शौहर ने हथौड़ों से मारा, बिन पूछे बच्चों को मुस्लिम बनाया; कोर्ट ने दी कस्टडी तो कट्टरपंथी कह रहे- इस्लाम छोड़ने की सजा मौत: मलेशिया में हिंदू माँ का संघर्ष

मलेशिया में हिंदू महिला का दर्द

कुछ महीने पहले मलेशिया में अपने मुस्लिम शौहर से अपने बच्चों की कस्टडी की लड़ाई लड़ने वाली हिंदू महिला एक बार फिर चर्चा में है। खबर है 35 साल की लोह सिउ हॉन्ग नाम की हिंदू चीनी महिला पर कट्टरपंथी दबाव बनाना चाहते हैं ताकि वह अपने बच्चों को मुस्लिम ही रहने दें, जबकि लोह का सवाल रहा है कि उनके बच्चों का धर्मांतरण उनकी बिन मर्जी के हुआ था तो ये वैध कैसे हो सकता है।

जानकारी के मुताबिक मलेशिया की इस्लामी पार्टी जो कि सरकार में एक हिस्सा रखती है वो लोह को सलाह दे रही है कि वो बच्चों की घरवापसी न करवाएँ और अगर बच्चे मुस्लिम बन गए हैं तो उन्हें वही रहने दें क्योंकि इस्लाम में मजहब छोड़ने की सजा सिर्फ मौत होती है।

समूह के इन्फॉर्मेशन चीफ खैरिल निजाम खिरुद्दी ने एएफपी को इस संबंध में कहा, “अगर हम उस महिला से मिलते हैं तो हम उन्हें मनाएँगे कि वो बच्चों को मुस्लिम ही रहने दें।”

बता दें कि लोह सिऊ हॉन्ग नाम की 35 वर्षीय हिंदू चीनी महिला ने इसी साल 21 फरवरी को अपने बच्चों की कस्टडी कानूनी लड़ाई लड़के पाई थी। उन्होंने अपने शौहर पर आरोप लगाया था कि उसने बिन उनकी मर्जी पूछे बच्चों का इस्लामी धर्मांतरण करवा दिया। लेकिन, अब चूँकि लोह के पास बच्चों की कस्टडी है तो वो चाहती हैं कि उनके बच्चे अपने असली धर्म का अनुसरण करें।

उल्लेखनीय है कि हिंदू महिला लोह अपने शौहर से मार्च 2019 में अलग हुई थीं। उनका आरोप था कि उनका शौहर नागाहस्वरान मुनियांदी उन्हें बेरहमी से मारता था, उनका सिर दीवार में लड़ा देता था, उनके पैर तोड़ देता था, उन पर हथौड़े से वार करता था और प्रेस उनके सिर पर फेंक देता था। इन्हीं यातनाओं से तंग आकर वह अपने बच्चों के साथ घर से भाग गई थीं और शरीर पर चोट होने के कारण काफी समय अस्पताल में भी रहीं।

लोह के अनुसार जब वह हॉस्पिटल में थीं तभी उनका शौहर उनके तीनों बच्चों (1 लड़का और दो जुड़वा लड़कियों) को साथ ले गया और उनका धर्मांतरण करवा दिया। चूँकि तीनों ही बच्चे नाबालिग थे और सिउ ने अपनी सहमति भी नहीं दी थी, तो इस पूरे धर्मांतरण को एक तरफा कहा गया।

हॉन्ग ने बड़ी मुश्किल से अपने बच्चों की खोजबीन की और पुलिस की मदद से उन तक पहुँची। इसी बीच उनका शौहर भी ड्रग सिलसिले में गिरफ्तार हो गया, लेकिन बच्चों की कस्टडी इस्लामी समूह को देकर गया। ये लोग लोह को उनके बच्चों से मिलने भी नहीं देते थे। जब महिला ने पुलिस से बारे में बताया तो वह अपने बच्चों से मिल पाईं और पूरा केस शुरू हुआ। 2019 में ही उन्हें अपने बच्चों की अंतरिम कस्टडी मिली, लेकिन इसके बाद कोविड के कारण प्रक्रिया में देर होती गई। मार्च 2021 में जाकर लोह ने अपने बच्चों की कस्टडी ढंग से पाई।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया