संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने बुधवार (अगस्त 05, 2020) को पाकिस्तान के कश्मीर प्रलाप के एक और प्रयास को खारिज कर दिया। और, यह स्पष्ट कर दिया कि यह विषय भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय रूप से ही हल किया जाना चाहिए है। UNSC के 5 स्थाई सदस्यों में से चार – अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और रूस – भारत का पक्ष मजबूती से रखते आ रहे हैं।
UN में भारत के स्थाई प्रतिनिधि राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने एक ट्वीट में कहा- “पाकिस्तान का एक और प्रयास विफल रहा। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आज की बैठक बंद कमरे में हुई थी, अनौपचारिक थी, इसका कोई रिकॉर्ड नहीं रखा गया और इसका कोई परिणाम नहीं निकला। लगभग सभी देशों ने माना कि जम्मू-कश्मीर एक द्विपक्षीय मसला है और सुरक्षा परिषद के समय और ध्यान का हकदार नहीं है।”
https://twitter.com/ambtstirumurti/status/1291086174648500224?ref_src=twsrc%5Etfwटीएस त्रिमूर्ति ने कहा कि पाकिस्तान ने जो दावा किया है, उसके विपरीत उसने जम्मू कश्मीर को संयुक्त राष्ट्र का एजेंडा बनाने और मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण करने का प्रयास किया।
पाकिस्तान के कश्मीर राग को इस बार करारा तमाचा लगा है क्योंकि पाकिस्तान के लिए शर्मिंदगी की बात यह रही कि अमेरिका ने बेनतीजा बैठक पर जोर दिया, जिस पर चीन ने भी अपनी सहमति जता दी।
राजदूत त्रिमूर्ति ने कहा कि नवंबर, 1965 से भारत-पाकिस्तान मुद्दे पर सुरक्षा परिषद की कोई औपचारिक बैठक नहीं हुई है। UNSC ने अगस्त, 2019 में पहली बार और बाद में जनवरी 2020 में कश्मीर पर दो बार अनौपचारिक बैठकें की हैं।
अगस्त 2019 की बैठक भारत में जम्मू और कश्मीर के विशेष दर्जे को रद्द करने के बाद दशकों में पहली बार हुई थी। बैठक में चीन ने जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में पुनर्गठित करने के कदम की कड़ी आलोचना की थी। भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को स्पष्ट रूप से बताया कि संविधान के अनुच्छेद 370 को समाप्त करना उसका आंतरिक मामला था।