जेटली पर छिपाए नहीं छिपी कॉन्ग्रेस की कुंठा, मुखपत्र नेशनल हेराल्ड में बताया ‘चुगलखोर’

कॉन्ग्रेसी मुखपत्र की कुंठा

मौका कोई भी हो कॉन्ग्रेसी अपनी कुंठा नहीं छिपा पाते। उनकी भाषा पाकिस्तानियों और देश के कथित ‘अमनपसंद’ लिबरलों से हर बार मिल ही जाती है। भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री अरुण जेटली की मौत पर भी ऐसा ही दिखा।

एक तरफ कॉन्ग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गॉंधी ने निधन पर दुख जताते हुए जेटली की पत्नी को पत्र लिखा, जिसमें उनकी बौद्धिकता और दलगत राजनीति से इतर मित्रता के कसीदे पढ़े गए हैं। दूसरी ओर, कॉन्ग्रेस के मुखपत्र नेशनल हेराल्ड में शब्दों की चाशनी में लिपटे संस्मरण में जेटली को असफल वित्त मंत्री बताया गया है। इतना ही एक अनाम टीवी जर्नलिस्ट के हवाले से उन्हें चुगली करने वाला शख्स भी बताया गया है।

नेशनल हेराल्ड के घटिया और बकवास लेख में कहा गया है कि जेटली हमेशा एक “असफल वित्त मंत्री” के रूप में याद किया जाएँगे। कहा गया है कि उनकी एकमात्र उपलब्धि ‘दक्षिणपंथ’ का एक बेहतरीन प्रवक्ता होना है।

अब जेटली की पत्नी को लिखे गए सोनिया गॉंधी के पत्र के शब्दों पर गौर करे। सोनिया ने लिखा है, “मुझे आपके पति अरुण जेटली जी के असामयिक निधन के बारे में सुनकर बहुत दुख हुआ है। जेटली जी वह व्यक्ति थे जिनके दलगत राजनीति से इतर जीवन के हर तबके में मित्र और चाहने वाले थे।” साथ ही कहा है, “कैबिनेट मंत्री, राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष और सुप्रीम कोर्ट के वकील के तौर पर उनकी बौद्धिक क्षमता, योग्यता और संवाद कौशल सर्वविदित है।” पत्र में कहा गया है, “जेटली जी ने बीमारी से अंतिम दम तक लड़ाई लड़ी। उनका जाना इस मायने में और भी दुखद है कि उन्हें अभी सार्वजनिक जीवन बहुत योगदान देना था।”

लेकिन, नेशनल हेराल्ड ने जेटली को ‘देश की असफलता’ के लिए जिम्मेदार बताया है। लिखा है, “बतौर वित्त मंत्री, भले ही जेटली को हमेशा देश को असफल बनाने और मोदी के आगे आत्मसमर्पण करके एक ही रात में नोटबंदी करने के फैसले को लेकर याद किया जाएगा, लेकिन फिर भी उन्हें हमेशा वर्तमान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से कुशल समझा जाएगा। ”

लेख में लिखा गया है कि जेटली ने अपने विरोधियों से ज्यादा प्रंशसक अर्जित किए थे। उन्होंने अपने ‘आकर्षण और वाकपटुता’ से हमेशा अपने विरोधाभासों को संतुलित किया था।

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श्रद्धांजलि देने के इस नए अंदाज में नेशनल हेराल्ड ने जेटली की योग्यता और प्रतिबद्धता को पूर्ण रूप से नकारते हुए उनकी 2014 में वित्त मंत्री की नियुक्ति पर भी सवाल उठाए हैं। लिखा है, “कहा जाता है कि 2002 दंगों के बाद कानूनी जंजालों में फँसे नरेंद्र मोदी को अरुण जेटली ने ही बचाया था। इसलिए, 2014 में उन्हें वित्त मंत्री एहसान चुकाने के लिए मोदी ने बनाया।”

एक अनाम टीवी पत्रकार के हवाले से लिखा गया है कि जेटली को चुगली करना बहुत पसंद था। उन्हें इस लेख के जरिए भगवाधारियों में आधा लिबरल बताया गया और इसी एंगल से पूरे लेख की हेडलाइन बनाई गई, ताकि अंदर परोसे गए गंद को लोग दरकिनार कर दें। विरोधाभासों में संतुलन की राजनीति करने वालों में जेटली का नाम लेते हुए नेशनल हेराल्ड ने इस लेख में खुद को बचाए रखने का हर दूसरी लाइन में प्रयास किया, लेकिन कुंठा तो एक शब्द से ही दिख जाती है। चतुराई से जेटली को गौ-गोबर की राजनीति से दूर रहने वाला भी बताया है।

किसी दिवंगत आत्मा पर लिखे इस लेख को शायद ओछी मानसिकता का एक बेहतरीन उदाहरण बनाकर आने वाले समय में पेश किया जा सकेगा। क्योंकि जिस तरह पाकिस्तान के लोगों ने अरुण जेटली और सुषमा स्वराज की मृत्यु पर अपशब्दों का इस्तेमाल किया है, वैसे ही भारत में मौजूद इन तथाकथित लिबरल और नेशनल हेराल्ड जैसे अखबारों ने भी अपने इन लेखों से प्रखर राजनेता और कुशल रणनीतिकार का मजाक बनाया है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया