ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती पर टिप्पणी: अमीश देवगन के खिलाफ गिरफ्तारी पर लगी रोक बढ़ी, मामले की जाँच रहेगी निलंबित

अमीश देवगन की गिरफ्तारी पर लगी रोक बढ़ी (फाइल फोटो)

सुप्रीम कोर्ट ने न्यूज 18 इंडिया के पत्रकार और एंकर अमीश देवगन की सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के खिलाफ अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करने के मामले में गिरफ्तारी पर लगी रोक को अगले आदेश तक बढ़ा दिया है। साथ ही अदालत ने कहा कि मामले की जाँच भी निलंबित रहेगी।

न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की खंडपीठ ने बुधवार (जुलाई 8, 2020) को अमीश देवगन के वकील सिद्धार्थ लूथरा की दलीलें सुनने के बाद याचिकाकर्ता के खिलाफ जाँच एवं दंडात्मक कार्रवाई पर रोक अगले आदेश तक लिए बढ़ा दी। लूथरा ने दलील दी कि जाँच की स्थिति रिपोर्ट दाखिल कर दी गई है, जैसा कि पिछली सुनवाई में निर्देश दिया गया था।

इसके बाद खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिया कि वे उन शिकायतकर्ताओं को भी याचिका की प्रतियाँ दे दें, जिन्हें आज तक नहीं उपलब्ध कराई जा सकी है। पीठ ने शिकायतकर्ता को दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। इसके बाद याचिकाकर्ता रिजॉइंडर (जवाबी हलफनामा) दाखिल कर सकता है।

गौरतलब है कि 26 जून को सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती पर अपनी टिप्पणी के बाद न्यूज 18 एंकर अमीश देवगन के खिलाफ दर्ज कई एफआईआर पर जाँच और इन एफआईआर पर कठोर कार्रवाई करने पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख तक रोक लगा दी थी।

देवगन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने कहा था कि उनके मुवक्किल ने अपने शो के दौरान अनजाने में गलती की थी जिसके लिए उन्होंने बाद में सार्वजनिक माफी माँगी थी। पत्रकार के खिलाफ “जुबान फिसलने” के कारण एफआईआर दर्ज करना अन्यायपूर्ण है और उत्पीड़न के दायरे में है।

लूथरा ने कहा था, “अगर ऐसा होने लगे, जहाँ लोगों को जुबान फिसलने के कारण समस्या से सामना करना पड़े तो क्या होगा? लोग गलती करते हैं। उन्होंने माफी भी माँगी है।”

उल्लेखनीय है कि 15 जून को अपने शो ‘आर पार’ पर पूजा स्थल विशेष प्रावधान अधिनियम के संबंध में पीआईएल के बारे में एक बहस की मेजबानी करते हुए, अमीश ने ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती, जिन्हें ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ के रूप में जाना जाता है, उन्हें “हमलावर” और “लुटेरा” कहकर बुलाया था। हालाँकि, अमीश देवगन ने सूफी संत को “लुटेरा” के रूप में संदर्भित करने के लिए भी माफी माँगी थी और इसे “अनजाने में हुई गलती बताया था।

बता दें कि इससे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने रिपब्लिक भारत न्यूज़ चैनल के मुख्य सम्पादक अर्नब गोस्वामी के खिलाफ महाराष्ट्र पालघर में हुई साधुओं की हत्या के मुद्दे पर कथित साम्प्रदायिकता फैलाने के आरोप में और मुंबई के बांद्रा रेलवे में प्रवासी कामगारों के जमा होने को लेकर मुंबई पुलिस द्वारा दर्ज की गई 2 FIR पर रोक लगा दी है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया