सबरीना सिद्दीकी, इल्हान उमर, रशीदा तलीबी… ‘मुस्लिम-मानवाधिकार’ प्रोपेगेंडा का हथियार बनी अमेरिकी ‘जनाना मंडली’ को जानते हैं आप

रशीद तलीबी, सबरीना सिद्दीकी और इल्हान उमर

नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही ‘भारत में मुस्लिमों का दमन’ दुनियाभर की लेफ्ट-लिबरल लॉबी का पसंदीदा प्रोपेगेंडा है। उससे पहले ‘गुजरात में मुस्लिम असुरक्षित’ उनके प्रोपेगेंडा लिस्ट में टॉप पर होता था। पीएम मोदी के अमेरिका के राजकीय दौरे के दौरान भी इस प्रोपेगेंडा को हवा देने की पूरी कोशिश हुई। तीन औरतों को इसके लिए आगे किया गया। इनमें से दो इल्हान उमर और रशीदा तलीब अमेरिका की सांसद हैं। वहीं सबरीना सिद्दीकी पत्रकार। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने व्हाइट हाउस में प्रेस काॅन्फ्रेंस के दौरान लोकतंत्र का पाठ पढ़ाकर एक बार फिर से इस प्रोपेगेंडा की हवा निकाल दी है।

कौन है सबरीना सिद्दीकी और क्या पूछा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिकी दौरे के दौरान सबरीना सिद्दीकी ने व्हाइट हाउस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अल्पसंख्यकों के हित में उठाए जाने वाले कदमों पर सवाल किया था। सबरीना ने पूछा था, “आप और आपकी सरकार अपने देश में मुसलमानों और अन्य अल्पसंख्यकों के अधिकारों में सुधार करने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए क्या कदम उठाने को तैयार हैं?” इस पर पीएम मोदी ने उन्हें करारा जवाब देते हुए भारतीय लोकतंत्र का मतलब समझाया था और कहा था किभारत किसी के धर्म, जाति, रंग, लिंग को देखकर भेदभाव नहीं करता।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अल्पसंख्यकों पर सवाल करने वाली सबरीना सिद्दीकी वॉल स्ट्रीट की जर्नलिस्ट हैं। वह अमेरिका की हाई प्रोफाइल मुस्लिम अमेरिकनों में से एक हैं। वॉशिंगटन डीसी में वह वॉल स्ट्रीट जर्नल की ओर से व्हाइट हाउस की रिपोर्टिंग करती हैं। इसे अमेरिका में पत्रकारिता क्षेत्र की सबसे खास बीट माना जाता है।

इससे पहले उन्होंने 2019 में गार्जियन के लिए काम करते हुए व्हाइट हाउस पर रिपोर्टिंग की थी। मौजूदा जानकारी के अनुसार उन्होंने नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की पढ़ाई की है और वर्तमान में वाशिंगटन में ही अपने शौहर अली जाफरी के साथ रहती हैं। उनके अब्बा का नाम जमील है जो पैदा भारत में हुए, लेकिन पले-बढ़े पाकिस्तान में। सबरीना की अम्मी भी पाकिस्तान की है।

कश्मीरी के खिलाफ प्रोपगेंडा फैलाने वाले के क्रम में सबरीना पीछे नहीं रही हैं। साल 2019 में जब कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा था तब उस समय सबरीना ने इस मुद्दे को ट्रंप के आगे उठा दिया था।

एक रिपोर्ट बताती है कि सबरीना को साल 2016 के चुनावों के दौरान कई मतदाताओं से मुस्लिमों के लिए अपशब्द सुनने को मिले थे। इसी के बाद उन्हें अपनी मुस्लिम पहचान का एहसास हो गया। इसके बाद वो मुस्लिमों की आवाज बनी और पत्रकार होते हुए उनके मुद्दे उठाने लगीं। प्रधानमंत्री के आगे भी सबरीना ने इसी दिशा में सवाल पूछा था। हालाँकि प्रधानमंत्री ने करारा जवाब दिया और सोशल मीडिया पर लोग एकतरफा पत्रकारिता पर सवाल उठाने लगे सो अलग।

लोगों ने सबरीना ने कहा कि जिस तरह से व्हाइट हाउस में भारतीय लोकतंत्र पर प्रधानमंत्री से सवाल किया गया है क्या इस तरह का सवाल कभी किसी मुस्लिम देश के राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री से किया गया है कि वहाँ अल्पसंख्यकों की हालत क्या है।

कौन हैं रशीदा तलीब

इसी तरह पीएम के अमेरिकी दौरे को महिला सांसद रशीदा तलीब ने शर्मनाक कहा था जबकि वो खुद आतंकवादियों की हमदर्द हैं। उनके ऐसे संस्थानों और लोगों के साथ उठना बैठना है जो प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष आतंकी संगठनों से जुड़े हैं। इसके अलावा वो अमेरिका संसद होते हुए भी यहूदियों के खिलाफ अपनी घृणा को दिखाती रही हैं। एक बार तो उन्होंने हिटलर द्वारा यहूदियों के नरसंहार पर खुशी मनाने की बात कही थी। इसके अलावा कश्मीर विरोधी प्रोपेगेंडा का भी प्रचार करने में वो पीछे नहीं रहीं।

कौन हैं इल्हान उमर

रशीदा तलीबी की तरह अमेरिका में एक और मुस्लिम महिला सांसद इल्हान उमर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषणों का बॉयकॉट करने का ऐलान किया, जो कि सोमालिया की मूल निवासी हैं और इस्लाम की जबरदस्त पैरोकार भी। इल्हान वही महिला सांसद हैं जिन्हें तारक फतेह कभी भारत विरोधी कट्टरपंथी कहते थे और जो अपने सगे भाई से शादी करने के कारण पहले भी मीडिया में चर्चा का कारण रह चुकी हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया