‘इस नाटक में सांप्रदायिक लोगों के लिए जगह नहीं’: BJP में शामिल होने पर थिएटर आर्टिस्ट को निकाला

माकपा समर्थक सौरव पालोदी

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों से पहले भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के समर्थकों ने लोगों को भाजपा में शामिल होने से रोकने के लिए ‘कैंसिल कल्चर (cancel culture)’ को हथियार बनाया है। ऐसी ही एक घटना सामने आई है। द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक कौशिक कर नाम के एक थिएटर कलाकार को BJP में शामिल होने के बाद नाटक से निकाल दिया गया।

खबरों के अनुसार, कौशिक कर को उत्पल दत्ता द्वारा लिखित ‘घूम नी’ (‘Ghum Nei’)  नाटक से हटा दिया गया। यह निर्णय सौरव पालोदी नामक कम्युनिस्ट पार्टी के एक एक मुखर समर्थक द्वारा लिया गया। सौरव पालोदी, ‘इचामोटो (Ichamoto)’ नाम से थिएटर समूह चलाता है। उसे इस निर्णय पर सोशल मीडिया में लोगों ने काफी लताड़ा है। हालाँकि सीपीएम समर्थकों ने उसके फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि कर के भाजपा में शामिल होने का फैसला उनके निष्कासन के लिए पर्याप्त था।

एक फेसबुक पोस्ट में, पालोदी ने लिखा, “हमने कौशिक कर को ‘घुम नी’ नाटक से हटा दिया है। वह भाजपा में शामिल हो गए हैं और यह कारण हमारे लिए मौजूदा परिदृश्य में उन्हें हटाने के लिए पर्याप्त है। इस नाटक में सांप्रदायिक लोगों के लिए कोई जगह नहीं है। नाटक के लिए नई तारीखों की घोषणा जल्द ही की जाएगी।”

फेसबुक पोस्ट का स्क्रीनशॉट

उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए कहा, “दत्त के नाटक को स्वीकार करते हुए, कौशिक और मैंने उनका कैरेक्टर बनाया और उसका नाम अखलाक रखा। नाम में 2015 के दादरी मामले का संदर्भ था जहाँ भीड़ ने मोहम्मद अखलाक के घर पर हमला किया था। उसे गोमांस खाने के संदेह में मार दिया गया था। बीजेपी में शामिल होने के बाद किसी को अखलाक की भूमिका निभाने की अनुमति देना नाटक की आत्मा पर हमला होगा।”

‘घुम नी’ नाटक से हटाए जाने को लेकर कौशिक कर ने सौरव पालोदी को फटकारते हुए कहा कि बिना किसी जमीनी कनेक्शन के वामपंथी थिएटर समूहों पर घेराबंदी करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “सौरव इस तरह के बयान देकर अपनी मूर्खता छिपा रहा है। कुछ वामपंथी जो धर्मताल और ब्रिगेड के बीच चलते हैं और फ़ेसबुक पर हाइपर वेंटीलेट करते हैं, वे रंगमंच को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे हैं। उनके पास जमीनी स्तर पर कोई कनेक्ट नहीं है।”

कर ने आगे कहा, “मुझे हटाना या किसी नाटक के मंचन से रोकना केवल उन अभिजात वर्ग की असुरक्षा को उजागर करता है जो साम्यवाद के सार को नहीं समझते हैं।” उन्हें अभिनेता से नेता बने कंचन मोइत्रा का समर्थन मिला है। उन्होंने इस कदम को ‘सरासर असहिष्णुता’ करार देते हुए कहा कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में इस तरह के फैसलों का किसी भी कीमत पर बचाव नहीं किया जा सकता है। अभिनेता रुद्रनील घोष ने भी ‘कैंसिल कल्चर’ की निंदा की है।

माकपा से सौरव पालोदी के संबंध

सौरव पालोदी कम्युनिस्ट पार्टी का एक मुखर समर्थक है। उसने CPI (M) पश्चिम बंगाल फ्रेम के साथ अपनी प्रोफ़ाइल तस्वीर भी अपडेट की है। उसने ब्रिगेड ग्राउंड में कम्युनिस्ट पार्टी की रैली में भी भाग लिया था। सभा में भाग लेने के बाद पालोदी का कहना था कि बंगाल चुनाव में बीजेपी और तृणमूल कॉन्ग्रेस के बीच कोई मुकाबला नहीं है।

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सभा में जुटी भीड़ के बाद पालोदी ने दावा किया कि सीपीआई (एम) 2021 के चुनावों में एक मजबूत दावेदार है।

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उसे पड़ोसी देश बांग्लादेश के ‘कम्युनिस्ट’ छात्रों का समर्थन करते हुए भी देखा गया था। यहाँ पर यह उल्लेख किया जाना आवश्यक है कि पालोदी ममता बनर्जी शासन का मुखर आलोचक है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया