बांग्लादेश में PM मोदी के दौरे के विरोध में हिंसा भड़काने वाले कट्टरपंथी समूह का नेता मदरसे से गिरफ्तार

ममुनुल हक को पुलिस ने किया गिरफ्तार

बांग्लादेश की ढाका पुलिस ने कट्टरपंथी समूह हिफाजत-ए इस्लाम के नेता ममुनुल हक को गिरफ्तार किया है। हक पर पिछले साल दंगे भड़काने, हत्या की कोशिश और तोड़फोड़ जैसे मामलों में केस दर्ज हुआ था। रविवार (अप्रैल 18, 2021) को ढाका पुलिस ने उसे शहर के मोहम्मदपुर इलाके में बने एक मदरसे से पकड़ा।

ममुनुल हक, हिफाजत-ए-इस्लाम का ज्वाइंट सेक्रेट्री है। इसी संगठन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बांग्लादेश दौरे पर देश में दंगे भड़काने और जगह-जगह हिंसा करने का काम किया था। पड़ताल में पता चला था कि घटना में कई हिफाजत-ए-इस्लाम के नेता शामिल थे। सबने मिल कर पुलिस पर सुनियोजित ढंग से हमले किए, जिसके कारण बाद में 300 से ज्यादा लोग हिंसा फैलाने के आरोप में गिरफ्तार हुए।

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ममुनुल हक को फिलहाल कोर्ट में पेश करने के बाद 7 दिन की रिमांड में भेजा गया है। वहीं समूह के सरगना जुनैद बाबूनगरी ने वीडियो मैसेज जारी कर सभी नेताओं की रिहाई की माँग उठाई है। इनमें ममुनुल हक के साथ पार्टी के ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेट्री अजीजुल हक इस्लामाबादी को रिहा करने की माँग भी है।

बता दें कि बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख हसीना के आमंत्रण पर 26 मार्च को प्रधानमंत्री मोदी 2 दिन के दौरे पर बांग्लादेश गए थे।  उनके वहाँ जाते ही कट्टरपंथियों ने हर जगह हंगामा मचा दिया। पुलिस के साथ झड़प में और पुलिसकर्मियों पर हमले में इस समूह के 17 लोग मारे गए। 

हिफाजत-ए-इस्लाम

उल्लेखनीय है कि साल 2010 में इस कट्टरपंथी इस्लामी संगठन को बनाया गया था। इसे बनाने में बांग्लादेश के मदरसों के उलेमा और छात्रों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस संगठन पर आरोप लगते रहे हैं कि इनका संबंध जमात-ए-इस्लामी और तालिबान जैसे आतंकी संगठनों से हैं। हालाँकि, हिफाजत इन आरोपों को खारिज करता रहा है।

इसी समूह का ज्वाइंट सेक्रेट्री ममुनुल हक अपने भड़काऊ भाषणों के कारण चर्चा में रहता है। कट्टरपंथियों के बीच वह काफी लोकप्रिय है। हक और उसके साथियों ने ही हाल में बांग्लादेश की आजादी के लिए लड़ने वाले शेख मुजीबुर रहमान की मूर्ति बनाए जाने का विरोध करते हुए इसे गैर इस्लामिक करार दिया था।

एक युवक ने जब ममुनुल हक की आलोचना करते हुए वीडियो अपलोड किया था तो हिफाजत-ए-इस्लामी ने सुनामगंज में 80 हिंदुओं के घरों को आग में झोंक दिया था। इसके कारण कई हिंदू परिवारों को अपने घर छोड़कर जाने पर मजबूर होना पड़ा था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया