजना चौधरी के विरोध में कॉन्ग्रेस और सपा गठबंधन ने पूर्व सांसद अशोक सिंह की बहू आरती सिंह को उतारा था। हालाँकि, कॉन्ग्रेस समर्थित प्रत्याशी को महज 22 वोट ही मिल सके। रंजना ने 30 वोट हासिल करते हुए जीत हासिल की।

उत्तर प्रदेश के इन जिला पंचायत चुनावों में सबसे बड़ा उलटफेर मुलायम सिंह यादव के गढ़ मैनपुरी में देखने को मिला। यहाँ भाजपा प्रत्याशी अर्चना भदौरिया ने सपा प्रत्याशी मनोज यादव को हरा दिया। अर्चना को जहाँ 18 वोट प्राप्त हुए, वहीं यादव को 11 वोट ही मिले।

उत्तर प्रदेश में इस बार हुए पंचायत चुनाव काफी महत्वपूर्ण माने जा रहे थे। ऐसा इसलिए क्योंकि 2022 में यूपी में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में जिला पंचायत के इन चुनावों को यूपी विधानसभा चुनावों का सेमीफाइनल माना जा रहा था। काफी समय से विपक्षी नेता भी लगातार यूपी में भाजपा के खिलाफ लामबंद नजर आ रहे थे। हालाँकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा भी लगातार चुनावों को लेकर अपनी रणनीति बनाती रही।

हाथरस जैसे जिले में भाजपा की जीत यह बताती है कि भाजपा के खिलाफ चलाया गया विपक्ष का प्रोपेगेंडा पूरी तरह से असफल रहा। हाथरस में दलित युवती के बलात्कार और उसकी हत्या के बाद विपक्षी पार्टियों ने भाजपा के खिलाफ माहौल बनाने के लिए इस मुद्दे का राजनीतिकरण कर दिया था। इसके अलावा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी भाजपा की जीत कई मायनों में अलग है, क्योंकि महीनों से चल रहे किसान आंदोलन को भाजपा के लिए खतरा माना जा रहा था और यह संभावना जताई जा रही थी कि इसका सबसे ज्यादा असर पश्चिमी यूपी के इलाकों में पड़ेगा।

उत्तर प्रदेश में अलग-अलग इलाकों की बात करें तो भाजपा ने पश्चिमी क्षेत्र की 14 में से 13 जिलों पर जीत हासिल की। इसके अलावा अवध क्षेत्र के 13 में से 13, कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र के 14 जिलों में से 13, वाराणसी और उसके आसपास के इलाकों के 12 में से 10 और ब्रज एवं गोरखपुर क्षेत्रों में से क्रमशः 11 और 7 जिलों में भाजपा की जीत हुई है। इस तरह 75 जिलों में हुए जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव में सीएम आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा 67 जिलों में विजयी हुई।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया