कोयले की कमी के बाद चीन में तेल का संकट, डीजल शॉर्टेज से अंधेरे में चायनीज फैक्ट्रियाँ: भारत ने बेहतर तरीके से किया हैंडल

कोयले के बाद अब डीजल की कमी से जूझ रहा है चीन (प्रतीकात्मक चित्र)

कोयले के बाद अब चीन डीजल की कमी से जूझ रहा है। चीन के कई हिस्सों में पेट्रोल स्टेशनों ने अब डीजल को बचा कर रखना शुरू कर दिया है और इसकी बिक्री कम कर दी गई है। ऐसा इसीलिए, क्योंकि इसकी माँग में लगातार वृद्धि हो रही है, लेकिन इसकी सप्लाई में भारी गिरावट आई है। कई ट्रक ड्राइवर घंटों से लाइन लगाए हुए हैं, ताकि उन्हें डीजल मिल जाए। चीन में कोयले और नेचुरल गैस की कमी के कारण पहले ही वहाँ की फैक्ट्रियाँ और कई लोग बिजली की कमी से जूझ रहे।

बिजली न मिलने के कारण फैक्ट्रियों में उत्पादन प्रभावित हुआ है और इससे महँगाई बढ़ती ही जा रही है। ताज़ा मामले से अब वैश्विक सप्लाई चेन के प्रभावित होने की आशंका है। डीजल की कमी होने के कारण लंबी दूरी तक ले जाए जाने वाले वस्तुओं की सप्लाई में बाधा उत्पन्न हुई है, जिससे चीन से बाहर जाने वाले माल भी प्रभावित हो रहे हैं। अब देखना ये है कि ये समस्या कितनी गहरी है और कितनी लंबी चलती है, क्योंकि इसका असर दूसरे देशों पर पड़ने के यही कारक होंगे।

कोरोना वायरस संक्रमण और उससे बचने के लिए चीन में लगे सख्त लॉकडाउन के बाद जब अर्थव्यवस्था खुल रही है, तब डिमांड में भारी वृद्धि के कारण ये सब हो रहा है। स्थिति ये है कि ट्रक ड्राइवरों को उनकी गाड़ी में 100 लिटर डीजल भरने की ही अनुमति दी जा रही है, जो उनकी क्षमता का मात्र 10% ही है। देश के कई हिस्सों में तो ये आँकड़ा 25 लिटर ही है। चीन के ट्रांसपोर्टेशन हब शिजियाझुआंग से 7 घंटे की दूरी पर दक्षिण में स्थित फुयांग शहर में पेट्रोल पंप डीजल भरने के लिए ट्रक ड्राइवरों से 300 युआन (47 डॉलर, 34 यूरो या 3509 रुपए) का सरप्लस चार्ज वसूल रहे हैं।

कई ट्रक रोजमर्रा की वस्तुएँ लेकर जाते हैं, ऐसे में उन्हें पर्याप्त डीजल नहीं मिल पा रहा। भोजन महँगा हो रहा है और एक्सप्रेस डिलीवरी धीमी है। चीन में कोयले की कमी से तो वहाँ के बाजार जूझ ही रहे थे, डीजल की कमी एक नई समस्या है। सभी फॉसिल फ्यूल के दामों में बड़ी बढ़ोतरी देखने को मिली है, वो भी ऐसे समय में जब माँग बढ़ती ही जा रही है। तेल, गैस और कोयला – इन सभी के दाम बढ़ रहे हैं। 2014 के बाद तेल के दामों में बड़ी बढ़ोतरी ने यूके और यूएस जैसे देशों में भी फ्यूल की कमी पैदा कर दी है।

पॉवर जनरेशन और हीटिंग के लिए कोयले की कमी के कारण चीन ने तेल का उपयोग शुरू कर दिया, लेकिन इसने इससे भी बड़ी समस्या पैदा कर दी है। इसका असर भारत में भी देखने को मिला। इससे क्रूड की खपत एक दिन में कम से कम 5 लाख बैरल अधिक बढ़ गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि चीन में शॉर्टेज में एक के बाद एक चीज शामिल होती जा रही हैं। कई कंपनियों ने अपनी फैक्ट्रियों को सक्रिय रखने के लिए बिजली के लिए कोयले की जगह डीजल का प्रयोग शुरू कर दिया है।

इसका सीधा अर्थ है कि चीन ‘एनर्जी क्राइसिस’ से जूझ रहा है। इसके बाद दुनिया भर में ये चर्चा जोर पकड़ रही है कि हमें अब जल्द से जल्द नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy) की तरफ शिफ्ट करने की जरूरत है। इसके लिए बड़ी प्लानिंग करनी पड़ेगी। चीन के कई शहरों में तेल के पंप तो एक सप्ताह से खाली पड़े हैं। ग्राहक एक निश्चित मात्रा ही खरीद सकते हैं। डीजल के दाम 0.2 युआन (2.34 रुपए) बढ़ कर 7.22 युआन (84.45 रुपए) हो गया है।

इससे कार्गो बिजनेस पर असर पड़ा है, खासकर वो छोटी कंपनियाँ जिनके पास कैश फ्लो सीमित है। चीन एक ऐसा देश है, जिसकी तेल की खपत का 70% हिस्सा बाहर से आयात पर निर्भर है। इससे अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार में थोड़े से बदलाव का भी वहाँ बड़ा असर पड़ता है। डोमेस्टिक गैसोलीन और डीजल के दाम वहाँ 22 अक्टूबर को ही बढ़ाए जा चुके हैं। वहाँ के प्रशासन का कहना है कि ठंड के मौसम और इस हीटिंग सीजन के ख़त्म होने ही ये अस्थायी समस्या ख़त्म हो जाएगी।

भारत में भी कोयले की कमी की बात कही जा रही थी और कई राज्यों में बिजली संकट की आशंका जताई जा रही थी, लेकिन केंद्र ने साफ़ कर दिया था कि देश के पास पर्याप्त कोयला भंडार है। इससे न तो यहाँ किसी फैक्ट्री को बंद करने की नौबत आई और न ही आमजनों को बिजली संकट का सामना करना पड़ा। अर्थात, भारत में इस स्थिति को अब तक अच्छे से संभाला गया है। कोरोना लॉकडाउन के बाद यहाँ की अर्थव्यवस्था भी ऊपर की ओर चढ़ रही है।

देश के विद्युत संयंत्रों में कोयले की कमी और उसको ले कर आने वाले ऊर्जा संकट की वायरल होती खबरों को केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह और केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने आधारहीन बताते हुए कहा था कि कोयले का स्टॉक पर्याप्त है और विद्युत सप्लाई में कोई कमी नहीं आएगी। भ्रामक खबरों के खंडन के रूप में कोयला मंत्रालय ने आश्वासन दिया था कि देश में कोयले का पर्याप्त भंडार है जो बिजली संयंत्रों की मांग पूरी करने के लिए काफी है। इसी के साथ कोयला मंत्रालय ने कहा था कि विद्युत् आपूर्ति बाधित होने की कोई भी खबर पूरी तरह से निराधार और भ्रामक है जिस पर ध्यान न देने की अपील भी की गई।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया