आतंकवाद पर लगाम लगाने के लिए तालिबान की शरण में पाकिस्तान: अफगानिस्तान के सुप्रीम लीडर के सामने गिड़गिड़ाने जाएगा प्रतिनिधिमंडल, पेशावर हमले में मारे गए थे 93

तालिबान की शरण में मियाँ शाहबाज शरीफ की सरकार (फाइल फोटो)

अपने ही द्वारा पोषित आतंकवाद से परेशान पाकिस्तान अब तालिबान के सामने गिड़गिड़ा रहा है। आलम ये है कि इस्लामी मुल्क की मस्जिदें भी सुरक्षित नहीं हैं। पेशावर में एक मस्जिद में हुए बम धमाके के बाद अब पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार से मदद माँगने का मन बनाया है, ताकि आतंकवाद कम हो। पेशावर मस्जिद में हुए बम धमाके में 90 लोग मारे गए थे। तालिबान के सुप्रीम लीडर से इस बाबर दरख्वास्त की जाएगी।

‘पाक इंस्टिट्यूट फॉर पीस स्टडीज’ का कहना है कि मुल्क की जो सीमाएँ अफगानिस्तान से लगती हैं, पड़ोसी मुल्क में तालिबान के सत्ता सँभालने के बाद से उन इलाकों में आतंकवादी घटनाओं में 50% की बढ़ोतरी हुई है। पाकिस्तानी तालिबान ने कई आतंकी घटनाओं की जिम्मेदारी ली है। इसे ‘तहरीक-ए-तालिबान (TTP)’ के नाम से भी जाना जाता है। अफगानिस्तानी तालिबान का मुखिया हिबतुल्लाह अखुंदज़ादा है, जो अमेरिका में वॉन्टेड है।

TTP के दो सरगनाओं सरबकफ मोहम्मद और उमर मकरम खुरासानी ने कहा है कि पेशावर का हमला उन्होंने अपने एक अन्य साथी खालिद खोरसानी की मौत का बदला लेने के लिए अंजाम दिया था। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री मियाँ शाहबाज शरीफ के स्पेशल अस्सिस्टेंट फैसल करीम कुण्डी ने कहा कि ईरान की राजधानी तेहरान में भी एक प्रतिनिधिमंडल भेजा जाएगा। साथ ही एक प्रतिनिधिमंडल अफगानिस्तान की राजधानी काबुल भी जाएगा।

इन दोनों ही मुल्कों से कहा जाएगा कि वो आने-अपने देश से लगी पाकिस्तान के सीमावर्ती इलाकों में आतंकवाद पर लगाम लगाएँ। काबुल भेजी जाने वाली समिति को वहाँ के शीर्ष नेताओं से मुलाकात कराया जाएगा। इसका सीधा अर्थ है कि तालिबान के मुखिया से मुलाकात होगी। पेशावर में हुए बम धमाके में न सिर्फ 93 लोग मारे गए हैं, जबकि 200 से ज़्यादा घायल भी हुए हैं। पाकिस्तान पहले से ही कंगाल होने के कगार पर खड़ा है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया