कश्मीर तो झाँकी है, POK अभी बाकी है: अमेरिका व स्कॉटलैंड में CAA के समर्थन में उतरे लोग, मीडिया ने छिपाया

स्कॉटलैंड में सीएए के समर्थन में उतरे लोगों ने पाकिस्तान को भी घेरा

भारत में कई जगहों पर नागरिकता संशोधन क़ानून का विरोध करते हुए रैली निकाली जा रही है और इसके समर्थन में भी लाखों लोग सड़क पर उतरे हैं। अंतर इतना है कि जहाँ भी सीएए के समर्थन में लोग सरकार की प्रशंसा करते हुए सड़कों पर उतर रहे हैं, उन्हें विरोधी गुट द्वारा परेशान किया जा रहा है। विदेश में भी कई इस्लामी व वामपंथी गुटों ने सीएए के विरोध में रैली निकाली, जिन्हें अंतरराष्ट्रीय मीडिया का अच्छा-ख़ासा कवरेज मिला। लेकिन, मीडिया ने बड़ी चालाकी से कई ऐसी विशाल रैलियों को कवर नहीं किया, जो सीएए के समर्थन में हुए थे।

इसी तरह की एक रैली अमेरिका के ह्यूस्टन शहर में निकली। गणतंत्र दिवस के दिन रविवार (जनवरी 26, 2020) को हज़ारों लोगों ने मोदी सरकार द्वारा लाए गए इस क़ानून के समर्थन में रैली निकाली। ये रैली भारतीय काउंसलेट के सामने हुई। दुनिया भर में कई बड़े शहरों में सीएए के समर्थन में रैलियाँ हो रही हैं। एबीपी न्यूज़ के अनुसार, ह्यूस्टन में हुई रैली में ‘कश्मीर तो झाँकी है, पीओके अभी बाकी है’ नारे से पूरा वातावरण गूँज उठा। इस रैली में प्रवासी भारतीय समुदाय के लोग शामिल थे, जो संशोधित नागरिकता क़ानून से ख़ुश थे।

इन लोगों ने हाथों में तख्तियाँ और तिरंगा झंडा लिया हुआ था। इन तख्तियों में लिखा था कि भारत के संविधान और ‘वन्दे मातरम’ का सम्मान करो। इसी रैली में अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त किए जाने वाले फ़ैसले की भी तारीफ की गई। इन तख्तियों में पाकिस्तान के लिए भी सन्देश था। रैली में शामिल लोगों ने कहा कि पाकिस्तान को हिन्दुओं व वहाँ के अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों का सामूहिक हत्याकांड बंद किया जाना चाहिए। पाकिस्तान में ग़ैर-मुस्लिमों पर लगातार हो रहे अत्याचार से लोग नाराज़ दिखे।

लोगों ने विश्व समुदाय से माँग करते हुए कहा कि सीएए को लेकर दुनिया भर में जो भ्रम और अफवाह का माहौल फैलाया गया है, उस पर लगाम लगाया जाना चाहिए। प्रदर्शन के नेतृत्व कर रहे नेताओं में से एक दिनेश राजपुरोहित ने इस दौरान कहा:

“नागरिकता संशोधन कानून भारतीय संसद से पूर्ण बहुमत से पास हुआ है और इसके लिए पूर्णतः वैधानिक और संवैधानिक प्रक्रिया का पालन किया गया है। ऐसे में सभी भारतीयों को बिना किसी भ्रम या अफवाह में आए नागरिकता संशोधन कानून का पालन करना चाहिए।”

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यूरोपियन यूनियन में कुछ पाकिस्तान से सहानुभूति रखने वाले सांसदों ने सीएए के विरोध में प्रस्ताव लाया था। लोगों ने इसके ख़िलाफ़ नाराज़गी जताई। स्कॉटलैंड के एडिनबर्ग में एक ऐसा ही प्रदर्शन हुस जिसमें सीएए की तारीफ की गई। इस विरोध प्रदर्शन में लोगों ने पाकिस्तानियों और खालिस्तानियों को भी निशाना बनाया। सबसे मेनस्ट्रीम मीडिया ने इन रैलियों को जानबूझ कर नज़रअंदाज़ कर दिया।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया