अर्नब को ‘रिपब्लिक टीवी’ से Arnab ही हटा सकते हैं: जानकारी के अभाव में गहलोत ने BJP सांसद से लगाई गुहार

अशोक गहलोत को पता नहीं है कि अर्नब ही अपने न्यूज़ नेटवर्क के सर्वेसर्वा हैं

अर्नब गोस्वामी ने पालघर में साधुओं की हत्या को लेकर सोनिया गाँधी से सवाल क्या पूछा, सभी कॉन्ग्रेस नेता उनके पीछे लग गए। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी माँग की है कि अर्नब गोस्वामी पर कार्रवाई की जाए। उन्होंने सांसद राजीव चंद्रशेखर से अर्नब को बर्खास्त करने की माँग की। चंद्रशेखर ने उन्हें करारा जवाब देते हुए कहा कि अर्नब को कोई नहीं निकाल सकता, उन्होंने ये सब अपनी मेहनत से ख़ुद पाया है और ‘रिपब्लिक’ के ओनर वही हैं।

इस दौरान अशोक गहलोत शायद ये भूल गए कि केवल अर्नब गोस्वामी ही हैं, जो अर्नब गोस्वामी को ‘रिपब्लिक टीवी’ से बर्खास्त कर सकते हैं। सांसद राजीव चंद्रशेखर ऐसा नहीं कर सकते। जब अर्नब ने ‘टाइम्स नाउ’ छोड़ा था, तब उन्होंने ‘रिपब्लिक टीवी’ की स्थापना की थी। आज इसके हिंदी और अँग्रेजी, दो अलग-अलग न्यूज़ चैनल हैं। राजीव चंद्रशेखर के स्वामित्व वाले ‘एशियानेट’ ने भी इसमें वित्त लगाया था। वो न्यूज़ नेटवर्क में डायरेक्टर भी थे।

लेकिन, मई 2019 में अर्नब ने एशियानेट से ‘रिपब्लिक’ के शेयर वापस ख़रीद लिए। इसके साथ ही वो ‘रिपब्लिक टीवी’ में सबसे बड़े और प्रमुख शेयरधारक हैं। चंद्रशेखर ने भाजपा ज्वाइन करने के बाद कम्पनी में डायरेक्टर के पद से भी इस्तीफा दे दिया था। अब न्यूज़ नेटवर्क के मैनेजिंग डायरेक्टर और एडिटर-इन-चीफ, दोनों अर्नब गोस्वामी ही हैं। ‘रिपब्लिक टीवी’ और ‘रिपब्लिक भारत’ न्यूज़ चैनलों को एआरजी आउटलाइन मीडिया प्राइवेट लिमिटेड संचालित करता है, जिसमें 82% शेयर Arnab गोस्वामी के हैं। इसके अलावा चैनल का डिजिटल संस्करण भी है।

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अर्नब गोस्वामी अब इस न्यूज़ नेटवर्क का पूर्ण कण्ट्रोल रखते हैं। वो शायद एकलौते ऐसे पत्रकार हैं, जिन्होंने एक पूरे न्यूज़ नेटवर्क का स्वामित्व अपने पास रखा हुआ है। हालाँकि, एशियानेट अभी भी नेटवर्क में शेयर रखता है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि राजीव चंद्रशेखर Arnab गोस्वामी को उनके पद से हटा सकते हैं। इसीलिए, अशोक गहलोत जानकारी के आभाव में उन्हें हटाने की बातें कर रहे हैं।

अर्नब गोस्वामी ने हाल ही में एक लाइव शो के दौरान ही एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया से त्यागपत्र दे दिया था। Arnab ने अपने इस्तीफे के लिए एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के गिरते हुए मूल्यों को जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा कि एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने व्यक्तिगत पूर्वग्रहों के लिए नैतिकता से समझौता किया है। उन्होंने कहा कि वह काफी लंबे वक्त से एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के सदस्य हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया