ब्रिटेन में भारतीय नागरिक विग्नेश पट्टाभिरामन की हत्या के मामले में 25 वर्षीय पाकिस्तानी नागरिक शाजेब खालिद को दोषी ठहराया गया है। विग्नेश पट्टाभिरामन, जो तमिलनाडु के निवासी थे और लंदन में एक रेस्टोरेंट मैनेजर के तौर पर काम कर रहे थे, की हत्या वैलेंटाइन डे (14 फरवरी 2024) के दिन हुई थी। शाजेब और उसके साथी को 10 अक्टूबर को सजा सुनाई जाएगी।
पुलिस के मुताबिक, रीडिंग क्राउन कोर्ट की ज्यूरी ने शाजेब खालिद को विग्नेश की हत्या का दोषी पाया है। आरोप है कि खालिद ने विग्नेश को जानबूझकर अपनी कार से टक्कर मारकर मौत के घाट उतारा। खालिद को इस जघन्य अपराध के लिए 2000 पाउंड की सुपारी दी गई थी। विग्नेश की मौत 15 फरवरी को रॉयल बर्कशायर अस्पताल में हुई, और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, उनकी मौत सिर में गंभीर चोट लगने के कारण हुई थी।
विग्नेश पट्टाभिरामन, जो कोयंबटूर के मदुरामलाई के आईओबी कॉलोनी का निवासी था, दिसंबर 2022 में अपनी पत्नी राम्या के साथ लंदन आया था। उन्होंने वेल के एक दक्षिण भारतीय रेस्टोरेंट में काम शुरू किया था और चर्चिल स्थित हयात रीजेंसी लंदन में नई नौकरी की तैयारी कर रहे थे। इसी बीच, उनकी हत्या हो गई।
हत्याकांड की जाँच में यह खुलासा हुआ कि विग्नेश की हत्या की सुपारी मोहम्मद साकिब इस्माइल ने दी थी, जो वेल के रेस्टोरेंट में ऑपरेशन मैनेजर के रूप में काम करता था। इस्माइल को संदेह था कि विग्नेश उसके रेस्टोरेंट में लोगों को गैरकानूनी तरीके से नौकरी दिला रहा है। इस्माइल ने अपने दोस्त सोहित हुसैन से विग्नेश को डराने के लिए किसी ऐसे व्यक्ति को ढूँढने को कहा जो उसे डराकर सजा दे सके। सोहित हुसैन ने यह काम शाजेब खालिद को सौंपा, जिसने विग्नेश को अपनी कार से टक्कर मार दी।
घटना के बाद एक प्रत्यक्षदर्शी ने देखा कि खालिद ने कार से बाहर निकलकर विग्नेश पर तीन बार किसी वस्तु से हमला किया। प्रॉसीक्यूशन का आरोप है कि खालिद ने विग्नेश के पैसे भी चुराए। खालिद ने अपने बचाव में कहा कि उसने केवल डराने के लिए कार दौड़ाई थी और उसका इरादा विग्नेश को मारने का नहीं था। उसने पैसे चुराने के आरोपों को भी नकारा किया है।
खालिद 2007 में पाकिस्तान से ब्रिटेन आया था और वहाँ लंबे समय से रह रहा था। इस मामले में खालिद को काम पर रखने वाले सोहित हुसैन को भी अपराध में सहयोग करने के लिए दोषी पाया गया है। दोनों आरोपितों को 10 अक्टूबर को सजा सुनाई जाएगी।
इस हत्याकांड ने न केवल स्थानीय भारतीय समुदाय को झकझोर दिया, बल्कि ब्रिटेन में भारतीयों की सुरक्षा और कानून व्यवस्था पर सवाल भी खड़ा किया है। इस मामले ने यह साबित कर दिया है कि समाज में अपराध और बुराई को रोकने के लिए सख्त निगरानी और सही कार्रवाई की आवश्यकता है।