भगोड़े विजय माल्या को भारत लाने का रास्ता साफ, ब्रिटिश हाई कोर्ट ने खारिज की प्रत्यर्पण के खिलाफ दायर याचिका

विजय माल्या को भारत लाने का रास्ता साफ (फाइल फोटो)

भारत से फरार विजय माल्या को ब्रिटेन की अदालत से बड़ा झटका लगा है। उसे प्रत्यर्पण के केस में हार मिली है। ऐसे में अब विजय माल्या के भारत लाने का रास्ता साफ हो गया है। भगोड़े शराब कोरोबारी विजय माल्या ने भारत के हवाले किए जाने के आदेश के खिलाफ ब्रिटेन के हाई कोर्ट में अपील दायर की थी, जिसे अदालत ने सोमवार (अप्रैल 20, 2020) को ठुकरा दिया

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लंदन के रॉयल कोर्ट ऑफ जस्टिस के न्यायाधीश स्टीफन इरविन और न्यायाधीश एलिजाबेथ लांग की दो सदस्यीय पीठ ने अपने फैसले में माल्या की अपील खारिज कर दी। अदालत ने माना कि माल्या के खिलाफ भारत में कई बड़े और गंभीर आरोप लगे हैं। बीते दिनों प्रत्यर्पण के आदेश को चुनौती देने वाली माल्या की याचिका पर हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान न्यायाधीशों की पीठ इस निष्कर्ष पर पहुँची थी कि भगोड़े शराब कारोबारी के खिलाफ बेईमानी के पुख्ता सुबूत हैं।

माल्या के खिलाफ भारत में धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग का केस चल रहा है। माल्‍या 9000 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में वांछित आरोपित है। पूर्व किंगफ‍िशर एयरलाइंस के प्रमुख 64 वर्षीय माल्‍या ने इस साल फरवरी में खुद को भारत प्रत्‍यर्पित किए जाने के खिलाफ इंग्लैंड और वेल्स की हाई कोर्ट में उक्‍त याचिका दाखिल की थी। 

विजय माल्या केस टाइमलाइन:

  • 2 मार्च, 2016 को विजय माल्या लंदन पहुंचा।
  • 21 फरवरी 2017 को होम सेक्रेटरी ने माल्या के प्रत्यर्पण के लिए अर्जी दी।
  • 18 अप्रैल, 2017 को विजय माल्या को लंदन में गिरफ्तार किया गया है। उसे उसी दिन बेल भी दे दी गई।
  • 24 अप्रैल 2017 को उसका भारतीय पासपोर्ट निरस्त कर दिया गया।
  • 2 मई 2017 को उसने राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिया।
  • 13 जून 2017 वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट में केस मैनेजमेंट और प्रत्यर्पण की सुनवाई शुरू हुई।
  • 10 दिसंबर 2018 को मुख्य मजिस्ट्रेट एम्मा अर्बुथनोट प्रत्यर्पण की मंजूरी देती हैं और गृह सचिव को फाइल भेजती हैं।
  • 3 फरवरी 2019 को गृह सचिव ने भारत को प्रत्यर्पण का आदेश दिया।
  • 5 अप्रैल 2019 को इंग्लैंड और वेल्स के उच्च न्यायालय के न्यायाधीश डेविड ने अपील करने के लिए कागजात पर अनुमति देने से इनकार कर दिया।
  • 2 जुलाई, 2019- एक मौखिक सुनवाई में, जस्टिस लेगट और जस्टिस पॉपप्वेल ने इस आधार पर अपील करने की अनुमति दी कि आर्बुथनॉट ने यह निष्कर्ष निकालने में गलती की थी कि भारत ने माल्या के खिलाफ एक प्रथम दृष्टया मामला कायम किया था।
  • 11 से 13 मई, 2020 को जस्टिस इरविन और जस्टिस लैंग ने अपील सुनी।
  • 20 अप्रैल, 2020 को अपील खारिज, अंतिम निर्णय के लिए गृह सचिव के पास गया मामला।

गौरतलब है कि साल की शुरुआत में ही मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून (PMLA) की विशेष अदालत ने आज भारतीय स्टेट बैंक (SBI) और कई अन्य बैंकों को भगौड़े विजय माल्या की जब्त संपत्ति को बेचकर कर्ज वसूली करने की इजाजत दी थी।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया