अमेरिका में भी हैं ‘राना अयूब’: अश्वेतों के नाम पर लिया ₹502 करोड़ का चंदा, आलीशान घरों की खरीद और ऐश पर किए खर्च

प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो साभार: एंसाइक्लोपी़डिया ब्रिटैनिका)

अमेरिका में जॉर्ज फ्लॉयड नाम के अश्वेत समुदाय के व्यक्ति की मौत के बाद ‘ब्लैक लाइव्स मैटर’ कैम्पेन शुरू किया गया था। इसी के नाम से ‘ब्लैक लाइव्स मैटर, ग्लोबल नेटवर्क फाउंडेशन’ नाम के एक संगठन में गड़बड़ी का मामला प्रकाश में आया है। रिपोर्टों के मुताबिक, इससे जुड़े तीन नेताओं पैट्रिस कुल्लर्स, एलिसिया गार्जा और मेलिना अब्दुल्ला ने दान में मिले पैसों 6 मिलियन डॉलर (45,35,79,000 रुपए) का एक शानदार मैंशन खरीदा है।

रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 में गुप्त रूप से यह संपत्ति खरीदी गई थी। दरअसल, अक्टूबर 2020 में फ्लॉयड की मौत के बाद हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान इस फाउंडेशन को कुल 66.5 मिलियन डॉलर (5,02,71,67,250 रुपए) का दान मिला। दो सप्ताह के बाद डायने पास्कल नाम के एक व्यक्ति ने एक घर खरीदा और अपने नाम पर उसका रजिस्ट्रेशन करवाया। पास्कल जनाया पैट्रिस कंसल्टिंग के फाइनैंशियल मैनेजर हैं। पैट्रिस कंसल्टिंग एक एलएलसी कंपनी है, जिसे कुल्लर्स और उनके पति चलाते थे। इस घर के मालिकाना हक को बाद में कानूनी फर्म पर्किन्स कोइ द्वारा डेलावेयर में स्थित एलएलसी को दे दिया गया।

बताया जाता है कि तीनों लोगों ने चोरी-छिपे 6500 वर्ग फुट से अधिक का घर खरीदा था, जिसमें दर्जनों बेडरूम, बाथरूम और 20 से अधिक कारों की पार्किंग के लिए स्पेस तक था। हालाँकि, इसके लिए लेन-देन कभी नहीं किया गया। इस प्रॉपर्टी का मालिक कौन है, इसको लेकर भी खुलासा नहीं किया गया है। लेकिन, कुलर्स समेत संगठन के कई अन्य लोग इस घर का इस्तेमाल करते थे। YouTube पर इसका वीडियो शेयर किया गया था।

याद दिला दें कि भारत में भी राना अय्यूब नाम की एक तथाकथित पत्रकार पर कुछ इसी तरह के आरोप हैं। हाल ही में उन्हें विदेश जाने से रोका गया था, क्योंकि उन पर कोरोना के नाम पर करोड़ों का चंदा इकट्ठा कर के इसे अपने परिवार के लिए खर्च करने के आरोप हैं। हालाँकि, इसके बाद वो उच्च-न्यायलय पहुँचीं, जहाँ से उन्हें विदेश जाने की अनुमति मिल गई।

ऐसे हुआ मामले का खुलासा

इस मामले का खुलासा उस वक्त हुआ जब न्यूयॉर्क पोस्ट ने एक आर्टिकल में दावा किया कि कुल्लर्स ने कैलिफोर्निया में 3 मिलियन डॉलर (22.68 करोड़ रुपए) के चार घर खरीदे हैं। साथ ही ‘ब्लैक लाइव मैटर्स ग्लोबल नेटवर्क फाउंडेशन’ को मिले दान में अंतर देखा गया था। इसके बाद कुल्लर्स ने फाउंडेशन के कार्यकारी निदेशक के पद से इस्तीफा दे दिया था।

पिछले साल जॉर्ज फ्लॉयड की मौत की बरसी मनाने के लिए तीनों एक घर में इकट्ठे हुए। उन्होंने एक वीडियो बनाया और उसे यूट्यूब पर शेयर कर दिया। वीडियो में तीनों ने राइट विंग मीडिया को घेरते हुए ये आरोप लगाया था कि उसने जानबूझकर ब्लैक लाइव्स मैटर से जुड़े लोगों को निशाना बनाया। कोई भी घर खरीदने की बात को मानने को तैयार नहीं है।

जॉर्ज फ्लॉयड की मौत

46 वर्षीय अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड की एक मिनिपोलिस पुलिस अधिकारी के हाथों मौत हो गई थी। कथित तौर पर उस मिनिपोलिस पुलिस अधिकारी ने फ्लॉयड की गर्दन पर लगभग 9 मिनट तक अपना घुटना रखा। जॉर्ज फ्लॉयड इस दौरान घुटना हटाने की गुहार लगाता रहा। उसने यह भी कहा था कि वह साँस नहीं ले पा रहा है। लेकिन, पुलिस अधिकारी नहीं पिघला और फ्लॉयड की मौत हो गई। इसके बाद लोगों का गुस्सा पुलिस के प्रति भड़क गया और हिंसक रूप ले लिया।

30 मई, 2020 को यह विरोध-प्रदर्शन पूरे अमेरिका में फैल गया, जिसके कारण कई शहरों में कर्फ्यू लगाना पड़ा। फिलाडेल्फिया में प्रदर्शनकारियों ने मियामी में राजमार्ग को यातायात को बंद करने के दौरान एक मूर्ति को गिराने की कोशिश भी की थी। ‘ब्लैक लाइव्स मैटर’ को पिछले साल शांति के नोबल पुरस्कार के लिए भी नामित किया गया था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया