बिंदिया, आरती… जैसी कई लड़कियों को बनाया मुस्लिम, जबरन निकाह: पाकिस्तान के सिंध में जानवरों की तरह बेचे जा रहे हिंदू बच्चे

पाकिस्तान में हिन्दू लड़कियों का जबरन अपहरण और निकाह के मामले

पाकिस्तान के सिंध प्रान्त से हिन्दू बच्चों के बेचे जाने की खबर सामने आ रही है। जहाँ जानवरों की तरह बच्चे-बच्चियों को बेचा जा रहा है। यह जानकारी वॉइस ऑफ़ पाकिस्तान माइनॉरिटी के ट्विटर हैंडल ने दी है। इसमें पाकिस्तान पुलिस की मिलीभगत भी बताई जा रही है।

ट्वीट में लिखा गया है, “मीरपुरखास में एसएचओ मोमिन लगारी ने हिंदू समुदाय के 5 बच्चों को मोहम्मद बक्स लाघरी के हाथों 5 लाख रुपए में बेचा है। परिवार से वादा किया गया था कि उनके बच्चों को वापस कर दिया जाएगा लेकिन जब वे बताए गए लोकेशन पर पहुँचे तो उन्हें मना कर दिया गया।”

वहीं सिंध से सिंध से ही जबरन धर्म परिवर्तन के लिए दो और नाबालिग हिंदू लड़कियों के अपहरण का मामला भी सामने आया है। सिंध के खैरपुर से आरती मेघवार (14वर्ष ) और घोटकी से राबिया भील (13) का जबरन इस्लामीकरण के लिए अपहरण कर लिया गया। वहीं बताया जा रहा है कि इससे पहले भी बिंदिया नामक किसी लड़की को उठा लिया गया था।

बिंदिया के मामले में बताया जा रहा है कि हाल ही में कुम्भ, जिला खैरपुर मीर, सिंध से 13 वर्षीय हिंदू लड़की बिंदिया मेघवार का जबरन धर्म परिवर्तन और निकाह के लिए अपहरण कर लिया गया था। वहाँ के अल्पसंख्यक हिन्दू लगातार इसके लिए प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन कोई भी उनकी सुध लेने को वहाँ तैयार नहीं है। सिंध नैरेटिव के ट्विटर हैंडल से यह जानकारी देते हुए बताया गया है कि खैरपुर पुलिस ने शिकायत के बाद भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है।

यह कोई एक दो मामला नहीं है। वहाँ अक्सर हिन्दुओं लड़कियों को जबरन उठाने, इस्लाम कबूल कराकर निकाह के मामले आते रहते हैं। 2022 के पहले दिन, समरो सिंध की एक और हिंदू लड़की, नजमा कोहली का अपहरण करके इस्लाम कबूल करवाया गया और फिर फातिमा बनाकर एक 35 वर्षीय व्यक्ति अमानुल्लाह से निकाह करा दी गई। जिसके बाद पाकिस्तान में इसे अपहरण का मामला माना ही नहीं जाता।

वहीं15 साल की एक और हिंदू लड़की पायल कुमारी का भी सिंध के गोथ वाली मुहम्मद पटाफी से अपहरण कर लिया गया था और उसका भी मजहब बदलवाकर जबरन निकाह करा दिया गया।

ऐसे कई मामले है जिसे वॉइस ऑफ़ पाकिस्तान और सिंध नैरेटिव उठाते रहते हैं दुनिया के सामने कि कोई तो उनकी मदद करे। लेकिन न तो उनका संज्ञान अंतराष्ट्रीय मीडिया लेती है और कोई मानवाधिकार आयोग। पाकिस्तान की सरकार और पुलिस तो ऐसे मामलों को मजहबी मानकर पहले ही पल्ला झाड़ लेती है। या कभी कार्रवाई ही नहीं करती।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया