बांग्लादेश की अदालत ने गुरुवार (अक्टूबर 24, 2019) को एक 18 वर्षीय लड़की को जिंदा जलाकर मारने के आरोप में 16 लोगों को मौत की सजा सुनाई।
कोर्ट के इस फैसले के बाद न्याय की गुहार लगाने वालों में संतुष्टि दिखी। लड़की का केस लड़ रहे वकील हाफिज अहमद ने इस फैसले को न्यायपालिका की उपलब्धि बताई। वहीं लड़की के भाई (महमुदूल हसन नोमन) ने भी इस फैसले पर अपनी खुशी जताई।
जानकारी के अनुसार, नुसरत जहां रफी नाम की 18 वर्षीय लड़की को इन 16 लोगों ने कीरोसीन में भिगाकर जिंदा जलाया था। मामला इसी साल अप्रैल का है। लड़की की गलती सिर्फ इतनी थी कि उसने मदरसे के हेड मास्टर के ख़िलाफ़ यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज करवाई थी। जिसके बाद उसपर शिकायत वापस लेने का दबाव बनाया जाने लगा। लेकिन जब उसने ऐसा करने से मना कर दिया तो हेडमास्टर के कहने पर उसको जिंदा आग में झोंक दिया गया।
80 प्रतिशत जला शरीर होने के बावजूद भी रफी ने आरोपितों के ख़िलाफ़ लड़ने का फैसला किया था, लेकिन अफसोस शरीर इतना जल चुका था कि 5 दिन में ही उसने दम तोड़ दिया। नुसरत की मौत ने पूरे देश में आक्रोश पैदा कर दिया और आरोपितों के ख़िलाफ सजा की माँग देश के कोने-कोने में उठने लगी।
इस घिनौने अपराध को अंजाम देने के पीछे मदरसे के हेडमास्टर सिराज-उद-दौला समेत 3 आलिम और उनके समुदाय के कुछ ताकतवर लोग भी शामिल थे। इनमें वहाँ की आवामी लीग पार्टी के रुहुल अमिन और मकसद आलम जैसे स्थानीय नेता भी शामिल थे। जिन्हें गुरुवार को अदालत ने दोषी करार दिया।
https://twitter.com/ExSecular/status/1187291072608604161?ref_src=twsrc%5Etfwहालाँकि, बता दें हेडमास्टर ने अपने ऊपर लगे सभी इल्जामों से मना किया है। लेकिन कोर्ट द्वारा दोषी ठहराए गए 16 लोगों में से 12 लोगों ने अपने अपराध को स्वीकारा है।
वहीं, नुसरत के भाई का कहना है कि दोषियों को सजा मुकर्रर होने के बाद भी उसकी जान को खतरा है। मीडिया से बातचीत में उसने बताया, “आप लोग पहले ही जानते हैं, उन लोगों ने मुझे सबसे सामने कोर्टरूम में धमकाया। मैं बहुत डरा हुआ हैं। मैं प्रधानमंत्री से हमारी सुरक्षा सुनिश्चित करने की माँग उठाता हूँ।”