नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की ओर से अयोध्या और हिंदुओं के आराध्य भगवान श्री राम को लेकर दिए गए विवादित बयान को लेकर नेपाल के विदेश मंत्रालय ने एक स्पष्टीकरण जारी किया है। गौरतलब है कि नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने 13 जुलाई को कहा था कि श्री राम नेेपाली थे और भारत ने सांस्कृतिक अतिक्रमण करने के लिए वहाँ फर्जी अयोध्या का निर्माण कराया।
इसके साथ ही पीएम केपी शर्मा ओली ने यह भी कहा था, ”हालाँकि वास्तविक अयोध्या बीरगंज के पश्चिम में थोरी में स्थित है, भारत अपने यहाँ भगवान राम का जन्मस्थल होने का दावा करता है।” वहीं अब अजीबोगरीब दावे के बाद खुद को बुरी तरह घिरता देख ओली ने विदेश मंत्रालय के जरिए सफाई पेश करवाई है।
As there have been several myths and references about Shri Ram and places associated with him, PM was highlighting importance of further studies and research of vast cultural geography Ramayana represents to obtain facts…: Nepal Foreign Ministry https://t.co/C4x8cLGnDA
— ANI (@ANI) July 14, 2020
नेपाल के विदेश मंत्रालय ने कहा कि आदिकवि भानु भक्त आचार्य की 207 वीं जयंती समारोह के दौरान पीएम ओली द्वारा दिए गए बयान की गलत व्याख्या की गई थी। पीएम के भाषण का राजनीतिक मुद्दे से कोई लेना-देना नहीं था। इससे किसी की भावना को ठेस पहुँचाने का इरादा नहीं था।
विदेश मंत्रालय की ओर से जारी इस स्पष्टीकरण में कहा गया है, “प्रधानमंत्री ओली श्री राम, अयोध्या और इनसे जुड़े विभिन्न स्थानों को लेकर तथ्यों की जानकारी के लिए केवल उस विशाल सांस्कृतिक भूगोल के अध्ययन और शोध के महत्व का उल्लेख कर रहे थे जिसे रामायण प्रदर्शित करती है।” उन्होंने आगे कहा कि श्री राम और उनसे जुड़े स्थानों से संबंधित कई पौराणिक कथाएँ और संदर्भ हैं।
मंत्रालय ने आगे कहा कि पीएम का मतलब अयोध्या के महत्व और सांस्कृतिक मूल्यों के महत्व को कम करना नहीं था। नेपाल और भारत में हर साल “विवाह पंचमी” मनाया जाता है। इस अवसर पर भारत के अयोध्या से नेपाल के जनकपुर तक बारात आती है। नेपाल और भारत के प्रधानमंत्रियों ने मई 2018 में रामायण सर्किट लॉन्च किया था जिसका जनकपुर-अयोध्या बस सेवा एक अहम हिस्सा है।
नेपाल और भारत के संबंधों में टकराव
उल्लेखनीय है कि चीन का साथ देते हुए भारत के खिलाफ उठाए गए कई कदमों की वजह से भारत और नेपाल के बीच संबंध खराब हुए हैं। जहाँ नेपाली संसद ने नए मानचित्र में भारत के कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा को नेपाल का हिस्सा बता कर शामिल किया गया था। जिसको लेकर भारतीय पक्ष ने विरोध भी किया था।
इसके अलावा नेपाली रेडियो स्टेशन भारत-विरोधी गाने बजाने की भी खबरें सामने आई थी। वहीं नेपाल की सांसद सरिता गिरि द्वारा भारत का समर्थक करने पर उनकी सदस्यता भी छीन ली गई थी।