‘नेपाल को फिर हिन्दू राष्ट्र बनाओ’ – काठमांडू में हजारों की संख्या में सड़क पर जनता, वर्तमान व्यवस्था से नाराजगी

नेपाल में जगह-जगह हुए विरोध प्रदर्शनों का दृश्य

नेपाल की जनता एक बार फिर से ‘हिन्दू राष्ट्र’ की माँग लेकर सड़कों पर उतरी है। हजारों लोगों ने राजशाही को वापस लाने के लिए हो रहे आंदोलन में हिस्सा लिया और सड़कों पर उतर कर विरोध प्रदर्शन किया। काठमांडू में नेपाल के राष्ट्रीय झंडे को लेकर लोग सड़कों पर उतरे। इस रैली की योजना पहले से ही तैयार कर ली गई थी और बड़े ही व्यवस्थित ढंग से इस विरोध प्रदर्शन को लोगों ने अंजाम दिया, जिससे वहाँ की सरकार नाराज है।

इस विरोध प्रदर्शन का सबसे बड़ा रूप शनिवार (दिसंबर 5, 2020) को देखने को मिला। लोगों ने कहा कि अब समय आ गया है, जब हिमालय पर स्थित इस भूमि को न सिर्फ पुनः हिन्दू राष्ट्र घोषित किया जाए, बल्कि संवैधानिक राजशाही को भी वापस लाया जाए। उन्होंने वर्तमान सरकार और व्यवस्था को हर प्रकार से विफल करार दिया। जनता का कहना था कि देश के हित में और लोगों की भलाई के लिए ऐसा होना जरूरी है।

पिछले एक महीने से इसी प्रकार का विरोध प्रदर्शन जारी है। इस दौरान जिस व्यक्ति का चित्र इस्तेमाल किया जा रहा है, वो हैं पृथ्वी नारायण शाह। उनकी तस्वीरें लेकर प्रदर्शनकारी निकल रहे हैं। उन्हें आधुनिक संस्थापक और जनक माना जाता है। इससे पहले नवंबर 10 को ‘नेशनलिस्टिक सिविक सोसाइटी’ ने काठमांडू के जमाल में विरोध प्रदर्शन कर के हिन्दू राष्ट्र को पुनः स्थापित करने की माँग की और राजशाही के समर्थन में नारे लगाए।

इसके 2 दिनों बाद ही ‘नेपाल स्कॉलर काउंसिल’ ने विराटनगर में विरोध प्रदर्शन किया और वहाँ भी माँगें यही थीं। शनिवार वाला विरोध प्रदर्शन ‘राष्ट्रीय नागरिक आंदोलन समिति 2077’ के द्वारा ऑर्गेनाइज किया गया था। इसी तरह वर्तमान प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के गृह शहर झापा में ‘राष्ट्रीय प्रजातांत्रिक पार्टी’ ने विरोध प्रदर्शन की योजना तैयार की है। प्रदर्शनकारियों की समस्या फ़ेडरल डेमोक्रेटिक रिपब्लिकन सिस्टम से है।

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2015 में नेपाल का नया संविधान बना था और 2017 में आम चुनाव हुए थे। पीएम ओली भी वर्तमान व्यवस्था पर भरोसा जताते हैं और साथ ही लोकतांत्रिक सिस्टम को मजबूत करने की कोशिश में लगे रहते हैं। नेपाल की सत्ताधारी और विपक्षी पार्टियाँ, दोनों के ही विफल रहने के बाद लोग नाराज हैं और पुराने सिस्टम की ओर की लौटना चाहते हैं। महामारी की आपदा ने इस सोच को और मजबूत किया है। नेपाल में भ्रष्टाचार भी चरम पर है।

नेपाल में चीनी घुसपैठ भी बढ़ रहा है। ओली सरकार बार-बार नेपाल के हुमला इलाके में चीनी घुसपैठ से इनकार कर रही है। हाल ही में मुख्य विपक्षी दल नेपाली कॉन्ग्रेस के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जीवन बहादुर शाही ने दावा किया था कि उन्हें चीनी अतिक्रमण के पुख्ता सबूत मिले हैं। उन्होंने नेपाल की ओली सरकार को निकम्मा बताते हुए कहा था कि स्थलगत निरीक्षण के बाद हमारा निष्कर्ष है कि हमारी जमीन पर चीन द्वारा अवैध रूप से कब्जा किया गया है और चीन से कूटनीतिक वार्ता का कोई विकल्प नहीं है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया