चीनी वैक्सीन लगवा जो देश कर रहे थे छाती चौड़ी, वहाँ अब कोरोना लहर: Pfizer-BioNTech के बूस्टर डोज देंगे अब

चीनी वैक्सीन के बेअसर रहने पर अब दूसरी कंपनी के बूस्टर डोज देंगे ( साभार: SCMP)

कोरोना की रोकथाम के लिए चीनी वैक्सीन सिनोफॉर्म के असर पर सवालिया निशान लगते रहे हैं। इसको उस वक्त और बल मिला जब बहरीन ने अपने नागरिकों को फाइजर और बायोएनटेक एसई का डोज देने का एलान किया। ऐसा इसलिए ताकि कोरोना के मामलों में आए उछाल को नियंत्रित किया जा सके।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, बहरीन में चीन की वैक्सीन सिनोफॉर्म के बड़े पैमाने पर टीकाकरण के बावजूद हाल में कोरोना संक्रमण के केसों में तेजी से उछाल आया है। इसी कारण अब बहरीन अपने नागरिकों को फाइजर-बायोएनटेक की खुराक देकर बूस्टर शॉट देगा।

चीन की सिनोफॉर्म वैक्सीन से सुरक्षा और इसके प्रभावों पर गंभीर संदेह के बावजूद पिछले साल 2020 में बड़े पैमाने पर चीनी वैक्सीन खरीदने वाले देशों में से एक था बहरीन। एक साल बाद यह खाड़ी देश टीके की प्रभावशीलता पर शक कर रहा है।

बहरीन के स्वास्थ्य सचिव वलीद खलीफा अल माने ने कहा कि सिनोफॉर्म वैक्सीन बहरीन के 60 फीसदी से भी ज्यादा लोगों को लग चुका है। वहाँ वर्तमान कोरोना लहर में 90 फीसदी वो लोग संक्रमित हुए हैं, जिनका वैक्सीनेशन नहीं हुआ था।

डॉ. अल माने ने कहा कि 50 साल से अधिक उम्र के निवासियों, जो पहले से बीमार हैं, उन्हें सिनोफॉर्म का टीका लेने के 6 महीने के बाद बूस्टर शॉट लेने के लिए कहा गया है। उन्होंने कहा कि मई 2021 महीने के अंत में सरकार ने लोगों को बूस्टर शॉट देने की पेशकश की थी। जिन लोगों ने अभी तक टीकाकरण नहीं करवाया है, बहरीन सरकार उन सभी को फाइजर-बायोएनटेक वैक्सीन लगवाएगी। हालाँकि, डॉ अल माने ने यह भी कहा कि जो लोग चीनी वैक्सीन लगवाना चाहेंगे, वो उन्हें सिनोफॉर्म ही लगवाएँगे।

बहरीन समाचार एजेंसी के मुताबिक, गुरुवार (3 मई 2021) को वहाँ कोरोना के 1,936 नए संक्रमित मिले, जिससे संक्रमितों की संख्या 240,000 से अधिक हो गई है। वहीं एक हजार से भी अधिक मौतें अब तक हो चुकी हैं।

सर्बिया में भी सिनोफॉर्म के संतोषजनक परिणाम नहीं

अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा 26 मई, 2021 को प्रकाशित जर्नल में सिनोफॉर्म के प्रभाव को लेकर एक रिपोर्ट आई। इसमें सिनोफॉर्म के दो में से एक वर्जन सिम्टोमेटिक डिजीज में केवल 78 फीसदी असरकार पाई गई।

इसके अलावा सर्बिया में सिनोफॉर्म वैक्सीन का ट्रायल हुआ था, जिसमें 150 लोग शामिल थे। हालाँकि तीन महीने के बाद इनमें से 29 फीसदी लोगों में शून्य एंटीबॉडी मिली। सर्बियाई स्टडी में शामिल होने वाले लोगों की औसत आयु 65 साल से अधिक थी।

इस रिसर्च के चीफ ओल्गिका जुर्कोविच-जोकोविच ने कहा था, “सिनोफॉर्म वैक्सीन पर्याप्त रूप से इम्युनोजेनिक नहीं है और ऐसा लगता है कि बुजुर्गों पर इसका असर कम होता है।”

बता दें कि चीन की सरकार ने उसकी दोनों वैक्सीन सिनोफॉर्म और सिनोवैक को अपनी अंतरराष्ट्रीय कूटनीति का हिस्सा बना लिया है। वह उन देशों को जिन्हें अमेरिका और यूरोप निर्मित टीके मिलने में कठिनाई हो रही है, उन्हें इसकी सप्लाई कर रहा है। सिनोफॉर्म और सिनोवैक बायोटेक लिमिटेड को पहले ही विश्व स्वास्थ्य संगठन से एमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मिल चुकी है।

इन दोनों ही टीकों को इनएक्टिवेटेड वायरस से बनाया गया है। टीका बनाने की यह तकनीक लंबे समय से इस्तेमाल की जाती रही है। जबकि, फाइजर-बायोएनटेक ने आरएनए मैसेंजर तकनीक का इस्तेमाल कर इसे वैक्सीन का निर्माण किया है।

लोगों को तीसरा बूस्टर डोज देंगे सेशेल्स और यूएई

हिंद महासागर की गोद में बसा छोटा सा आईलैंड नेशन सेशेल्स, यूएई से दान में मिली सिनोफॉर्म वैक्सीन के दम पर दुनिया का सर्वाधिक वैक्सीनेशन वाला देश बन गया है। हालाँकि, चीन की वैक्सीन लगाने के बावजूद वहाँ कोरोना का संक्रमण तेजी से फैला है, जिसके बाद अब सेशेल्स के मंत्रालय ने अपने लोगों को तीसरा डोज देने का एलान किया है।

इस बीच अब यूएई ने भी उन लोगों को वैक्सीन का तीसरा डोज देने का एलान किया है, जिनमें एंटीबॉडी नहीं बनी है। वैसे सिनोफॉर्म ने संयुक्त अरब अमीरात में एक ट्रायल भी किया था और मध्य-पूर्व में यूएई के नेतृत्व वाले ट्रायल के बाद सिनोफॉर्म ने मिस्र, हंगरी और अर्जेंटीना के साथ 175 मिलियन वैक्सीन के डोज के लिए कॉन्ट्रैक्ट किया था। इसके अलावा दूसरे छोटे देशों को 18 मिलियन वैक्सीन दान की थी।

दुबई के शासक शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम, सर्बियाई राष्ट्रपति अलेक्जेंडर वूसिक और फिलीपीन के राष्ट्रपति रोड्रिगो दुतेर्ते उन राष्ट्र-प्रमुखों में शामिल हैं, जिन्होंने सार्वजनिक रूप से सिनोफॉर्म का टीका लगवाया था।

लेकिन अब दुबई में जैसे-जैसे कोरोना संक्रमण के केसों में वृद्धि हुई है, दुबई के अधिकारियों ने लोगों को फाइजर-बायोएनटेक का डोज देना शुरू कर दिया है। इसी के साथ बहरीन की तरह ही यूएई में भी लोग अपनी पसंद का टीका चुन सकेंगे।

अब जब चीनी वैक्सीन सिनोफॉर्म के असर को लेकर सवाल उठने शुरू हो गए हैं तो चीन ने इस पर चुप्पी साध ली है। सबसे ज्यादा चीनी वैक्सीन पर निर्भर देश सेशेल्स में कोरोना के मामलों में उछाल आने के बाद पिछले महीने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने दावा किया था कि इस तरह हर मोड़ पर चीन को बदनाम करने की विदेशी मीडिया की अस्वस्थ मानसिकता को उजागर करती है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया